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स्ट्रेस और फास्टफूड का आपस में क्या कनेक्शन है?

वह भी कोई टेस्टी खाना जैसे पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, मोमोज आदि, ऐसा करने से हमारा मन काफी हद तक ठीक हो जाता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है क्या आप जानते हैं।

~Neelam Saini

(शाह टाइम्स)। कभी-कभी ऐसा होता है कि हम लोग बहुत परेशान होते हैं तब हम अपने मूड को सही करने के लिए कुछ खाने का सोचते हैं। वह भी कोई टेस्टी खाना जैसे पिज्जा, बर्गर, नूडल्स, मोमोज आदि, ऐसा करने से हमारा मन काफी हद तक ठीक हो जाता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है क्या आप जानते हैं। तो इसलिए आज हम आपको बताते हैं कि फास्ट फूड खाने से हमारा मन सही क्यों हो जाता है।

दरअसल स्वादिष्ट खाने के पहले कौर के साथ ही स्ट्रेस का बोझ कुछ हल्का सा लगा होगा। इसके पीछे बहुत सिंपल साइंस है। जब हम कुछ खाते हैं तो हमारी पांचों इंद्रियां एक साथ सक्रिय होती हैं और हमारा पूरा ध्यान खाने पर होता है। सबसे पहले हम खाने को देखते हैं। फिर उसकी महक, स्वाद, उसकी बनावट और यहां तक कि उसे खाने के दौरान निकली आवाज सबकुछ को महसूस करते हैं।

बता दे कि स्वादिष्ट भोजन एक मेडिटेशन की तरह है। लेकिन यहां हम एक गलती कर देते हैं। इस दौरान खुद से यह सवाल करना भूल जाते हैं कि यह स्वादिष्ट खाना हमारे लिए कितना हेल्दी है? इसका नतीजा यह होता है कि खाने के आखिरी कौर के बाद ही स्ट्रेस फिर लौट आता है। इस बार तो और भी बड़े रूप में लौटता है। इसे ही स्ट्रेस ईटिंग कहते हैं।

जो लोग अपनी हेल्थ पर बहुत ध्यान देते हैं। लेकिन स्ट्रेस होने पर उनकी भी गाड़ी कभी-कभी ट्रैक से उतर जाती है। सोचिए किसी दिन आपको अचानक पिज्जा, फ्राइज, चॉकलेट, आइसक्रीम या मिठाई खाने की बहुत इच्छा होती है। ये वो सारी चीजें हैं, जिन्हें किसी सामान्य दिन में आप हाथ भी नहीं लगाएंगे। लेकिन उस एक क्षण में आप खुद को रोक नहीं पाते।
अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि ये सब खाने की इच्छा इसलिए हो रही है क्योंकि आप किसी बात को लेकर स्ट्रेस्ड हैं। आपका स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल बढ़ा हुआ है और इसी कारण आपको अगड़-बगड़ चीजें खाने की इच्छा हो रही है। यही स्ट्रेस ईटिंग है।

स्ट्रेस और फास्टफूड का क्या संबंध है

अगर स्ट्रेस और फास्टफूड के कनेक्शन की बात करे तो इनका आपस में सीधा कनेक्शन है। अगर तनाव बढ़ता है तो हमें फास्टफूड खाने की क्रेविंग होती है। उसे ही खाने की क्रेविंग इसलिए होती है क्योंकि उसमें बहुत सारा सॉल्ट, शुगर और फैट होता है, जो तुरंत बहुत ज्यादा मात्रा में हैप्पी हॉर्मोन डोपामाइन रिलीज करता है। खुशी की तलाश हमें फास्टफूड तक ले जाती है। लेकिन फास्टफूड की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उससे तात्कालिक स्ट्रेस तो दूर होता है, लेकिन लांग टर्म में ये फूड स्ट्रेस को बढ़ाने का काम करता है।

खाने के बारे में पहले से सोचकर रखें

इन सब से बचने के लिए हमें ये सब पहले से तय करना चाहिए की कल सुबह आप क्या ब्रेकफास्ट करने वाले हैं, दोपहर में लंच में क्या लेकर जाने वाले हैं और रात का डिनर क्या होना है। ये सब एडवांस में प्लान होना चाहिए। भूख लगने पर फ्रिज के सामने खड़े होकर मत सोचिए कि अब क्या बनाया, क्या खाया जाए। जब हमें पहले से ही यह मालूम होता है कि हम क्या खाने जा रहे हैं तो मन खुद को उसके लिए तैयार कर लेता है और इधर-उधर नहीं भटकता है।

रसोई में न रखें अनहेल्दी स्नैक्स

ज्यादातर लोग अपने किचेन, ऑफिस डेस्क और कार में इमरजेंसी के लिए कुछ स्नैक्स रखते हैं। ज्यादातर पैकेज्ड स्नैक्स अनहेल्दी होते हैं। इनसे ढेर सारी कैलोरीज तो मिल जाती हैं, लेकिन सेहत और मन पर बुरा असर पड़ता है। जब हम स्ट्रेस में होते हैं तो हमारा मन इनकी ओर भागने लगता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने घर में पैकेज्ड फूड, या स्नैक्स न रखें।

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