पुरोला: आखिर जन आक्रोश का शिकार सिर्फ मुस्लिम व्यापारी क्यों?

संलिप्त अभियुक्तों में एक मुस्लिम दूसरा हिंदू समुदाय से

अतीत में अन्य समुदायों के युवक भी शामिल रहे हैं अनैतिक कार्यों में

दशकों से मुस्लिम व्यापारी आए, पुरोला में आशियाना भी बनाया

स्थानीय निवासी मुस्लिम छोड़कर नहीं जाना चाहते जन्मभूमि

मुस्लिम व्यापारियों के पास नये चेहरे दिखने से शंकाएं व्यक्त की गईं

रिपोर्ट: चिरंजीव सेमवाल

पुरोला (उत्तरकाशी )

पुरोला में 26 मई को एक नाबालिग लड़की को बहला फुसलाकर भगाने की कोशिश करते दो युवकों को स्थानीय जनता ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए दोनों युवकों पर मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेश कर उन्हें जेल भेज दिया। घटना के तीसरे दिन एक जन आक्रोश उमड़ा व तभी से मुस्लिम व्यापारियों के प्रतिष्ठान बंद है। घटना के बाद पुरोला (purola) में व्यापार कर रहे लगभग तीन दर्जन मुस्लिम व्यापारियों में से लगभग एक दर्जन व्यापारी दुकान खाली कर अनयन्त्र चले गए ।

विदित हो कि अपहरण की कोशिश में संलिप्त दो अभियुक्तों में से एक मुस्लिम व दूसरा हिन्दू समुदाय से संबंधित है, फिर जन आक्रोश सिर्फ मुस्लिम व्यापारियों के खिलाफ क्यों है । ये ऐसा प्रश्न है जिसकी तह में जाना अत्यंत आवश्यक है । स्थानीय स्तर पर कुछ मुस्लिम व्यापारियों के यहाँ रोज नित नए चेहरों को देखे जाने पर शंका व्यक्त की जाती रही है बावजूद इसके, हर कोई इसे मोन होकर देख रहा था लेकिन 26 मई की घटना से वो आक्रोश के रूप में फूट पड़ा। बात अनैतिक कार्यों की हो तो ये इस कार्य मे अतीत में अन्य समुदाय के युवक व युवतियां भी संलिप्त रहें हैं व इस अनैतिक कार्यों के खिलाफ आवाज उठाने वालों को ही फंसाने की कोशिश भी हुई जिस कारण अनैतिक कार्यों के खिलाफ कोई भी मुखर नहीं हुआ । व्यापार के लिए हर दृष्टि से मुफीद पुरोला में आजादी के बाद से ही व्यापारी आते रहे व यहां की आबोहवा में बसकर यही के हो गए । ऐसे में कुछ मुस्लिम व्यापारियों ने भी यहाँ जमीन खरीदकर अपना आशियाना बनाया । स्थानीय लोगों के साथ मुस्लिम व्यापारियों के सदैव अच्छे संबंध रहे जिस कारण यहां उनका व्यापार फलने फूलने लगा किंतु 26 मई की घटना ने सब कुछ बर्बाद कर दिया व जन आक्रोश का लाभ उठाते हुए स्थानीय नेताओं के साथ बाहरी ताकतों ने राजनीतिक लाभ के निहितार्थ मुस्लिम व्यापारियों को घरों में कैद होने को मजबूर कर दिया ।

इस बीच पिछले दिनों किसी अज्ञात संगठन ने देर सायं मुस्लिम व्यापारियों की दुकानों पर पोस्टर चिपका कर 15 जून तक दुकानें खाली न करने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी दी । जिस कारण दर्जनभर मुस्लिम व्यापारियों ने दुकानों को खाली कर दिया । जो व्यापारी बाहर से आये थे उन्होंने तो दुकानें खाली कर दी पर जो यहां दशकों से घर बनाकर निवास कर रहे हैं वो किसी भी कीमत पर यहां से जाना नहीं चाहते हैं । उनका कहना है कि जन्म भूमि को त्यागना एक बड़ी त्रासदी है व उन्हें ऐसा करने को मजबूर नही किया जाना चाहिए। हालांकि आपको बता दें कि आज भी तमाम मुस्लिम बिना ये देखे कि वे हिन्दू के यहां काम कर रहे हैं या मुस्लिम के यहां, बेखौफ होकर अपने कामकाज में लगे हुए हैं।

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