Shah Times

HomeOpinionलोकसभा चुनाव 2024: क्या दिल्ली में हो पाएगा ‘आप’ और कांग्रेस के...

लोकसभा चुनाव 2024: क्या दिल्ली में हो पाएगा ‘आप’ और कांग्रेस के बीच गठबंधन?

Published on

क्या आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन हो पाएगा ?

-यूसुफ़ अंसारी

क्या आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के
बीच गठबंधन हो पाएगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि बुधवार को हुई कांग्रेस
की एक अहम बैठक में दिल्ली के नेताओं को दिल्ली की सभी सातों लोकसभा
सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा गया। इस बैठक के बाद दिल्ली
कांग्रेस के कुछ नेताओं के ऐसे बयान आए जिनसे यह लगा कि शायद कांग्रेस
अकेले चुनाव लड़ने के मूड में है। हालांकि आम आदमी पार्टी की आपत्ति के
बाद कांग्रेस को इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करना पड़ा। लेकिन दोनों तरफ
से होने वाली बयानबज़ी की वजह से संभावित गठबंधन पर संकट के बादल तो
मंडरा ही रहे हैं।

यह सवाल अपनी जगह बना हुआ है कि क्या वाकई कांग्रेस आम आदमी पार्टी के
साथ गठबंधन करने के मूड में है? बता दें कि 18 जुलाई को बेंगलुरु में 26
विपक्षी दलों ने ‘इंडिया’ नाम के गठबंधन के तहत लोकसभा का चुनाव लड़ने का
ऐलान किया था। इस बैठक में अरविंद केजरीवाल भी शामिल थे। जाहिर है कि
दोनों पार्टियों के बीच मिलकर चुनाव लड़ने पर सैद्धैंतिक सहमति बन चुकी
है। फिर कांग्रेस के नेताओं के सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी
जैसे बयानों से आम आदमी पार्टी का आग बबूला होना लाज़िमी है। इसी तरह की
बयानबाज़ी की वजह से 2019 में दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं हो
पाया था। फिलहाल कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली के नेताओं के बयानों पर सफाई
देकर इस बार मामले को संभालन की कोशिश की है।

क्या चर्चा हुई कांग्रेस की बैठक में?
दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ चुनावी तैयारियों
को लेकर बैठक बुलाई थी। इससे पहले कांग्रेस 18 राज्यों में चुनाव की
तैयारियों को लेकर इसी तरह की बैठकें कर चुकी है। इस बैठक में कांग्रेस
अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी,
संगठन महायचिव केसी वेणुगोपाल, दिल्ली के प्रभारी दीपक बावरिया के साथ
दिल्ली प्रदश संगठन के नेता शामिल थे। बैठक में लोकसभा चुनाव की
तैयारियों का जायज़ा लिया गया। लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संगठन को
मजबूत करने और पिछले चुनावी आंकड़ों पर चर्चा हुई। यह फैसला किया गया कि
कांग्रेस सातों सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी करे। बैठक में
आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर कल चर्चा नहीं हुई। इस बारे में
बाद में चर्चा होगी। बैठक के बाद इस बात को दीपक बावरिया साफ कर चुके थे।

अलका लांबा के बयान से हुआ विवाद
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेता का
अलावा के बयान से विवाद हुआ। हालांकि अलका ने यह नहीं कहा था कि कांग्रेस
दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा, ‘2024 कैसे जीतना है इसको
लेकर हमें आदेश हुआ है कि सातों सीटों पर मजबूती के साथ संगठन के हर नेता
को निकलना है। सात महीने, सात सीटें हैं। मीटिंग में ये बात हुई कि जिसकी
दिल्ली उसका देश होता है। ये दिल्ली का इतिहास बताता है। इसलिए कहा गया
है कि सातों सीटों पर तैयारी रखनी है। संगठन से जो भी जिम्मेदारियां तय
होंगी उस पर हम लोग काम करेंगे।’ गठबंधन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी
कोई फैसला नहीं हुआ है। 2019 के चुनावों में हम हम सातों सीटों पर दूसरे
नंबर पर रहे हैं। अब भारत जोड़ो यात्रा के बाद हम देख रहे हैं कि लोग
बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विकल्प के रूप में देश में कांग्रेस को देख रहे
हैं। राहुल गांधी ने हमें अपने अनुभव भी बताए। मुद्दों को लेकर जनता में
जाना है।

