वाराणसी के लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल जिन्होंने अब तक 400 से ज्यादा किताबें लिखी हैं। इसमें 18 पुराण, 21 उपपुराण और तंत्र की करीब 400 किताबें हैं। फिलहाल अब भी वह लेखन में लगे हैं।
वाराणसी,( Shah Times) । उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल उर्फ एसएन खंडेलवाल चर्चा में हैं। इस वरिष्ठ लेखक के बारे में बड़ी जानकारी सामने आई है। उनके बच्चों ने उन्हें घर से निकाल दिया है। अब वह अपनी कहानी बताते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि हमारा जन्म बनारस में हुआ है। हम वहीं के रहने वाले हैं। काशी के कुश वृद्धाश्रम पहुंचे लेखक ने कहा कि हमारे बच्चों ने हमें घर से निकाल दिया है। इसलिए हमें यहां आना पड़ा। उन्होंने हमारी संपत्ति छीन ली। एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि हमारी बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। उसका पति भी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। बेटा भी बड़ा आदमी है। वे सभी बड़े आदमी हैं, लेकिन उन्होंने हमें घर से निकाल दिया।
श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताया कि उनकी संपत्ति करीब 80 करोड़ है। लेकिन, उनके बच्चों ने उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल कर दिया। भारी मन से वे कहते हैं कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को फेंक दो। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे ज्यादा दुखी हैं। इसी वजह से वृद्धाश्रम में आ गए। लेखक कहते हैं कि हमने अब तक 400 से ज्यादा किताबें लिखी हैं। इसमें 18 पुराण, 21 उपपुराण और तंत्र की करीब 400 किताबें हैं। फिलहाल वे लेखन में लगे हैं। लेकिन, बच्चों की बदतमीजी ने उन्हें बेघर कर दिया है।
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लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल अपने ही बच्चों से नाखुश हैं। बेटी और बेटे से नाखुश होने के बारे में पूछने पर एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि सबसे ज्यादा दुखी हम लोग हैं। अपने बच्चों के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि हमारे दो बेटे और एक बेटी थी। एक बेटा मर चुका है। एक बेटा है, लेकिन वह बहुत बड़ा आदमी है। बेटे अनूप खंडेलवाल के बारे में कहते हैं कि उसके पास लाखों की संपत्ति है। वह बनारस में रहता है। वह दोहराता है कि उन लोगों ने हमें घर से निकाल दिया। जब मैं बीमार पड़ा तो एक मुसलमान ने मेरी देखभाल की। हमने उसे बचाया। दो बेटियों की शादी कराई। उन्हें गलत धंधे में जाने से रोका, लेकिन हमारे बच्चों ने हमारी सुध तक नहीं ली।
काशी के कुश वृद्धाश्रम में रह रहे श्रीनाथ खंडेलवाल ने वहां रहने के मुद्दे पर बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि हमें यहां रहने में कोई दिक्कत नहीं है. हम यहां बड़े मजे से किताब लिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम अभी एक पुराण लिख रहे हैं. इससे पहले हमारे तीन पुराण प्रकाशित हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि हम नरसिंह पुराण लिख रहे हैं. यह किताब अभी अंग्रेजी और संस्कृत में ही है. इसकी हिंदी कॉपी नहीं आई है. हम इसे हिंदी में लिख रहे हैं. एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि हमें इस आश्रम में किसी तरह की दिक्कत नहीं आ रही है. अपने बिस्तर की ओर इशारा करते हुए वह कहते हैं कि हम यहां बैठकर लिखते हैं. बस आंखों में थोड़ी दिक्कत है. इसके अलावा आश्रम में हमें हर तरह का सहयोग मिलता है।
लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल का दावा है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक पद्मश्री पुरस्कार देने का फैसला किया था. लेकिन, उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि हमने पद्मश्री पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि हमारे गुरु कहते थे कि हमें कुछ पाने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। अगर कोई कुछ देना चाहता है तो वह यहीं (घर) आकर दे सकता है। हालांकि, पद्म पुरस्कार के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ता। इसलिए हमने मना कर दिया। वृद्धाश्रम में रह रहे श्रीनाथ खंडेलवाल की हालत की इन दिनों खूब चर्चा हो रही है।