मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल (Tirthankar Mahaveer Hospital) की तीन सदस्यीय अनुभवी डॉक्टरों की टीम ने किया नकुल सिंह के बेटे का मंडल में पहला सफल ऑपरेशन, बचपन से गूंगे-बहरे राघव राजूपत के डाला कॉक्लियर इम्प्लांट (Cochlear implants), केवल यह मशीन यूं तो छह लाख की है, लेकिन केन्द्रीय स्कीम के तहत निःशुल्क हुआ कॉक्लियर इम्प्लांट।
इसे मेडिकल का चमत्कार ही कहेंगे, बचपन से बहरा और गूंगा पांच बरस का राघव राजपूत अब बोल और सुन सकेगा, क्योंकि तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (Tirthankar Mahaveer Hospital and Research Centre) में शनिवार को करीब दो घंटे तक चले मंडल के पहले ऑपरेशन में कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी (Cochlear Implant Surgery) कर दी गई है। हालांकि इस जन्मजात बीमारी के चलते राघव केवल स्कूल में नकल ही कर पाता था, लेकिन अब वह सामान्य बच्चों की तरह ही लिख-पढ़ सकेगा।
मुरादाबाद (Moradabad) निवासी नकुल सिंह के दो बच्चों में दूसरा बेटा राघव दीगर बच्चों के जैसे ही नार्मल जन्मा था, लेकिन बाद में पता चला कि राघव न तो बोल पाता है और न ही सुन पाता है। राघव का बहुत से डॉक्टरों से इलाज कराया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। डॉक्टर्स ने कॉक्लियर इम्प्लांट (Cochlear Implants) कराने की सलाह दी, लेकिन यह सर्जरी इतनी अधिक मंहगी है कि पिता के लिए यह सर्जरी कराना आसान नहीं था। फिर उन्हें पता चला कि केन्द्र सरकार (central government) की योजना के तहत टीएमयू हॉस्पिटल (TMU Hospital) में इस इम्प्लांट की निःशुल्क सुविधा है। वह अपने बेटे राघव को लेकर टीएमयू हॉस्पिटल (TMU Hospital) के ईएनटी विभाग (ENT department) में आए। ईएनटी विभाग (ENT department) के डॉक्टर्स ने राघव की स्क्रीनिंग की और पाया कि राघव के कॉक्लियर इम्प्लांट (Cochlear Implants) हो सकता है। इसके बाद डॉक्टर्स ने राघव की रिपोर्ट और और डॉक्यूमेंट केन्द्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड कर दिए। जहां से अप्रूवल मिलने के बाद कॉक्लियर डिवाइस (cochlear device) हॉस्पिटल को प्राप्त हो गई, जिसे ईएनटी के एचोडी डॉ. प्रोबल चटर्जी (Dr. Probal Chatterjee), एन्सथीसिया विभाग (Department of Anesthesia) के एचओडी डॉ. मुकेश प्रसाद (HOD Dr. Mukesh Prasad), डॉ. अक्षय जैन (Dr. Akshay Jain) और उनकी टीम ने कॉक्लियर इम्प्लांट (Cochlear Implants) की सफल सर्जरी को अंजाम दिया है।
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इस ऑपरेशन को लेकर टीएमयू हॉस्पिटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी हुई, जिसमें डॉक्टरों की टीम के अलावा डीन स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह, वैभव जैन, अनिल गुप्ता भी मौजूद रहे। उल्लेखनीय है, केन्द्र सरकार के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एंड हियरिंग डिसेबिलिटीज की एडीआईपी योजना के अंतर्गत कॉक्लियर इम्प्लांट की योजना के लाभार्थी अधिकतम 05 साल तक के बच्चे हैं। बशर्ते उनके परिवार की मासिक आय 15 हजार रूपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। योजना के पात्रों के लिए टीएमयू में कॉक्लियर इम्प्लांट से लेकर सर्जरी, जांचे, दवाइयां, रूम और भोजन की व्यवस्था निःशुल्क है। बकौल ईएनटी के एचओडी डॉ. प्रोबल चटर्जी इसी स्कीम में राघव राजपूत का ऑपरेशन किया गया है। एवीटी के संग-संग स्पीच थैरेपी चलेगी।
डॉ. चटर्जी बताते हैं, कान में मशीन अभी ऑफ है। यह करीब दो सप्ताह बाद ऑन की जाएगी। इसकी लाइफ आजीवन है। डॉ. चटर्जी एक सवाल के जवाब में कहते हैं, यूं तो यह ऑपरेशन बहुत महंगा है। कॉक्लियर की बाजार कीमत करीब छह लाख रूपए है। दो लाख रूपए और खर्च आ जाता है, लेकिन इस स्कीम में यह ऑपरेशन बिल्कुल फ्री हुआ है। वह यह भी याद दिलाते हैं, यदि कोई बच्चा जन्मजात इस रोग का शिकार है तो उसे जल्द से जल्द ऑपरेशन करा लेना चाहिए। यह स्कीम अधिकतम पांच साल तक के बच्चों के लिए है।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. चटर्जी ने यह भी खुलासा किया, यदि कोई बच्चा पांच साल से ज्यादा उम्र का है तो वह आयुष्मान योजना में कवर हो जाएगा, लेकिन कॉक्लियर की कीमत खुद ही वहन करनी होगी। आयुषमान योजना में ऑपरेशन फ्री है।
ईएनटी के एचोडी डॉ. प्रोबल चटर्जी (Dr. Probal Chatterjee), एन्सथीसिया विभाग के एचओडी डॉ. मुकेश प्रसाद (HOD Dr. Mukesh Prasad), डॉ. अक्षय जैन (Dr. Akshay Jain) बताते हैं, कॉक्लियर इम्प्लांट होने का मतलब 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया है, लेकिन सुनने और बोलने के लिए दो साल तक समय-समय पर स्पीच थैरेपी करानी होगी। अंत में बच्चे के पिता श्री नकुल सिंह टीएमयू हॉस्पिटल की इस टीम का शुक्रिया अदा करना नहीं भूलते हैं। बच्चे को आज डिस्चार्ज कर दिया गया है।