सुप्रीम कोर्ट ने 47 निवासियों द्वारा दायर याचिका पर असम सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया।
New Delhi, (Shah Times) । सुप्रीम कोर्ट ने आज 47 निवासियों की ओर से दायर याचिका के बाद असम सरकार को अवमानना नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस में राज्य पर शीर्ष अदालत के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। साथ ही कहा गया है कि अदालत की मंजूरी के बिना कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने राज्य को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया और अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया। यह था मामला याचिकाकर्ताओं का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश के बावजूद अधिकारियों ने उनके घरों को गिरा दिया। 20 सितंबर को असम के एडवोकेट जनरल ने गुवाहाटी हाईकोर्ट को आश्वासन दिया था कि उनकी याचिकाओं का निपटारा होने तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मामला असम के कामरूप जिले के कचुटोली पाथर गांव और आसपास के इलाकों में 47 घरों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई से जुड़ा है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे मूल भूमिधारकों के साथ एक समझौते के तहत दशकों से वहां रह रहे हैं। आदिवासी भूमि पर ‘अवैध कब्जाधारियों’ के रूप में उनका कब्जा मौजूदा समझौतों के तहत वैध था।
17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश में देश भर में बिना न्यायिक अनुमति के तोड़फोड़ पर रोक लगा दी गई थी, सिवाय सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अतिक्रमण के मामलों को छोड़कर। इसके बावजूद, असम के अधिकारियों ने कथित तौर पर बिना किसी नोटिस के याचिकाकर्ताओं के घरों को ध्वस्त करने के लिए चिह्नित किया, जिसके कारण वर्तमान अवमानना याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि 1 अक्टूबर तक देश में कहीं भी हमारी अनुमति के बिना बुलडोजर की कार्रवाई नहीं होगी।
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