दिवाली से पहले दमघोंटू हुई दिल्ली की हवा, दिल्ली की आबोहवा लगातार ‘जहरीली’ होती जा रही है हर तरफ धुआं ही धुआं। सर्दी के आगमन के साथ ही जगह दिल्लीवासियों को शुक्रवार सुबह और शाम सर्द हवाओं का सामना करना पड़ा और दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई इसके साथ साथ दिल्ली के पोल्यूशन पर सियासत भी तेज हो गई है।
नई दिल्ली , (Shah Times) । देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, ‘जहरीली’ होती हवा के दरमियान एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई. इसके बाद दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने कहा कि मुंडका, द्वारका सेक्टर 8, पंजाबी बाग, आरके पुरम, आनंद विहार समेत दिल्ली के 13 जगहों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘बेहद खराब’ श्रेणी में है. दिल्ली सरकार के अधिकारियों को ग्राउंड पर तैनात रहने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यूपी की डीजल बसों की वजह से आनंद विहार में AQI बढ़ा है. बीजेपी को अपना ड्रामा बंद करना चाहिए. इसके बाद दिल्ली के प्रदूषण पर सियासत तेज हो गई है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने दिल्ली के पोल्यूशन को लेकर आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दिल्ली की हालत खराब है, लोग खांस रहे हैं. पिछले 10 सालों की सरकार ने दिल्ली को बर्बाद कर दिया है. सरकारें सिर्फ़ एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाती हैं, सिर्फ़ टोपी ट्रांसफर करने से काम नहीं चलता।
शनिवार सुबह 5 बजे दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक (Delhi Air Quality Index Today 19 October) 290 यानी खतरनाक स्तर पर था।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम 4 बजे 292 दर्ज किया गया। मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4 डिग्री अधिक था। दिन में आर्द्रता का स्तर 51 प्रतिशत से 91 प्रतिशत के बीच रहा।
मौसम विभाग (आईएमडी) ने शनिवार को आसमान साफ रहने का अनुमान जताया है। अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता (AQI) के बारे में जानकारी देने के लिए नवीनतम प्रणाली अक्टूबर 2018 में शुरू की गई थी। इसका ट्रैक रिकॉर्ड चिंताजनक रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां के नागरिकों को इस बात की जानकारी नहीं है कि इस वार्षिक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए उन्हें कब और क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। सरकार और अधिकारी आज तक यह बताने में असमर्थ हैं कि इन स्थितियों पर कब नियंत्रण होगा? केंद्र और राज्य सरकारें हर साल वायु प्रदूषण को रोकने का दावा करती हैं, लेकिन इससे 100 प्रतिशत परिणाम नहीं मिलते।
Politics intensifies over Delhi’s toxic atmosphere