ऐसे में कई सवाल हैं जिनके जबाव खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा एजेंसियों को ढूंडने पड़ेंगे। कुलगाम में मारे गए दो विदेशी आतंकियों से ऑस्ट्रिया निर्मित बुलपप असॉल्ट राइफल, ‘स्टेयर एयूजी’ यानि एम-4 बरामद की गई है। इस तरह की राइफलों का प्रयोग अफगानिस्तान में नाटो देश की सेनाओं द्वारा किया जाता था।
अक्षत सरोत्री
मुजफ्फरनगर (Shah Times) कश्मीर में चुनाव का दौर जारी है। लेकिन इसके साथ पाकिस्तान भी लगातार घाटी में अशांति फैलाने की कोशिश में लगा हुआ है। ऐसे घाटी के आतंकियों के पास एक ऐसा हथियार मिला है जिसने खुफिया एजेंसियों को सकते में डाल दिया है। इस कारबाइन का नाम है एयूजी एम-4 राइफल यह एक बहुत ही अत्यधुनिक राइफल है। जिसका इस्तेमाल अमेरीकन सेना करती है।
ऐसे में कई सवाल हैं जिनके जबाव खुफिया एजेंसियों और सुरक्षा एजेंसियों को ढूंडने पड़ेंगे। कुलगाम में मारे गए दो विदेशी आतंकियों से ऑस्ट्रिया निर्मित बुलपप असॉल्ट राइफल, ‘स्टेयर एयूजी’ यानि एम-4 बरामद की गई है। इस तरह की राइफलों का प्रयोग अफगानिस्तान में नाटो देश की सेनाओं द्वारा किया जाता था।
यह घटना केवल एक सामान्य बरामदगी नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहन और जटिल कहानी है। जो हमें आतंकवाद, हथियारों के प्रवाह और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की जटिलताओं की ओर इशारा करती है। स्टेयर एयूजी राइफल, जिसे ऑस्ट्रियाई कंपनी स्टेयर-मन्नलिचर द्वारा विकसित किया गया है, एक मॉड्यूलर असॉल्ट राइफल है जो अपनी विशिष्ट डिजाइन और उच्च प्रदर्शन के लिए जानी जाती है।
यह राइफल 5.56×45mm NATO कार्ट्रिज का उपयोग करती है और इसकी फायरिंग दर प्रति मिनट 750 राउंड तक हो सकती है। इसका उपयोग विभिन्न देशों के सैन्य बलों द्वारा किया जाता रहा है, विशेषकर नाटो के सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान में इसका प्रयोग किया गया था।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि एम-4 राईफल कश्मीर घाटी में अतंकियों के पास कहां से आई है। नाटो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के सैनिकों ने अफगानिस्तान में अपने अभियानों के दौरान स्टेयर एयूजी राइफल का व्यापक उपयोग किया। यह राइफल अपनी सटीकता, विश्वसनीयता और अनुकूलनशीलता के कारण सैनिकों के बीच लोकप्रिय थी। अफगानिस्तान में तैनात नाटो बलों ने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में इसका प्रभावी रूप से उपयोग किया।
यह प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है कि आतंकियों के पास यह अत्याधुनिक राइफल कैसे पहुंची। आमतौर पर, ऐसे हथियार सीधे सरकारी सैन्य बलों के लिए बने होते हैं और आतंकियों तक पहुंचने की संभावना बेहद कम होती है। युद्ध क्षेत्र में हथियारों का अवैध व्यापार आम बात है।
काला बाजार में विभिन्न स्रोतों से हथियार खरीदने और बेचने का कार्य होता है, और आतंकवादी संगठन भी इसका लाभ उठाते हैं। युद्ध के दौरान या बाद में, कई बार सैनिक अपने हथियार छोड़ देते हैं या वे खो जाते हैं। आतंकवादी इन छोड़े गए हथियारों को इकट्ठा कर लेते हैं। कुछ मामलों में, सरकारी सैन्य बलों के भीतर भ्रष्टाचार या चोरी के कारण हथियार आतंकियों के पास पहुंच जाते हैं।
आतंकियों के पास स्टेयर एयूजी राइफल जैसी अत्याधुनिक हथियारों का होना सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह दर्शाता है कि आतंकवादी संगठनों के पास अब अधिक प्रभावी और घातक हथियार हैं, जिससे उनके हमले और भी घातक हो सकते हैं। यह स्थिति सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय है और इस दिशा में और अधिक सख्ती से काम करने की आवश्यकता है।
इससे पहले भी वर्ष 2017 में अमेरिका निर्मित कई हथियार आतंकियों से बरामद किये गए थे, जिसमें एम-4 कार्बाइन पहली बार बरामद हुई थी। यह कार्बाइन राइफल 1962 में बनी एम16 का एडवांस वर्जन है। यह 1990 में बनी थी और इसे भी अफगानिस्तान में अमेरिकी व नाटो फोर्स इस्तेमाल कर रही थी। ऐसे में ऐसा हथियार आतंकियों से मिलना खतरे की घंटी है।