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🔴 एशियाई देशों में भी हाई जुडिशरी की पहली महिला न्यायाधीश
🔴 1950 में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद भारत को पहली महिला जज मिलने में 39 साल लग गए
जस्टिस फातिमा बीवी ( judge Fatima Bibi) एक ऐसा नाम है जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है फातिमा बीबी को भारत के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज होने का गौरव प्राप्त है भारत ही नहीं बल्कि हाई ज्यूडिशरी में एशिया के भीतर फातिमा बीबी पहली महिला जज है।
देश के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली पहली भारतीय महिला थीं। वो उच्च न्यायपालिका में पहली मुस्लिम महिला और एशियाई देशों में सर्वोच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली भी पहली महिला थीं।
फातिमा बीवी का जन्म 30 अप्रैल, 1927 को त्रावणकोर (वर्तमान में भारतीय राज्य केरल) के पठानमथिट्टा में खदीजा बीबी और सरकारी कर्मचारी मीरा साहिब के घर हुआ था फातिमा छह बहनों और दो भाईयों में सबसे बड़ी थीं
उन्होंने 1943 में कैथोलिकेट हाईस्कूल, पठानमथिट्टा से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की वो अपनी उच्च शिक्षा के लिए त्रिवेंद्रम चली गईं, जहां छह साल तक रहीं। इसके बाद बी.एस.सी. यूनिवर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से करके गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से कानून की पढ़ाई के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करावाया।
पहले वो विज्ञान की पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन उनके पिता जस्टिस अन्ना चांडी (भारत की पहली महिला न्यायाधीश और उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनने वाली भारत की पहली महिला) की सफलता से प्रेरित थे ये उनके घर के पास काम कर रही थीं इसलिए उन्होंने अपनी बेटी फातिमा बीवी को भी साइंस की जगह कानून की पढ़ाई करने के लिए उत्साहित किया।
एम. फातिमा बीबी का नाम उन चुनिंदा महिलाओं में लिया जाता है जिन्होंने पुरुष प्रधान न्यायतंत्र में महिलाओं के लिए रास्ता बनाया है. फातिमा बीबी को 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया। साल 1950 में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना होने के बाद देश को पहली महिला जज मिलने में 39 साल लग गए थे. इससे पहले वह साल 1983 में केरल हाई कोर्ट में जज के पद पर नियुक्त की गई थीं. वहां उन्होंने 6 साल यानी 1989 तक अपनी सेवा दी. हाई कोर्ट के जज़ के पद से रिटायर होने के महज 6 महीने बाद ही उन्हें 1989 में सुप्रीम कोर्ट का जज़ नियुक्त किया गया. यह इतिहास में एक सुनहरा पल था क्योंकि किसी महिला को सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने में लगभग 39 बरस लग गए।
उन्हें 3 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भी सदस्य बनाया गया। उनका पूरा नाम मीरा साहिब फातिमा बीबी है। फातिमा जी 1997 से 2001 तक तमिलनाडू की राज्यपाल भी रह चुकी हैं।
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