Report by Nadeem Siddiqui
फोटो स्टेट वाले दस्तावेजों पर ही होगी सुनवाई
मुजफ्फरनगर। उत्तराखंड आंदोलन (Uttarakhand movement) से जुड़े रामपुर तिराहा कांड (Rampur Tiraha incident) में सीबीआई (CBI) की पत्रावली से मूल दस्तावेज गायब होने के बाद फोटोस्टेट पर गवाही कराने की सीबीआई की याचिका पर कोर्ट ने फोटो स्टेट पर सुनवाई के स्वीकृति का आदेश सुनाया है। हालांकि आरोपियों की ओर से इस मामले में लिखित आपत्ति दाखिल की गई थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सीबीआई के प्रार्थना पत्र पर स्वीकृति जताते हुए आदेश जारी किया है।
कोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई को 16 अगस्त की तिथि नियत की है। 29 साल पहले यूपी का हिस्सा रहा उत्तरांचल के अलग राज्य गठन की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ था। 1 /2 अक्टूबर 1994 की रात अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों को रामपुर तिराहे पर नाकेबंदी करते हुए रोक लिया गया था। पुलिस फायरिंग के बाद 7 लोग मारे गए थे। इस मामले में थाना छपार पुलिस ने अलग-अलग चार मुकदमे दर्ज किए थे। इस मामले में सीबीआई ने भी जांच की थी विवेचना में कई महिलाओं से रेप के मामले सामने आए थे और आंदोलनकारी की हत्या के मामले में कई पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था।
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सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता परविंदर सिंह ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 7 शक्ति सिंह के न्यायालय में यह सुनवाई चल रही है सीबीआई के विशेष अभियोजक धारा सिंह मीणा ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआई की पत्रावली से मूल दस्तावेज गायब है याचिका दाखिल करते हुए फोटो स्टेट पर ही गवाही कराने की मांग की गई थी। जिस पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट ने सरकार बना मिलाप सिंह मामले में सीबीआई के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए फोटो स्टेट वाले दस्तावेजों के आधार पर ही सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया है।