सूचना आयोग का दिल्ली सरकार को आदेश
- आदेश मिलने के 20 दिनों के भीतर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले को दिया जाए पूरा ब्यौरा
- सूचना अधिकार कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने दिल्ली सरकार से इमामों के वेतन पर मांगी थी जानकार
- अग्रवाल ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या इमामों की तरह पुजारियों और ग्रंथियों को भी मिलता है वेतन
- रस्साकशी के चलते साल भर से नहीं मिल रहा इमामों को वेतन
यूसुफ अंसारी
केंद्रीय सूचना आयोग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय को दिल्ली वक्फ बोर्ड (Delhi Waqf Board )की तरफ से मस्जिदों के इमामों को दिए जा रहे वेतन के बारे में पूरी जानकारी आरटीआई के तहत देने का आदेश दिया है। केंद्रीय सूचना आयोग ने आदेश मिलने के 20 दिनों के भीतर सूचना के अधिकार कारों के तहत जानकारी मांगने वाले आवेदक सुभाष अग्रवाल को देने का निर्देश दिया है। आयोग ने दो टूक कहा है कि अगर इस मामले में उसके आदेश का पालन नहीं किया जाता तो वे अधिकारियों को तलब करने की शक्ति का इस्तेमाल करने पर विवश होगा। मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई 2023 को दोपहर 3 बजे निर्धारित की गई है।
सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने अपने आदेश में कहा कि अगर जरूरी हुआ तो आयोग अपने फैसले का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए सूचना के अधिकार कानून की धारा 18(3)(ई) के तहत उपलब्ध अपनी शक्तियों का उपयोग संबंधित पक्षों को तलब करने के लिए कर सकता है। गौरतलब है कि 25 नवंबर 2022 के अपने आदेश में सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि वह सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की तरफ से मांगी गई जानकारी उपलब्ध करा दे। सुभाष अग्रवाल ने सूचना के अधिकार कानून के तहत दिल्ली सरकार से दिल्ली वक्फ बोर्ड के तहत आने वाली मस्जिदों के ईमामों को दिए जाने वेतन का संपूर्ण ब्यौरा और सक्षम अधिकारी का विवरण दिए जाने की मांग की थी।
सूचना आयुक्त उदय माहुरकर ने अपने नवीनतम आदेश में कहा है कि सीएम कार्यालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि 25 नवंबर 2022 के सीआईसी के फैसले का दिल्ली सरकार के मातहत काम करने वाले प्राधिकरण की तरफ से अनुपालन किया जाए। आयोग की ओर से निर्देश जारी किया गया है कि आदेश की प्रति मिलने के 20 दिनों के भीतर उसके आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाना चाहिए। अपने सूचना के अधिकार के तहत दिए गए आवेदन के जरिए सुभाष अग्रवाल की तरफ से यह भी पूछा गया है कि क्या हिंदू मंदिरों के पुजारियों को भी इस तरह का वेतन दिया जा रहा है? अग्रवाल के आवेदन पर एलजी और मुख्यमंत्री के कार्यालय ने जवाब नहीं दिया था इसके बाद मुख्य सचिव के कार्यालय ने इसे राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया था।
ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1993 में अखिल भारतीय इमाम संगठन की एक याचिका पर दिल्ली वक्फ बोर्ड को उसके तहत आने वाली मस्जिदों के इमामों को पारिश्रमिक देने का निर्देश दिया था। तब से दिल्ली वक्फ बोर्ड इमामों और मुअज़्जनों को वेतन देता आ रहा है। लेकिन कुछ साल से हिंदू संगठनों की तरफ से इस पर सख्त आपत्ति जताई गई है इन संगठनों का कहना है कि सरकार अगर इमामों को वेतन देती है तो फिर मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को भी वेतन मिलना चाहिए। इसी रस्साकशी की वजह से पिछले एक साल से इमामों को वेतन नहीं मिला है।