अलका लांबा का ‘आप’ पर हमला
दरअसल आम आदमी पार्टी पर अलका लांबा के हमले से बात बिगड़ी। एक सवाल के
जबाव में अलका ने मनीष सिसोदिया और संत्येंद्र जैन के जेल में होने की
बात कही। सीथ ही कजरीवाल पर भी कानूनी शिकंजा कसन की बात कह दी। अलका
लांबा ने कहा, ‘बैठक में ये चिंता जरूर जाहिर की गई कि हमारा वोट उनकी
(आम आदमी पार्टी) तरफ गया है। बीजेपी की स्थिर लाइन है। हमारी लड़ाई
बीजेपी के साथ है लेकिन वोट हमारा आम आदमी पार्टी की तरफ गया है। इसके
साथ ही उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के दो बड़े नेता भ्रष्टाचार के
आरोप में इस समय जेल में हैं, मुख्यमंत्री पर भी शिकंजा कस सकता है इस
बात की भी चिंता जाहिर की गई लेकिन लड़ेंगे या नहीं लड़ेंगे इस पर कोई
बात नहीं हुई है। हम अपनी तैयारी पूरी रखेंगे जो फैसला होगा वो देखा
जाएगा।‘

‘आप’ का पलटवार
अलका लांबा के बयानों से तिमिलाई आम आदमी पार्टी ने भी जमकर पलटवार किया।
‘आप’ की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने अलका लांबा पर बड़बोलेपन का आरोप
लगाया लगाया। उन्होंने कहा कि उनकी इन्हीं हरकतों की वजह से उन्हें आम
आदमी पार्टी से निकाला गया था। उन्होंने कांग्रेस से अलका लांबा के खिलाफ
कार्रवाई की मांग भी कर डाली। वहीं स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने
अलका लांबा के बयान को पूरी तरह महत्वहीन करार देते हुए कहा कि इस तरह के
बयानों का कोई मतलब नहीं है। जब बड़े नेता बैठकर फैसला करेंगे तो सब को
मानना होगा। उन्होंने अलका पर तंज कसते हुए कहा कि ऐसे नेताओं के बयानों
पर क्या बात की जाए जो पिछले चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।

‘आप’ और अलका के बीच छत्तीस का आंकड़ा
दरअसल आलका लांबा और ‘आप’ के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। दरअसल कांग्रेस
में एनएसयूआई और युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करन
वाली अलका लांबा 2015 में चांदनी चौक सीटे से आम आदमी पार्टी के टिकट पर
जीत कर पहली और आखिरी बार विधायक बनी थीं। अरविंद केजरीवाल और मनीष
सिसोदिया के साथ विवादों के चलते उन्हें पार्टी से निकाला दिया गया था।
2020 के विधानसभा में वो कांग्रेस के टिकट पर चांदनी चौक सीट से चुनाव
लड़ी थी। लेकिन आम आदमी पार्टी के प्रह्लाद साहनी से बुरी तरह हार गईं
थीं। 2105 में उन्होंने प्रह्लाद साहनी को हराया था। तब साहनी काग्रेस के
उम्मीदवार थे। आम आदमी पार्टी से निकाले जाने की वजह से अलका अक्सर ‘आप’
और खासकर अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रहती हैं। उनके बयान से ज्यादा उनका
लहजा आक्रामक था। इसी लिए विवाद हुआ।

जिसकी दिल्ली, उसका देश
बुधवार को हुई कांग्रेस की बैठक में अगर राहुल गांधी ने यह कहा है कि
‘जिसकी दिल्ली, उसका देश।’ पिछले छह लोकसभा चुनाव के नतीजे तो यही बताते
हैं दिल्ली पर जिसने कब्जा किया है जिसकी केंद्र की सत्ती भी उसी के हाथ
आई है। 2014 और 19 2019 में दिल्ली के सातों सीटें बीजेपी ने जीती हैं।
दोनों ही बार केंद्र में उसकी सरकार बनी है। इससे पहले 2009 में कांग्रेस
ने दिल्ली की सभी सातों सीटें जीती थीं। 2004 में कांग्रेस ने 6 और
बीजेपी ने एक सीट जीती थी। 1998 में अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में
केंद्र में एनडीए की सरकार बनी थी तब दिल्ली की 6 सीटें बीजेपी ने और एक
कांग्रेस ने जीती थी। 1999 में भी केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी तब
दिल्ली की सभी सातों सीटें बीजेपी ने जीती थी।

