देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज

महाभारत के लेखक वेदव्यास जी ने जिस प्रकार यह ग्रंथ लिखा है, मुझे अमर उजाला यह शब्द सुनते ही एक नाम और प्रसंग की याद आ जाती है। महाभारत क्या है? ज्ञानमय प्रदीप है।

~Tanu

देहरादून। देहरादून में आयोजित अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज भी शामिल हुए थे। जिसमें कार्यक्रम के दौरान उन्होंने महाभारत, उत्तराखंड, देवभूमि और जीवन का मार्ग बताने वाले विचार भी साझा किए।

आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में उन्होंने उत्तराखंड की पानी, पर्यावरण की समस्याओं पर चिंता जाहिर की और घुसपैठ की समस्या के प्रति नाराजगी भी जाहिर की।

इस कार्यक्र के दौरान उन्होंने कहा कि ’21 दिन की महाभारत कथा में काफी व्यस्त हूं। वैसे ऐसे मौकों पर अपना स्थान छोड़कर कहीं जाते नहीं। लेकिन जब यहां पता चला कि संवाद का आयोजन हो रहा है तो मुझे लगा कि महाभारत से ज्यादा यह उपयोगी होगा। आगे कहा कि पहले मुझसे कहा था जाता कि आप महाभारत के इतने आग्रही क्यों है। बताया कि संपूर्ण वेदों का सार इसी में आता है। महाभारत के लेखक वेदव्यास जी ने जिस प्रकार यह ग्रंथ लिखा है, मुझे अमर उजाला यह शब्द सुनते ही एक नाम और प्रसंग की याद आ जाती है। महाभारत क्या है? ज्ञानमय प्रदीप है। अमर उजाला का अर्थ होता है- द एटर्नल लाइट। यह कहां से आती है? यह प्रकाश भारत से ही आता है।

उन्होंने बताया कि भारत को यह प्रकाश उत्तराखंड से मिलता है। इसी उत्तराखंड में वेदव्यास जी ने महाभारत लिखा। महाभारत ने हमें यह ज्ञान दिया कि संपूर्ण ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में जो महाभारत में मिलेगा, वही सब जगह मिलेगा, जो यहां नहीं मिलेगा, वह कहीं नहीं मिलेगा और विदेशों में 30 वर्षों से जाते-जाते मैंने यह अध्ययन किया कि प्रबंधन, स्वयं सहायता, नेतृत्व क्षमता व आपसी संबंध, इस बारे में बहुत कुछ लिखा जाता है। कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में महाभारत जैसा ग्रंथ कोई नहीं है। अमर उजाला ने ऐसे ही एक प्रकाश के जरिए इस देश को प्रभावित किया है।

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