नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपनी धरती और प्रकृति को हरा-भरा और स्वच्छ बनाने में जापान की मियावाकी तकनीक पर आधारित वनों एवं उद्यानों की सराहना करते हुए देशवासियों का आज आह्वान किया कि वे इस तकनीक से वनीकरण का अवश्य प्रयास करें।
पीएम मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 102वें संस्करण में यह आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारतवासियों का स्वभाव होता है कि हम हमेशा नए विचारों के स्वागत के लिए तैयार रहते हैं। हम अपनी चीज़ों से प्रेम करते हैं और नई चीज़ों को आत्मसात भी करते हैं। इसी का एक उदाहरण है – जापान की तकनीक मियावाकी, अगर किसी जगह की मिट्टी उपजाऊ नहीं रही हो, तो मियावाकी तकनीक, उस क्षेत्र को, फिर से हरा-भरा करने का बहुत अच्छा तरीका होती है। मियावाकी जंगल तेजी से फैलते हैं और दो-तीन दशक में जैव विविधता का केंद्र बन जाते हैं। अब इसका प्रसार बहुत तेजी से भारत के भी अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है।
पीएम ने कहा कि केरल के एक शिक्षक राफी रामनाथ जी ने इस तकनीक से एक इलाके की तस्वीर ही बदल दी। दरअसल, रामनाथ जी अपने विद्यार्थियों को, प्रकृति और पर्यावरण के बारे में गहराई से समझाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने एक हर्बल गार्डन ही बना डाला। उनका ये गार्डन अब एक जैवविविधता ज़ोन बन चुका है। उनकी इस कामयाबी ने उन्हें और भी प्रेरणा दी। इसके बाद रामनाथ ने मियावाकी तकनीक से एक मिनी वन, यानि छोटा जंगल और इसे नाम दिया – ‘विद्यावनम्’। रामनाथ जी के इस ‘विद्यावनम्’ में छोटी सी जगह में 115 किस्मों के 450 से अधिक पेड़ लगाए गए। उनके विद्यार्थी भी इनके रखरखाव में उनका हाथ बंटाते हैं। इस खूबसूरत जगह को देखने के लिए आसपास के स्कूली बच्चे, आम नागरिक – काफी भीड़ उमड़ती है।
पीएम ने कहा कि मियावाकी जंगलों को किसी भी जगह, यहाँ तक कि शहरों में भी आसानी से उगाया जा सकता है। कुछ समय पहले ही उन्होंने गुजरात में केवड़िया, एकता नगर में, मियावाकी वन का उद्घाटन किया था। कच्छ में भी 2001 के भूकंप में मारे गए लोगों की याद में मियावाकी पद्धति से स्मृति वन बनाया गया है। कच्छ जैसी जगह पर इसका सफल होना ये बताता है कि मुश्किल से मुश्किल प्राकृतिक परिवेश में भी ये तकनीक कितनी प्रभावी है। इसी तरह, अंबाजी और पावागढ़ में भी मियावाकी विधि से पौधे लगाए गए हैं।
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पीएम मोदी ने कहा कि उन्हें पता चला है कि लखनऊ के अलीगंज में भी एक मियावाकी उद्यान तैयार किया जा रहा है। पिछले चार साल में मुंबई और उसके आस-पास के इलाकों में ऐसे 60 से ज्यादा जंगलों पर काम किया गया है। अब तो ये तकनीक पूरी दुनिया में पसंद की जा रही है। सिंगापुर, पेरिस, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया जैसे कितने ही देशों में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है।
उन्होंने कहा, “मैं देशवासियों से, खासकर, शहरों में रहने वाले लोगों से, आग्रह करूंगा कि वे मियावाकी पद्धति के बारे में जरुर जानने का प्रयास करें। इसके जरिए आप अपनी धरती और प्रकृति को हरा-भरा और स्वच्छ बनाने में अमूल्य योगदान दे सकते हैं।”
प्रधानमंत्री ने मन की बात में कहा कि वैसे तो जम्मू कश्मीर की देश में चर्चा होती ही रहती है लेकिन अब जम्मू-कश्मीर की चर्चा बारामूला जिले के लोगों के कारण हो रही है। लोगों की मेहनत की वजह से ही आज बारामूला में हर रोज साढ़े 5 लाख लीटर दूध उत्पादन हो रहा है। पूरा बारामूला, एक नयी श्वेत क्रांति की पहचान बन रहा है। पिछले ढाई-तीन वर्षों में यहाँ 500 से ज्यादा डेयरी इकाई लगी हैं। उन्होंने कहा कि बारामूला की यह उपलब्धि इस बात की गवाह है कि देश का हर हिस्सा कितनी संभावनाओं से भरा हुआ है। किसी क्षेत्र के लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति कोई भी लक्ष्य प्राप्त करके दिखा सकती है।