नई दिल्ली, (शाह टाइम्स )। प्रमुख वैश्विक बाजारों में मंदी के बीच भारत से वाणिज्यक वस्तुओं का निर्यात अप्रैल 2023 में एक साल पहले की तुलना में 12.69 प्रतिशत गिरकर 34.66 अरब डॉलर के बराबर रहा अप्रैल 2022 में निर्यात 39.70 अरब डॉलर था और देश में थोक बाजारों में वस्तुओं की कीमतें अप्रैल 2023 में कुल मिला कर सालाना आधार पर नीचे रहीं जो अर्थव्यवस्था में मांग की कमजोरी दर्शाता है।
वाणिज्यक वस्तुओं का निर्यात 12.69 फीसदी गिरा
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार इस बार अप्रैल में वाणिज्यिक आयात 49.90 अरब डॉलर था।
इस तरह अप्रैल 2023 में व्यापार घाटा, यानी वाणिज्यक वस्तुओं का आयात उनके निर्यात की तुलना में 15.24 अरब डालर ज्यादा था।
माल के साथ सेवाओं को भी मिला दें तो अप्रैल 2023 में कुल निर्यात 65.02 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जो अप्रैल 2022 की तुलना में दो प्रतिशत वृद्धि दर्शाता है।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार “सेवा निर्यात मजबूत बना हुआ है और अप्रैल 2022 के मुकाबले अप्रैल 2023 के दौरान इसमें 26.24 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।
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अप्रैल 2023 में कुल आयात 66.40 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जो अप्रैल 2022 की तुलना में 7.92 प्रतिशत कम है।
वाणिज्य विभाग की विज्ञप्ति के अनुसार इस वर्ष अप्रैल में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न और आभूषण निर्यात 25.76 अरब डॉलर था, जबकि अप्रैल 2022 में यह 28.37 अरब डालर के बराबर था।
अप्रैल 2023 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) का आयात 31.49 अरब डॉलर था, जबकि अप्रैल 2022 में यह 36 अरब डॉलर था।
अप्रैल 2023 में सेवा निर्यात अनुमानित 30.36 अरब डॉलर रहा जो अप्रैल 2022 में 24 अरब डॉलर था।
अप्रैल 2023 में सेवाओं के आयात का मूल्य 16.50 अरब डॉलर रहा जो अप्रैल 2022 में 14.06 अरब डॉलर था।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “अप्रैल 2022 के ऊंचे आधार की तुलना में इस भारत का कुल निर्यात अप्रैल 2023 के दौरान दो प्रतिशत ऊंचा रहने अनुमान है।
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निर्यात संघों के महासंघ (फियो) के अध्यक्ष डॉ ए शक्तिवेल ने कहा कि रुस-यूक्रेन युद्ध तथा वैश्विक स्तर पर उभरती अन्य भू-राजनीतिक परिस्थितियों से व्यापार की चुनौतियां बढ़ी है।
पर उन्होंने कहा कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था में जल्दी ही सुधार दिखने की संभावना है तथा इसके साथ अप्रैल में चीन के निर्यात में जिस तरह से आठ प्रतिशत की वृद्धि हुई है , उसे देखते हुए ‘ हमें उम्मीद है कि जुलाई से निर्यात के आकड़े और अच्छे दिखने लगेंगे।
भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी इंडिया) के अध्यक्ष अरुण कुमार गरोडिया ने कहा कि अप्रैल में इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात एक साल पहले की तुलना में यद्यपि सात प्रतिशत घटकर अनुमानित करीब नौ अरब डालर के बराबर है पर इस क्षेत्र ने वैश्विक चुनौतियों से जूझने की ताकत दिखायी है।
श्री गरोडिया ने कहा , “सरकार की ओर से मदद तथा पिछले कुछ वर्षों में विकसित मजबूत व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र से इंजीनियरिंग निर्यात में बड़ा बल मिला है।
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सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बार अप्रैल में 30 प्रमुख वर्ग की वाणिज्यक वस्तुओं में से 11 वर्ग की वस्तुओं का निर्यात सालाना आधार पर ऊंचा रहा।
