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नॉर्थ ईस्ट राज्य मणिपुर में फिर हिंसा भड़की

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सेना बुलाई गई कर्फ्यू लगा इंटरनेट सर्विस सस्पेंडेड

नई दिल्ली,(शाह टाइम्स)। नॉर्थ-ईस्ट राज्य मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है आज एक बार फिर से हिंसा भड़कने के बाद सेना (Indian Army) बुलाई गई है. राजधानी इम्फाल के न्यू लाम्बुलेन इलाके में भीड़ ने घरों में आग लगा दी. इसके बाद आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों ने मौके पर पहुंचकर हालात को काबू किया….

इंफाल (Imphal) में सोमवार (22 मई) को फिर से हिंसा भड़कने के बाद सेना (Indian Army) बुलाई गई है. इंफाल के न्यू लेमबुलेन इलाके में शरारती तत्वों ने खाली मकानों में आग लगाई थी. मौके पर सुरक्षाकर्मी मौजूद हैं. सेना ने कहा कि इंफाल के बाहरी इलाके में आज सुबह संभावित संघर्ष के इनपुट के जवाब में, सेना और असम राइफल्स की टुकड़ी को वहां भेजा गया और स्थिति को नियंत्रण में लाया गया।

एक बार फिर से राज्य में हिंसा भड़कने की वजह से कर्फ्यू लगाया गया है. सोमवार को राज्य में सुबह 6 बजे से दोपहर 2 बजे तक कर्फ्यू लगा दिया गया. आगजनी की खबरें आने के बाद पांच दिन के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है.

सेना की ओर से कहा गया कि 3 संदिग्धों को पकड़ा गया और 2 हथियार बरामद किए गए हैं. स्थिति शांतिपूर्ण है. गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को मणिपुर में जनजातीय एकता मार्च के दौरान हिंसा भड़क गई थी. हिंसा शुरू होने के बाद से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हुई झड़पों में 70 से अधिक लोगों की जान चली ागई है.

राज्य में इंटरनेट सर्विस सस्पेंडेड की गई थीं हिंसा के दौरान करोड़ों की संपत्ति को आग लगा दी गई और हजारों लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. जो अब सरकार की ओर से लगाए गए राहत शिविरों में रह रहे हैं. कुकी समुदाय का आरोप है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार उन्हें जंगलों और पहाड़ियों में उनके घरों से हटाने के उद्देश्य से निशाना बना रही है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया था और दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की थी. मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है और ये ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय समुदायों-नगा और कुकी समेत अन्य की आबादी करीब 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं. पूर्वोत्तर राज्य में हालात काबू में करने के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बलों के करीब 10,000 कर्मियों को तैनात करना पड़ा था।

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