शीर्ष निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने ब्याज समानीकरण योजना (आईईएस) के विस्तार का आह्वान करते हुए इसे भारतीय निर्यात में लागत संबंधी बाधा को दूर करने का सबसे प्रभावी उपाय बताया है।
नई दिल्ली ( Shah Times) निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने ब्याज समकारी योजना (आईईएस) भारतीय निर्यात की लागत संबंधी बाधा दूर करने के लिये सबसे प्रभावी उपाय बताते हुये इसके विस्तार की मांग की है।
फियो की सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति में श्री कुमार के हवाले से कहा गया है, “ भारत में ब्याज दरें बहुत ऊंची हैं।
ऐसे में यह योजना हमारे निर्यात, विशेष का छोटे और मझोले निर्यातकों को दुसरे देशों के निर्यातकों के समक्ष प्रतिस्पर्धा में जरूरी शक्ति प्रदान करती है।
”
फियो ने कहा है कि भारत में रिजर्व बैंक की बैंक दर 6.5 प्रतिशत है, जबकि हमारे कई एशियाई देशों में समकक्ष दरें (नीतिगत दरें) लगभग 3.5 प्रतिशत है।
फियो प्रमुख ने कहा कि भारत में कारोबार के लिए कर्ज की दरें इस आधार दर तुलनात्मक रूप से काफी ऊपर होती है और इस तरह कर्ज की लागत दूसरे देशों की तुलना में सामान्यत: 5-6 प्रतिशत तक अधिक हैं।
कुमार ने कहा कि ब्याज समानीकरण योजना की प्रासंगिकता आज बहुत अधिक है क्योंकि खरीदार लंबी अवधि का उधार मांग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मांग की मंदी और बाजार में बिक्री में कमी के अलावा निर्यातकों को समुद्र, वायु मार्ग के किरायों में भारी वृद्धि का भी सामना करना पड़ रहा है।
फियो की सिफारिश है कि निर्माता एमएसएमई इकाइयों के लिए ब्याज छूट की दरों को क्रमशः तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत और 410 प्रकार की वस्तुओं के लिए यह दो प्रतिशत से बढ़ा कर तीन प्रतिशत तक की जाये।
उन्होंने कहा कि ब्याज समानीकरण की दरों को कम कर वर्तमान स्तर पर तब लाया गया था जब रिजर्व बैंक की रेपो दर 4.4 प्रतिशत थी।
यह अब बढ़कर 6.5 प्रतिशत है।