Report by- Mohd Shahnazar
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट(Uttarakhand Highcourt) ने मानव वन्य जीव संघर्ष(human wildlife conflict) को नियंत्रित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल (Chief Justice Vipin Sanghi and Justice Rakesh Thapliyal)की खण्डपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि राजस्थान(Rajasthan), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)तथा तमिलनाडु (Tamilnadu)के नेशनल पार्कों (national parks)से अच्छे प्लान बनाकर उत्तराखंड (Uttarakhand)के लिए बेहतर टाइगर कंजर्वेशन (Tiger Conservation) तैयार करें।
मानव वन्यजीव संघर्ष का रियल टाइम डेटा वन विभाग की बेब व्यवसाईट पर अपलोड करने के साथ साथ राज्य में पौराणिक काल से चले आ रहे वन्यजीव कोरिडोर (Wildlife Corridor)की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट दो माह में पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 20 दिसंबर की तिथि नियत की है। मामले के मुताबिक देहरादून निवासी अनु पंत द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा है कि नवंबर 2022 में इस मामले की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव वन को दिशा निर्देश दिये थे कि वह मानव वन्य जीव संघर्ष ((human wildlife conflict))को रोकने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करें।
इस मामले में पूर्व में तत्कालीन प्रमुख वन संरक्षक विनोद सिंघल द्वारा दाखिल शपथ पत्रा में केवल कागजी कार्यवाही का उल्लेख था और धरातल पर मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने का कुछ उल्लेख नही था। कुछ वर्षों से मानव व वन्यजीव संघर्ष बना है। जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि मानव वन्यजीव संघर्ष पर रोक लगाई जाए और पूर्व में कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन कराया जाए।