अब बांस की खेती भी दूसरी फसलों की तरह की जा सकती है और इसे बेचने के लिए न तो किसी लाइसेंस की जरूरत पड़ती है और न ही वन विभाग या किसी अन्य सरकारी एजेंसी की इजाजत लेनी पड़ती है।
शाह टाइम्स। कभी ‘गरीबों की लकड़ी’ कहलाने वाला बांस अब किसानों के लिए कमाई का जरिया बन गया है। इसीलिए उसे ‘हरा सोना’ कहा जाता है। आधुनिक तरीकों से इसकी खेती करना गन्ने और कपास जैसी कीमती फसलों से भी ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहा है। इसमें किसानों की आमदनी बढ़ाने की संभावना देखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन और एकीकृत बागवानी विकास मिशन को नए सिरे से शुरू किया गया है, जिसके तहत देश के विभिन्न हिस्सों में बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं लागू की जा रही हैं।
आपको बता दें कि जंगली पौधे के बजाय कृषि फसल के रूप में बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2017 में भारतीय वन अधिनियम के तहत एक अहम संशोधन किया गया, जिसके तहत बांस को ‘पेड़’ के बजाय ‘घास’ की श्रेणी में डाल दिया गया। इससे पेड़ों और दूसरे वन उत्पादों की कटाई, ढुलाई तथा बिक्री पर लगे तमाम तरह के प्रतिबंध बांस से हट गए। वनस्पति विज्ञान में पौधों का वर्गीकरण भी इस कदम को सही ठहराता है, जिसमें बांस को घास के एक विशेष परिवार में रखा गया है। इसमें गेहूं, चावल, जई, राई, मक्का, ज्वार और बाजरा जैसी खाद्य फसलें भी इसी परिवार में आती हैं। अब बांस की खेती भी दूसरी फसलों की तरह की जा सकती है और इसे बेचने के लिए न तो किसी लाइसेंस की जरूरत पड़ती है और न ही वन विभाग या किसी अन्य सरकारी एजेंसी की इजाजत लेनी पड़ती है।
मार्केट में है काफी डिमांड
बांस की मार्केट में काफी डिमांड रहती है। क्योंकि, ये कई चीजों में बांस का इस्तेमाल होता है। खास तौर पर फर्नीचर जैसी चीजों में इसकी डिमांड काफी होती है। तो वहीं इससे साज सज्जा के सामान भी खूब बनाए जाते है। इसके गिलास और लकड़ी के अन्य बर्तन भी बनाए जाते हैं। तो वहीं कुछ किसान इसकी खेती कर शानदार मुनाफा भी कमा रहे हैं।
बांस की खेती करने का तरीका
बांस की खेती करना काफी आसान है। सबसे पहले इसके पौधे को नर्सरी से लाएं। इसके बाद इसकी रोपाई कर दें। इसमें यह ध्यान दें कि रोपाई के लिए गड्ढा 2 फीट गहरा और 2 फीट चौड़ा हो। वहीं, इसके लिए जमीन तैयार करने की जरूरत नहीं होती है। बस ध्यान रहे कि मिट्टी बहुत अधिक रेतीली न हो। रोपाई के बाद अब इसमें गोबर से तैयार खाद का इस्तेमाल करें। वहीं पौधे लगाने के बाद इसकी सिंचाई करनी पड़ती है। इसके पौधे लगाने के तीन महीने बाद पौधे की ग्रोथ होने लगती है। जिसके बाद यह 4 साल में पूरी तरह तैयार हो जाता है।