इन वस्तुओं में ऑयल मील (95.14 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (26.49 प्रतिशत), चावल (24.01 प्रतिशत), तिलहन (18.01 प्रतिशत), सिरेमिक उत्पाद और ग्लासवेयर (17.21 प्रतिशत), मसाले (14.44 प्रतिशत), ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स (10.45 प्रतिशत) फल-सब्जियां (9.96 प्रतिशत), तंबाकू (6.28 प्रतिशत), कॉफी (4.17 प्रतिशत) और अनाज की तैयारी और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (2.03 प्रतिशत) शामिल हैं।
इलेक्ट्रानिक निर्यात अप्रैल 2022 के 1.67 अरब डॉलर की तुलना में अप्रैल 2023 में 26.49 प्रतिशत बढ़कर 2.11 अरब डॉलर हो गया।
वाणिज्यक वस्तुओं के आयात के मार्चे पर अप्रैल 2023 में 30 में से 23 प्रमुख वर्गों में संकुचन हुआ।
प्रोजेक्ट गुड्स का आयात (73.05 प्रतिशत) घटा।
सल्फर और अनरोस्टेड आयरन पाइराइट्स (62.03 प्रतिशत), उर्वरक, कच्चा और निर्मित (45.86 प्रतिशत), सोना (41.48 प्रतिशत), वनस्पति तेल (37.74 प्रतिशत) और जैविक और अकार्बनिक रसायन (31.36 प्रतिशत) में भी गिरावट दर्ज की गयी।
थोक मुद्रास्फीति अप्रैल में शून्य से नीचे
देश में थोक बाजारों में वस्तुओं की कीमतें अप्रैल 2023 में कुल मिला कर सालाना आधार पर नीचे रहीं जो अर्थव्यवस्था में मांग की कमजोरी दर्शाता है।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2023 में शून्य से 0.92 प्रतिशत नीचे रही।
मार्च, 2023 में दर्ज थोक मूल्यों आधारित मुद्रास्फीति 1.34 प्रतिशत थी।
यह इसका करीब तीन साल का न्यूनतम स्तर है।
सोमवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, “अप्रैल, 2023 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट मुख्य रूप से बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, खनिज तेल, कपड़ा, गैर-खाद्य वस्तुओं, रासायनिक और रासायनिक उत्पादों, रबर और प्लास्टिक उत्पादों और कागज और कागज उत्पादों की कीमतों में गिरावट के करण है।
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पिछले कई महीनों से थोक और खुदरा दोनों ही तरह की महंगाई दर में गिरावट का रुख बना हुआ है।
पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.70 प्रतिशत पर आ गयी जो इसका 18 महीने का निचला स्तर है।
बीडीआर फार्मा के सीएफओ धीर शाह ने कहा कि अप्रैल में थोक महंगाई दर करीब तीन साल के न्यूनतम स्तर पर आ गयी ।
थोक मूल्य सूचकांक के विनिर्माण, प्राथमिक वस्तु और ईंधन तथा बिजली क्षेत्रों सहित अधिकांश घटकों में विभिन्न कारणों से नरमी है।
उन्होंने कहा, “मानसून की शुरुआत से पहले थोक मुद्रास्फीति में गिरावट एक बड़ी सकारात्मक बात है।
आगे मानसून सीजन अच्छा रहा तो थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति को स्थिर रखने में मदद मिलेगी, हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से थोक और खुदरा मुद्रास्फीति दोनों को खतरा हो सकता है।
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अमित शाह की राय में महंगाई के इन आंकड़ों से रिजर्व बैंक को नीतिगत ब्याज दर में वद्धि के सिलसिले पर विराम की अवधि को और आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सोमवार को वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार वैश्विक बाजारों में मंदी के माहौल के बीच भारत से वाणिज्यक वस्तुओं का निर्यात अप्रैल 2023 में एक साल पहले की तुलना में 12.69 प्रतिशत गिरकर 34.66 अरब डॉलर तथा के बराबर रहा।
इसी तरह अप्रैल में वाणिज्यिक वस्तुओं का आयात अप्रैल 2022 के 58 अरब डालर की तुलना में 49.90 अरब डॉलर रहा।
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