रुपया अब किसी काम का नहीं, मुद्रास्पफीति की दर तकरीबन 38 प्रतिशत तक पहुंची
International Desk
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में महंगाई की ऊंची दर और डालर के मुकाबले रुपये की गिरती की कीमत के कारण देशवासियों का अपनी मुद्रा में भरोसा टूट गया है। बीते महीने में पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर तकरीबन 38 प्रतिशत तक पहुंच गई।
इस हाल को देखते हुए देश में जिन लोगों के पास पैसा है, वे तेजी सोने और अमेरिकी डालर की खरीदारी कर रहे हैं। अर्थशास्त्रिायों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ)ध से कर्ज मिलने की उम्मीद टूटने के बाद निकट भविष्य में आर्थिक स्थितियों में सुधर की संभावना खत्म हो गई है। इस कारण सोने और डालर की खरीदारी बढ़ गई है। एए गोल्ड कामोडिटीज नाम की कंपनी के निदेशक अदनान अगर ने अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बातचीत में कहा कि आईएमएपफ से क्षरण ना मिलने की स्थिति में निवेशकों की प्राथमिकता सोने और डालर में निवेश करने में बनी रहेगी। या पिफर वे शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे। पिछले हफ़्ते पाकिस्तान सरकार ने स्वीकार किया था कि अब उसे आईएमएफ से मंजूर हुए 6.5 बिलियन डालर का कर्ज मिलने की उम्मीद नहीं है। इसके जारी होने के लिए पाकिस्तान और आईएमएफ के बीच शर्तों पर सहमति बनने लिए समयसीमा 30 जून है, लेकिन अब ऐसा हो पाने की संभावना बहुत कम है। आईएमएफ से )ण न मिलने का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर हुआ है। देश में उद्योगों के बंद होने का सिलसिला जारी है और इस कारण बेरोजगारी बढ़ रही है। इससे लोगों की चिंता बढ़ रही है। ऐसी हालत में जिन लोगों के पास पैसा है, वे गंभीरता से अपने निवेश के विकल्पों के बारे में सोच रहे हैं। अदनान अगर ने कहा कि ऐसी स्थितियों में लोग हमेशा ही अमेरिकी डालर में निवेश करते हैं। लेकिन इस समय पाकिस्तान में डालर की किल्लत है, इसलिए लोग सोने की खरीदारी कर रहे हैं।
अर्थशास्त्रियों को अंदेशा है कि पाकिस्तान सितम्बर 2023 से पहले डिफाल्ट करने को मजबूर हो जाएगा। उसके बाद देश के लिए जरूरी चीजों का आयात करना भी मुश्किल हो जाएगा। इससे और भी ज्यादा संख्या में कारखाने बंद होने लगेंगे। इस बीच जानकारों का कहना है कि सोने में निवेश में लाभ बढ़ गया है। साल 2022 में सोने में निवेश पर सबसे ज्यादा लाभ मिला। इसमें 41 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। इस समय सोने का भाव दुनिया भर में चढ़ा हुआ है।
इसलिए सोने में निवेश पाकिस्तान में भी यह लोगों की प्राथमिकता बना हुआ है। जानकारों ने अनुमान लगाया है कि 30 जून को आईएमएफ के )ण प्रोग्राम की वर्तमान समयसीमा पूरी होने के बाद पाकिस्तानी रुपये की कीमत में भारी अवमूल्यन होगा। तब प्रति डालर 300 रुपये से भी ज्यादा का हो सकता है। अभी एक डालर 285 रुपये का है। जानकारों के मुताबिक अगर पाकिस्तान ने डिफाल्ट किया, तो एक डालर 340 से 350 रुपये तक का हो जा सकता है। मार्केट एजेंसी ताउरस सिक्युरिटीज ने अनुमान लगाया है कि इस महीने के अंत तक एक डालर 295 रुपये का हो जाएगा।