दुनिया भर में आदिवासियों का प्रकृति के साथ एक गहरा रिश्ता है। वे जिन स्थानों पर रहते हैं, वे दुनिया की लगभग 80% जैव विविधता का घर हैं।
~Neelam Saini
(शाह टाइम्स)। विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य स्वदेशी लोगों की आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। तो वहीं आदिवासियों का प्रकृति के साथ गहरा संबंध है। आइए आज बात करते है विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के बारे में।
हर साल 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में स्वदेशी आबादी के बारे में जागरूकता फैलाने और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए मनाया जाता है। दुनिया भर में आदिवासियों का प्रकृति के साथ एक गहरा रिश्ता है। वे जिन स्थानों पर रहते हैं, वे दुनिया की लगभग 80% जैव विविधता का घर हैं। यह दिन दुनिया के पर्यावरण की रक्षा के लिए उनके द्वारा किए गए योगदान को भी मान्यता देता है।
बता दे कि यह दिन आदिवासी लोगों की संस्कृति, संभ्यता, उनकी उपलब्धियों और समाज और पर्यावरण में उनके योगदान की सराहना करने का दिन है। आदिवासी लोगों की पर्यावरण के संरक्षण में विशेष भूमिका देखी गई है। जितनी पर्यावरण को इन लोगों की जरूरत है उनती ही इन लोगों को पर्यावरण की जरूरत है, इसीलिए इनके अधिकारों को बनाए रखने के लिए भी इस दिन को मनाया जाता है।
विश्व के करीब 70 देश में आदिवासी और स्वदेशी लोग रहते हैं इनकी अपनी एक अलग दुनिया है उनके रीति रिवाज, अपनी संस्कृति और अपनी परंपरा आदि। जिसमें वे अपने संसाधन पर्यावरण से लेते हैं। सिर्फ भारत की ही बात करें तो भारत में लगभग 10 करोड़, 40 लाख लोग रहते हैं। ये संख्या देश की आबाधी का लगभग 8 प्रतिशत है भारत के आदिवासी अत्यधिक मध्य प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में निवास करते हैं।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा आदिवासी लोगों के अधिकारों के महत्व को उजागर करने के लिए ही इस दिन को मनाने की शुरूआत इसीलिए की गई क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की यह कोशिश है कि आदिवासी लोगों से जंगलों और उनके घर को ना छीना जाए, उनके पर्यावरण के साथ खिलवाड़ ना किया जाए।
इस साल विश्व स्वदेशी दिवस पर स्वदेशी लोगों के ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में स्वदेशी लोगों के अधिकारों की रक्षा करने’ के महत्व पर जोर दिया जा रहा है। इसका अर्थ है कि स्वैच्छा से यदि आदिवासी या स्वदेशी लोग बातचीत करना चाहें या फिर समाज से जुड़ना चाहें तो उन्हें जुड़ने दिया जाए लेकिन समाज का हिस्सा बनने के लिए उनके साथ किसी तरह की जोर-जबरदस्ती ना की जाए।
अपको बता दें कि इस दिन को मनाने की शुरूआत साल 1994 में हुई थी। दिसंबर, 1994 में संयुक्त राष्ट्र ने यह निर्णय लिया था कि विश्व के स्वदेशी लोगों का अंतरराष्ट्रीय दिवस हर साल 9 अगस्त के दिन से मनाया जाएगा। इस दिन की आवश्यक्ता को देखते हुए इसे मनाने का प्रस्ताव रखा गया था और यह प्रस्ताव पारित हुआ था।