आख़िर बच्चे काम क्यूँ कर रहे हैं
विश्व बालश्रम निषेध दिवस (WorldDayAgainstChildLabour) पर पूरी दुनिया के देशों की सरकारें अख़बारों और टीवी चैनलों पर विज्ञापन जारी कर देती हैं और हम लोग भी आज के दिन सोशल मीडिया या अख़बारों में अपने लेख लिख कर सुर्ख़ियाँ बटोर लेते हैं, जबकि हक़ीक़त ये हैं हमारा भी इन बच्चों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं होता हमारा मक़सद भी बस ये होता है की मेरे द्वारा लिखी गई 4 लाइनें सब पढ़े और मेरी तारीफ़ करें।
अफ़ज़ल राना (शब्बू)
आख़िर बच्चे काम क्यूँ कर रहे हैं, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है और है भी तो कोई बताना नहीं चाहता, विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर पूरी दुनिया के देशों की सरकारें अख़बारों और टीवी चैनलों पर विज्ञापन जारी कर देती हैं और हम लोग भी आज के दिन सोशल मीडिया या अख़बारों में अपने लेख लिख कर सुर्ख़ियाँ बटोर लेते हैं, जबकि हक़ीक़त ये हैं हमारा भी इन बच्चों के भविष्य से कोई लेना देना नहीं होता हमारा मक़सद भी बस ये होता है की मेरे द्वारा लिखी गई 4 लाइनें सब पढ़े और मेरी तारीफ़ करें।
आज के दिन सब विद्वान बनेंगे, मगर बाक़ी 364 दिन क्या ये बच्चे मज़दूरी नहीं करते या हम 364 इन बच्चों को देखना ही नहीं चाहते। जबकि ये बच्चे हमे रोज़ मिलते हैं कहीं चाय वाले की दुकान पर, कहीं भीक माँगते हुए, कहीं ऑफिसों में पानी पिलाते हुए मगर इनको रोज़ अनदेखा करते हैं, कभी भी ये नहीं जानना चाहते की ये बच्चे काम क्यूँ कर रहे हैं, इनके घरों में क्या मजबूरी है। क्या इनके माँ बाप नहीं चाहते कि इनके बच्चे स्कूल पढ़ने जायें और बच्चों की तरह ये भी अपने बचपन का पूरा आनंद लें। इन बच्चों को मज़दूर बनाते हैं इनके घरों के हालत, ये बच्चे समाज की नज़र में बच्चे हैं, मगर अपने घरों के ज़िम्मेदार हैं।
अगर बात की जाये हमारे मुल्क (हिंदुस्तान) की तो आज तक यहाँ की सरकार ने इस गंभीर समस्या से निपटने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाये जबकि हिंदुस्तान में एक करोड़ से ज़्यादा बालश्रमिक हैं।अगर पूरी दुनिया की बात की जाये तो बाल मजदूरों की सबसे ज्यादा संख्या अफ्रीका में है, अफ्रीका में 7 करोड़ से ज़्यादा बच्चे बाल श्रम की कैद में हैं, जबकि एशिया-पैसेफिक में 6 करोड़ से ज़्यादा बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं. दुनिया के सबसे विकसित कहे जाने वाले देश अमेरिका में बाल मजूदरों की संख्या भी एक करोड़ के पार है। विश्वभर में फैली इस गंभीर समस्या से बाहर निकलने के लिए सिर्फ़ एक दिन नहीं रोज़ इस विषय काम करने की ज़रूरत है, बालश्रमिकों की बढ़ती तादात को रोकने के लिए हमे इनके घरों के हालत को जानने और उन्हें बेहतर करने की ज़रूरत है, सिर्फ़ ये ही एक इकलौता विकल्प है इस समस्या से निजात पाने का।