Written by Nasir Rana
हमारे देश में आज भी बहुतायत में लोग सेक्स का नाम सुनते ही शर्म से सर झुका लेते हैं साथ ही इस महत्वपूर्ण विषय के बारे में अपने बच्चों से बात करने में कतराते हैं। वैसे तो हम पश्चिमी देशों की सभ्यता को अपनाने में दिन रात एक किए हुए हैं मगर सेक्स एजुकेशन जो हमारे बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है उससे हम किनारा करते आ रहे हैं जबकि सबसे पहले यह दायित्व माता-पिता का ही बनता है कि वह अपने बच्चों से सेक्स के बारे में खुलकर बात करें खासकर 12 से 16 वर्ष की आयु में शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दें फिर भी यह समझना बेहद जरूरी है कि जिस प्रकार हर बच्चे को बुनियादी शिक्षा दी जाती है, ठीक उसी तरह 6 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों को सेक्स एजुकेशन ( देना कितना आवश्यक है यदि आप उनसे इसके बारे में बात नहीं करेंगे या उन्हें इस विषय से अवगत नहीं कराएंगे, तो बच्चे अपनी उम्र के मुताबिक दूसरे साधनों जैसे मीडिया या इंटरनेट के जरिए गलत और भ्रामक जानकारी हासिल करेंगे। यह जानकारी उनके आने वाले भविष्य को गलत दिशा में ले जा सकती है इसलिए बच्चों को उनकी उम्र व मानसिक समझ के हिसाब से यौन क्रिया और यौन अंगों की क्रियाशैली व महत्त्व को समझाना ही यौन शिक्षा है। बच्चों के बेहतर विकास और भविष्य के लिए सेक्स एजुकेशन जरूरी मिलना बहुत जरूरी है क्योंकि तभी किशोरावस्था में गंभीर यौन बीमारियों, मासिक धर्म और ग्रोइंग अप के बारे में बच्चे बखूबी जन पाएंगे।
भारतीय परिवेश में जिस तरह पिछले एक दशक से बच्चे यौन हिंसा (child sexual abuse) या बच्चों के साथ शारीरिक दुर्व्यहार का शिकार हो रहे हैं, उसे देखते हुए यह और भी जरूरी हो जाता है कि माता-पिता युवावस्था में प्रवेश कर रहे अपने बच्चों से खुलकर सेक्स एजुकेशन (sex education) पर बात करें उन्हें इसके बारे में उम्र के साथ-साथ शरीर में होने वाले बदलाव के बारे में अच्छे तरीके से समझाए
भारत में यौन शिक्षा की शुरुआत
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2005 में किशोरावस्था प्रजनन और यौन स्वास्थ्य शिक्षा (एआरएसएच) परियोजना नामक एक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक परिपत्र जारी किया था। केंद्र सरकार ने इसे 2006 में जारी किया था और तब से कई राज्यों ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार मामूली बदलाव के साथ कार्यक्रम को लागू किया है।
भारत सरकार ने 2007 में किशोर शिक्षा कार्यक्रम (एईपी) शुरू किया हालांकि, कार्यक्रम की सामग्री को ‘अनुचित’ बताते हुए कई विरोधों और नैतिक पुलिसिंग के कारण अधिकांश राज्यों में कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
नीदरलैंड में बेस्ट सेक्स एजुकेशन
नीदरलैंड में सभी प्राथमिक स्कूल के छात्रों को जिनकी उम्र 4 वर्ष हो कानूनन किसी न किसी रूप में यौन शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक है
बुल्गारिया, साइप्रस, इटली, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमानिया और यूनाइटेड किंगडम को छोड़कर, यूरोपीय संघ के अधिकांश सदस्य राज्यों में यौन शिक्षा अनिवार्य है।
देश में बाल यौन शोषण के बढ़ते मामले
भारत में यौन शोषण के शिकार हुए बच्चों की एक बड़ी संख्या है। पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस जैसे कड़े कानून होने के बावजूद इस ग्राफ में साल दर साल इजाफा हो रहा है। महानगरों से लेकर छोटे शहरों तक में इस तरह के घिनौने अपराधों का जाल फैलता रहा है। हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2021 की रिपोर्ट बताती है कि देश में बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
यह आंकड़े पश्चिमी देशों की तुलना में कई गुना अधिक है जिन पर सरकार को पूर्ण रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2021 में बच्चों के ख़िलाफ़ अपराध के 1,49,404 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 53,874 मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुए हैं, जो कि कुल मामलों का करीब 36 प्रतिशत है।
भारत बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार के प्रति देश की प्रतिक्रिया पर आउट ऑफ द शैडो इंडेक्स में 58.2 के स्कोर के साथ 60 देशों में से 15 वें स्थान पर है यदि हमारे देश में सरकार सेक्स एजुकेशन पर गंभीरतापूर्वक ध्यान दे तो आने वाले समय में बाल यौन शोषण के मामले में काफी हद तक कमी आ सकती है।
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