श्रेष्ठ मुहूर्त देखकर रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को ही मनाया जाना श्रेष्ठ- संजीव शंकर

भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार रक्षाबन्धन (Rakshabandhan) का त्यौहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है। हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बाँधते समय कर्मकाण्डी पण्डित या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते हैं, जिसमें रक्षाबन्धन का सम्बन्ध राजा बलि से स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। भविष्यपुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधते हुए निम्नलिखित स्वस्तिवाचन किया (यह श्लोक रक्षाबन्धन का अभीष्ट मन्त्र है)-

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥

इस श्लोक का हिन्दी भावार्थ है- “जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधता हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)”

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महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष संजीव शंकर जी महाराज ने बताया कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी रक्षाबंधन (Rakshabandhan) त्यौहार को लेकर बहुत संशय है वास्तव में तो पूर्णिमा 30 अगस्त सुबह 7:05 से प्रारंभ हो जाएगी और 31 अगस्त सुबह लगभग 7:00 बजे तक ही रहने वाली है, 30 अगस्त को भद्रा होने के कारण इस पर्व भाई को राखी बांधना अशुभ माना जा रहा है, पहले तो एक संशय दूर करें यह पर्व श्रावणी पूर्णिमा का है और यह पूर्णिमा 30 अगस्त को ही है अतः यह पर्व 30 अगस्त को ही मनाया जाना चाहिए।

दूसरा भद्रा का मुख को त्यागने का प्रावधान है परंतु पूंछ समय ठीक माना गया है और यह समय शाम 5:30 बजे से 6:31 तक है इस कारण पूर्णिमा रहते हुए भाई को रक्षा सूत्र बांधा जा सकता है, इसके अलावा पूरे दिन में कुछ अच्छे मुहूर्त होते हैं जैसे अमृत चौघड़िया मुहूर्त जो सुबह 7:34 से 9:10 तक है दूसरा शुभ चौघड़िया मुहूर्त जो सुबह 10:46 से 12:22 तक है इस काल में भी रक्षा सूत्र बांधा जा सकता है, अभिप्राय है कि इस बार रक्षाबंधन 30 अगस्त को ही बनाया जाना श्रेष्ठ है परंतु पूर्ण सतर्कता के साथ श्रेष्ठ मुहूर्त में रक्षा सूत्र बांधना बिल्कुल भी गलत नहीं है।

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