रूस दौरे पर पीएम मोदी, व्यापार में असमानता के मुद्दे पर करेंगे चर्चा

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मोदी का ये रूस दौरा उस समय हो रहा है जब अमेरिका में नाटो समिट शुरू हो रहा है।

नई दिल्ली,(Shah Times) । सोमवार यानी आज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के रूस दौरे के लिए रवाना हो गए हैं। वे वहां 22वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच साल 2000 में वार्षिक सम्मेलन की शुरुआत हुई थी।

 ये पहला मौका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन जंग के बाद रूस का दौरा करेंगे। इससे पहले वे 2019 में रूस गए थे। वहीं, मोदी और व्लादिमिर पुतिन की आखिरी मुलाकात उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में SCO समिट के दौरान हुई थी। पुतिन 2023 में भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के लिए नहीं आए थे।

मोदी का ये रूस दौरा उस समय हो रहा है जब अमेरिका में नाटो समिट शुरू हो रहा है। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर सफाई दी है कि मोदी के रूस दौरे का नाटो समिट से कोई मतलब नहीं है। दरअसल, यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद से रूस यूरोप में अलग-थलग पड़ गया। इस बीच उसे चीन और भारत का साथ मिला है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत और रूस के बीच यूक्रेन जंग के बाद व्यापार में तेजी वृद्धि हुई है। इसमें बड़ा हिस्सा भारत की ओर से खरीदे जा रहे कच्चे तेल का है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 45.4 लाख करोड़ का कच्चा तेल खरीदा था।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच 54 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ था। इसमें भारत ने रूस को सिर्फ 3.3 लाख करोड़ का निर्यात किया था। भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार को यात्रा से ठीक पहले बताया था कि दोनों नेता व्यापार में असमानता के मुद्दे को लेकर चर्चा करेंगे।

आपको बता दें कि भारत ने 2018 में रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए डील की थी। इस डील के तहत अगले 5 सालों में भारत को ये सभी एयर डिफेंस सिस्टम मिलने थे। हालांकि, अभी तक रूस ने सिर्फ 3 ही एयर डिफेंस सिस्टम भारत को दिए है। अभी भी 2 एस-400 भारत को मिलना बाकी हैं। इसके पीछे की एक बड़ी वजह यूक्रेन जंग को माना जा रहा है, जिसके चलते एयर डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी में देरी हो रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी इस मुद्दे पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ बातचीत कर सकते हैं।

भारत और रूस के बीच व्यापार को बढ़ाने और उसमें लगने वाली लागत को कम करने के लिए नए ट्रेड रूट पर भी बातचीत हो सकती है। क्योंकि हाल ही में भारत ने ईरान के चाबहार पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया है। ऐसे में भारत इस पोर्ट के जरिए सेंट्रेल एशिया से होते हुए रूस के साथ नए ट्रेड रूट शुरू करने को लेकर भी बातचीत कर सकता है। जानकारी के अनुसार भारत इस पोर्ट की मदद से एशिया, यूरोप, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान ओर रूस के साथ सीधे व्यापार कर सकता है।

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