बाढ़ के संकट को देखते हुए सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी अलर्ट पर है। बिहार सरकार ने बताया कि नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार कोसी बैराज वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 1968 के बाद सर्वाधिक है।
पटना (Shah Times) कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है। आखिर क्यों इसके पीछे का कारण आप सुनेंगे तो आप हैरान रह जाएंगे। बिहार में कोसी नदीं में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। एक तरफ जहां गंगा में बढ़ते जल स्तर की वजह से 13 जिले बुरी तरह प्रभावित हैं अब वहीं कोसी नदी में जल स्तर में भारी वृद्धि की वजह से उत्तर बिहार और सीमांचल के भी जलमग्न होने की आशंका है। जानकारी के अनुसार नेपाल में बाढ़ से 99 लोगों की मौत हो चुकी है।
बढ़ रहा है जलस्तर
बाढ़ के संकट को देखते हुए सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी अलर्ट पर है। बिहार सरकार ने बताया कि नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार कोसी बैराज वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो 1968 के बाद सर्वाधिक है।
राज्य सरकार ने टीमें की तैयार
बाढ़ के संकट को देखते हुए राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार भी एक्शन में आ गया है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय NDRF के साथ समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। बाढ़ के खतरे को देखते हुए NDRF को अलर्ट रखा गया है। राज्य सरकार ने भी अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने और संबंधित उपाय करने के निर्देश दिए हैं।
50 साल बढ़ा कोसी में जलस्तर
रिपोर्ट के मुताबिक 50 साल बाद कोसी नदी में इतना पानी देखा जा रहा है जो उत्तर बिहार के कई जिलों को डुबा सकता है। लोगों में इसको लेकर हाहाकार मचा हुआ है। ग्राउंड जीरो पर स्थानीय लोगों ने बताया कि तकरीबन 55 सालों के बाद उन्होंने कोसी नदी में इतना पानी देखा है।
2008 में आई थी ऐसी ही प्रलय
2008 में जब कुशहा बांध टूटा था तो उस समय को लेकर लोग बताते हैं कि दो- तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था और उसी ने बांध को तोड़ दिया था। इस बार नेपाल में लगातार बारिश के बाद कोसी बराज से 5.5 लाख क्यूसेक से भी ज्यादा पानी छोड़ा जा चुका है और हालात बहुत ज्यादा गंभीर है।