कांग्रेस की दबाव की रणनीति
दरअसल कांग्रेस का दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने
का ऐलान आम आदमी पार्टी पर दबाव की रणनीति है। दिल्ली के समीकरण ऐसे हैं
जिनमें ना अकेले कांग्रेस बीजेपी को टक्कर दे सकती है और नहीं आम आदमी
पार्टी दोनों अगर आपस में गठबंधन कर ले तो शायद कुछ सीटें जीत जाएं इस
जमीनी सच्चाई को समझने के लिए दोनों ही पार्टियां तैयार नहीं है। जब तक
दोनों पार्टियां इस सच्चाई को नहीं समझेंगी तब तक गठबंधन का रास्ता आसान
नहीं होगा। 2019 की तरह इस बार भी गठबंधन खटाई में पड़ सकता है। 2019 के
लोकसभा चुनाव से पहले 30 नवंबर 2018 को रामलीला मैदान में भारतीय किसान
संघर्ष मोर्चा समन्वय समिति की रैली में राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल
ने मंच साझा किया था। दिल्ली के तत्कालीन प्रभारी पीसी चाको और आम आदमी
पार्टी के सांसद संजय सिंह के बीच गठबंधन को लेकर मुलाकात भी हुई थी। 13
फरवरी 2019 को शरद पवार के घर राहुल गांधी और केजरीवाल मिले भी थे लेकिन
इसके बावजूद सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई थी।

2014 में आप तो 2019 में काग्रेस भारी
दरअसल 2014 में सभी सातों सीटें बीजेपी जीती और आम आदमी पार्टी सभी सीटों
दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। तब बीजेपी
को 46.40% आप को 32.90% और कांग्रेस को सिर्फ 15.10% वोट ही मिले थे।
2019 में इन आंकड़ों के अधार पर आप कांग्रेस को 2 से ज्यादा सीटे देनो को
तैयार नहीं थी। लेकिन अब 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2019 के आंकड़े
हैं। इनमे पासा पलट गया है। 2019 में एक बार फिर सभी सातों सीटें बीजेपी
जीती। लेकिन इस बार कांग्रेस जबरदस्त वापसी करते हुए पांच सीटों पर दूसरे
स्थान पर आ गई। आप सिर्फ दो ही सीटों पर आगे रही। मोदी की दूसरी लहर में
बीजेपी को 46.40% वोट मिले। यानि उसे 10.46% वोटो का फायदा हुआ।
कांग्रेस को 46.40% 7.42 % वोटों का फायदा हुआ और उसे 22.51% वोट मिले।
जबकि 2014 में 32.90% वोट हासिल करने वाली ‘आप’ 18.11% वोटों पर सिमट गई।
उसे 14.79% वोटों का नुकसान हुआ।

2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा
या नहीं यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पार्टियों एक दूसरे को कितना
जगह देने को तैयार हैं। 2014 के आंकड़ों के हिसाब से 2019 में आम आदमी
पार्टी कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें देने पर तैयार नहीं थी तो अब
कांग्रेस भी उसे दो ज्यादा सीटे देने को तैयार नहीं है। दोनों पार्टियों
की यही जिद गठबंधन में असली रोड़ा है। इसीलिए यह सवाल उठ रहा है कि क्या
वाकई 2024 में दोनों के बीच गठबंधन हो पाएगा?

Latest articles

कोविड-19 वैक्सीन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं जो है जानलेवा

यूके हाई कोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया है...

Shah Times Delhi 30 April 24

Latest Update

कोविड-19 वैक्सीन से साइड इफेक्ट हो सकते हैं जो है जानलेवा

यूके हाई कोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया है...

मोदी ने राहुल पर बोला हमला, कांग्रेस पर लगाया ‘वसूली गैंग’ चलाने का इल्जाम

नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए सात मई को कर्नाटक के शेष 14...

आग ने मचाया तांडव, पुलिस ने 15 परिवारों को बचाया

खुड़बुड़ा मोहल्ले में मौके पर पहुंची पुलिस और दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के...

केशव का दावा, यूपी में सभी 80 सीटें जीतेगी भाजपा

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी...

गरीबी के मुद्दे पर करोड़पति उम्मीदवारों के बीच होगी जंग

गरीबी,बेरोजगारी,महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंत मुद्दों पर एक दूसरे पर तीखे शब्द वाणों से...

न्यूजीलैंड ने टी-20 वर्ल्ड कप के लिए टीम का किया ऐलान

अमेरिका और वेस्टइंडीज मे होने वाले टी-20 विश्वकप के लिए न्यूजीलैंड ने केन विलियमसन...

देहरादून एसओजी और एसटीएफ मेरठ ने Online Engineering entrance exam परीक्षा में नकल कराने वाले गिरोह को पकड़ा

रायपुर क्षेत्र में स्थित परीक्षा केन्द्र में छापेमारी कर गिरोह के दो सदस्यों को...

नशेड़ी ने पीएसी की गाड़ी चुराई

रविवार की सुबह लगभग सात बजे पीएसी कैंप रायपुर के बाहर सड़क पर खड़े पीएसी...

बिजनौर में फर्जी दरोगा गिरफ्तार

पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति दरोगा की वर्दी पहने है और नगीना...
error: Content is protected !!