ओखला विधानसभा चुनाव : AAP, Congress और AIMIM के दरमियान दिलचस्प रोचक मुकाबला
दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और AIMIM के बीच कड़ा मुकाबला। मुस्लिम वोटों के बंटवारे से बदलेगा चुनावी समीकरण। जानिए मुद्दे, प्रत्याशी और रणनीतियां
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर खास नजर
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर खास नजर है, और ओखला इनमें सबसे चर्चित सीटों में से एक है। बीते एक दशक से इस सीट पर आम आदमी पार्टी (AAP) का कब्जा है, लेकिन इस बार मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के एंट्री लेने से यह चुनाव बेहद दिलचस्प मोड़ पर आ खड़ा हुआ है।
AAP ने फिर से अपने मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह खान पर भरोसा जताया
AAP ने फिर से अपने मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह खान पर भरोसा जताया है, जो हाल ही में जेल से रिहा हुए हैं। उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई की जांच जारी है, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के बीच उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने अपने पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की बेटी और पार्षद अरिबा खान को उम्मीदवार बनाया है, जो एक युवा और प्रभावी चेहरा हैं। बीजेपी ने इस बार युवा नेता मनीष चौधरी को मौका दिया है, लेकिन असली चुनौती AIMIM के उम्मीदवार शिफा उर रहमान से मिल सकती है, जो दिल्ली दंगों के आरोपी हैं और हाल ही में कोर्ट से प्रचार के लिए राहत मिली है।
चुनावी मुद्दे और मतदाताओं की प्राथमिकता
ओखला का चुनावी मैदान विकास और बुनियादी जरूरतों के इर्द-गिर्द घूम रहा है। सड़क, सीवर, सफाई, जल आपूर्ति, सुरक्षा और रोजगार जैसे मुद्दे प्रमुख हैं, जो आम लोगों की जिंदगी को सीधा प्रभावित करते हैं। हालांकि, यहां धार्मिक और सामाजिक मुद्दों का प्रभाव भी कम नहीं है। पिछली बार सीएए-एनआरसी बड़ा मुद्दा था, तो इस बार दिल्ली दंगे, रोहिंग्या-बांग्लादेशियों का मुद्दा और अल्पसंख्यकों के प्रति केंद्र सरकार की नीतियां चुनावी चर्चा का केंद्र हैं।
AAP पर इस बार “सॉफ्ट हिंदुत्व” अपनाने के आरोप भी लग रहे हैं, जिससे उसके परंपरागत मुस्लिम वोटों में सेंध लग सकती है। AIMIM की एंट्री से वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है, जो कांग्रेस के लिए भी चिंता का विषय है।
मुस्लिम वोटों का बंटवारा और संभावित समीकरण
ओखला सीट पर मुस्लिम मतदाता 50% से अधिक हैं, जिससे यह सीट उनके वोटिंग पैटर्न पर निर्भर करती है। हालांकि, मदनपुर खादर, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, सरिता विहार, जसोला और आली गांव जैसे इलाकों में हिंदू मतदाता भी प्रभावी हैं। आमतौर पर यहां आप और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई रही है, लेकिन इस बार AIMIM मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की पूरी कोशिश कर रही है। अगर मुस्लिम वोटों में बड़ा विभाजन हुआ, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है, जो हिंदू वोटों को एकजुट करने की रणनीति अपना रही है।
क्या ओखला में बदलाव की बयार है?
ओखला में इस बार का चुनाव न सिर्फ उम्मीदवारों के बीच, बल्कि विचारधाराओं के टकराव का भी मैदान बनता दिख रहा है। आम आदमी पार्टी जहां अपने काम और क्षेत्रीय पकड़ के सहारे वापसी चाहती है, वहीं कांग्रेस अपनी पुरानी विरासत और मुस्लिम मतदाताओं में विश्वास जगाने की कोशिश कर रही है। AIMIM की एंट्री ने इस मुकाबले को और पेचीदा बना दिया है, जिससे ओखला सीट पर वोटिंग पैटर्न बदला-बदला नजर आ सकता है।
अगर ओवैसी की पार्टी को पर्याप्त समर्थन मिलता है, तो यह AAP और कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी होगी। दूसरी ओर, अगर मुस्लिम वोट एकतरफा किसी एक पार्टी के पक्ष में चले गए, तो मुकाबला अपेक्षाकृत आसान हो सकता है। बीजेपी के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई से कम नहीं है, क्योंकि हिंदू मतदाताओं को लामबंद किए बिना उसकी राह मुश्किल होगी।
ओखला का चुनावी समर इस बार न सिर्फ उम्मीदवारों की परीक्षा लेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि मुस्लिम बहुल इलाकों की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ रही है। क्या परंपरागत ध्रुवीकरण जारी रहेगा, या कोई नया समीकरण उभरेगा? यह देखने के लिए चुनावी नतीजों तक इंतजार करना होगा।
दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और AIMIM के बीच कड़ा मुकाबला। मुस्लिम वोटों के बंटवारे से बदलेगा चुनावी समीकरण। जानिए मुद्दे, प्रत्याशी और रणनीतियां।