कांग्रेस में बढ़ रहा प्रियंका के कामकाज का दायरा

  • इसी साल चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में निभाएंगी की बड़ी जिम्मेदारी
  • मध्यप्रदेश में नर्मदा पूजन और पांच गारंटी से शुरू किया चुनावी अभियान
  • हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की जीत से बड़ा हौसला और विश्वास
  • दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार में प्रियंका ने निभाती बड़ी भूमिका
  • हिमाचल प्रदेश से हुई थी 5 गारंटी के फार्मूले की शुरुआत

यूसुफ अंसारी

नई दिल्ली। कांग्रेस संगठन का पुनर्गठन जल होगा और उसका कभी भी ऐलान हो सकता है। इसमें प्रियंका गांधी वाड्रा को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके संकेत अभी से मिलने शुरू हो गए हैं। हाल ही में प्रियंका गांधी ने मध्यप्रदेश में नर्मदा आरती के साथ चुनावी बिगुल फूंका है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की तरह प्रियंका ने मध्यप्रदेश में भी 5 गारंटी के साथ चुनाव अभियान छेड़ा है। इसी तरह का कार्यक्रम जल्दी मध्य प्रदेश गांव राजस्थान में भी होगा गौरतलब है कि तीनों राज्यों में चुनाव इसी साल के आखिर में होने हैं।

यह कांग्रेस में प्रियंका गांधी के लगातार बढ़ते कामकाज के दायरे का साफ संकेत है। मध्य प्रदेश के प्रभारी जेपी अग्रवाल है लेकिन वहां चुनावी अभियान का बिगुल फूंकने के लिए प्रियंका गांधी को बुलाया गया इसी तरह हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला थे लेकिन वहां भी प्रियंका गांधी नहीं अपने खास अंदाज में चुनावी बिगुल फूंका था और हिमाचल से कांग्रेस की जीत का रास्ता निकला। कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला है लेकिन मेनका गांधी ने कर्नाटक चुनाव में महत्व भूमिका निभाई कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने करीब 30 विधानसभा सीटों पर प्रियंका गांधी को महिला वोटरों को लुभाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। झाझा प्रियंका गई उनमें से ज्यादा तस्वीरें कांग्रेस ने जीती हैं।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी में भले ही कोई करिश्मा न दिखा पाई हों, लेकिन हाल ही में हिमाचल और कर्नाटक में मिली जीत के बाद वे बिल्कुल नए तेवर और अंदाज में नजर आ रही हैं। सोमवार को उन्होंने जबलपुर में नर्मदा पूजन कर मध्य प्रदेश में चुनावी बिगुल फूंका दिया। कांग्रेस भी उन्हें देश में लोकप्रिय नेता के रूप में स्थापित करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। उनके भाषण की शैली और सहजता के साथ सरकार से तीखे सवाल पूछने का तरीका आम पार्टी के कार्यकर्ताओं को खूब पसंद आता है। यही कारण है कि चुनावों के दौरान उनकी सभाओं की मांग काफी रहती है। प्रियंका के प्रचार की शैली को कुछ लोग उदार हिंदुत्व की राजनीति से जोड़ कर देख रहे हैं, लेकिन सूत्रों का मानना है कि इसके जरिए वे कांग्रेस के खिलाफ गढ़े गए उस नरेटिव को ध्वस्त कर रही हैं, जिसमें उसे धर्म विरोधी बताया जाता है।
हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की तरह प्रियंका ने मध्य प्रदेश में भी जनता की 5 गारंटियों के साथ चुनावी अभियान शुरू किया है। जबलपुर पहुंच कर पहले उन्होंने नमर्दा तट पर पूजा व आरती की। इसके बाद रैली के दौरान उन्होंने घोषणा की कि यदि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो- महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रूपए, 500 रूपए में रसोई गैस सिलेंडर, 100 यूनिट तक बिजली फ्री बिजली दी जाएगी और पुरानी पेंशन योजना लागू किया जाएगा। ठीक इसी तरह का कार्यक्रम हिमाचल और कर्नाटक में भी हुआ था, जिसमें प्रियंका ने गारंटियों की घोषणा की थी।

गौरतलब है कि कांग्रेस की महासचिव बनने और यूपी का प्रभार मिलने के बाद सन 2019 से उन्होंने सक्रिय राजनीति की शुरुआत की थी। इसके पहले वे अपनी मां सोनिया के चुनाव क्षेत्र रायबरेली में पार्टी का काम देखती थीं। यूपी की प्रभारी बनने के बाद उन्होंने संगठन में नई जान फूंकने का काफी प्रयास किया, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति यह हो गई कि वह 2 सीटों और 2.33 फीसदी वोटों पर सिमट गई। इसी के बाद से प्रियंका नेतृत्व पर सवाल उठने लगे थे, लेकिन कुछ ही दिनों बाद हिमाचल चुनाव में उनकी सक्रियता और कांग्रेस को मिली जीत से तस्वीर बिल्कुल बदल गई।

कर्नाटक चुनाव में भी उन्होंने जमकर मेहनत की, जिसमें पार्टी को कामयाबी मिली। कांग्रेस के नेताओं ने इन दोनों राज्यों में मिली जीत का बड़ा श्रेय प्रियंका को दिया। अब एक नई उर्जा व उत्साह के साथ वे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावी रण में भाजपा से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। सूत्रों का कहना है कि चुनावी अभियानों से लेकर महिलाओं व अन्य बड़े मुद्दों पर प्रियंका की सक्रिय भागीदारी ने उनके नेतृत्व को एक नया निखार दिया है। अब पार्टी में उनकी भूमिका और बढ़ गई है। कांग्रेस होने वाले फेरबदल के दौरान उनके कामकाज दायरा बढ़ाया जा सकता है। जबलपुर में प्रियंका के नर्मदा पूजन को लेकर भाजपा नेताओं की ओर से कटाक्ष किए जा रहे हैं, लेकिन पार्टी नेता प्रमोद तिवारी का कहना है कि वे बचपन से ही पूजा-पाठ करती रही हैं, पर कभी टीवी कैमरा बुलाकर इसकी नुमाइश नहीं की। यूपी चुनाव में भी प्रियंका ने गंगा पूजन और नाव से यात्रा की थी। हिमाचल में भी वे लगातार मंदिरों में माथा टेकने जाती थी। कर्नाटक में भाजपा ने बजरंगबली के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर जोरदार हमला किया था, लेकिन नतीजे वाले दिन प्रियंका सुबह से ही बजरंग बली के मंदिर में पहुंच गई थीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here