नई दिल्ली,( Shah Times ) । डॉ. के. ए. पॉल, जो एक विश्वविख्यात शांति दूत और ग्लोबल पीस इनिशिएटिव के अध्यक्ष हैं, ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) में वितरित होने वाले लड्डू प्रसादम के बारे में सीबीआई द्वारा जांच की मांग करते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है।
जनहित याचिका (PIL) में लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता और स्वच्छता में कथित गिरावट को लेकर व्यापक चिंताओं को उजागर किया गया है, जो लाखों भक्तों के लिए पवित्र है। राजनीतिक हस्तक्षेप, खरीद में भ्रष्टाचार, और वितरण में पक्षपात की खबरों ने डॉ. पॉल को लाखों लोगों की धार्मिक भावनाओं, आस्था की रक्षा करने और हिंदुओं, ईसाइयों, मुसलमानों की रक्षा करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए प्रेरित किया, जो सीएम चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण द्वारा दिए गए गलत बयानों से पैदा की गई अराजकता से प्रभावित हैं।
PIL में उठाए गए मुख्य मुद्दे:
मिलावट और गुणवत्ता से समझौता: मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा लड्डू प्रसादम की तैयारी में घटिया सामग्री, विशेष रूप से मिलावटी घी का उपयोग करने के आरोपों ने भक्तों के बीच गंभीर चिंताएं पैदा की हैं और इस पवित्र प्रसाद की पवित्रता पर सवाल उठाया है।
राजनीतिक हस्तक्षेप: याचिका में विस्तार से बताया गया है कि राजनीतिक रूप से जुड़े लोग कथित रूप से सामग्री की आपूर्ति के लिए ऊंचे अनुबंधों से लाभान्वित होते हैं, जिससे लड्डू प्रसादम की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
सांप्रदायिक तनाव और धार्मिक अधिकार: याचिका में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और मौलिक धार्मिक अधिकारों के उल्लंघन पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला दिया गया है, जो धर्म का पालन और प्रचार करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
Dr. K. A. Paul, a world-renowned Peace Ambassador and president of the Global Peace Initiative
सीबीआई जांच की मांग: डॉ. पॉल ने लड्डू प्रसादम की खरीद और तैयारी में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोपों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा व्यापक जांच की मांग की है।
याचिका के बारे में डॉ. पॉल ने बताया, “तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम दुनिया भर के हिंदुओं के लिए सबसे बड़े स्थलों में से एक है। लड्डू प्रसादम का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। इसकी पवित्रता से समझौता लाखों भक्तों को प्रभावित करता है और इस संस्थान की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करता है। मैंने भक्तों के हित में यह याचिका दायर की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार हमारे पवित्र परंपराओं को कमजोर न करें।”
याचिका की अनोखी मांग:
PIL में एक महत्वपूर्ण बात जोड़ते हुए डॉ. पॉल ने तिरुपति-तिरुमाला क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने या इसे वेटिकन सिटी की तरह एक संप्रभु धार्मिक राज्य के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव भी रखा है। उनका तर्क है कि इससे मंदिर की पवित्रता की रक्षा और उचित प्रबंधन सुनिश्चित होगा और इसे राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाया जा सकेगा।
जल्द सुनवाई की उम्मीद:
सर्वोच्च न्यायालय के अगले कुछ हफ्तों में इस मामले पर सुनवाई किए जाने की उम्मीद है और डॉ. पॉल को आशा है कि इसका जल्द समाधान होगा, जिससे हर साल तिरुमाला मंदिर आने वाले लाखों भक्तों का विश्वास बहाल होगा।