Report by- Anuradha Singh
New Delhi: संसद(Parliament) में मानसून सत्र चल रहा है और सत्र में विपक्षी दल इस बार मणिपुर हिंसा(Manipur Violence) को लेकर बेहद नाराज है जिसके चलते कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई (Congress MP Gaurav Gogoi)ने मोदी सरकार(Modi Government) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है. क्या आप भी यह सोच रहे है की मणिपुर हिंसा के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने के लिए विपक्ष को अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) क्यों पेश करना पड़ा, आखिर ये अविश्वास प्रस्ताव होता क्या है तो आइये आपको बेहद सरल भाषा में समझाते है.
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
1-अविश्वास प्रस्ताव जिसे अंग्रेजी भाषा में No Confidence Motion कहा जाता है.अविश्वास प्रस्ताव संविधान द्वारा निर्धारित सरकार के बहुमत का परीक्षण करने का तंत्र है।
2-संविधान का अनुच्छेद 75(3) कहता है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा(Loksabha) के प्रति उत्तरदायी है। सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी को परखने के लिए लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) की अनुमति देती है.
3-निचले सदन का कोई भी सांसद, जिसके पास 50 सहयोगियों का समर्थन है, किसी भी समय मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। इसे लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 198 के तहत वर्णित किया गया है।
4-एक बार जब लोकसभा में ‘अविश्वास’ प्रस्ताव (No Confidence Motion) पेश किया जाता है, और अध्यक्ष की राय है कि प्रस्ताव उचित है, तो वह प्रस्ताव को सदन में पढ़ता है। प्रस्ताव को कम से कम 50 सदस्यों का मत मिलना आवश्यक होता है। अगर ऐसा नहीं होता है , तो प्रस्ताव विफल हो जाता है और चर्चा के लिए स्वीकार नहीं किया जाता है।
5-स्वीकार होने के बाद उस प्रस्ताव पर बहस होती है बहस में विपक्ष और से सरकार पर आरोप लगाए जाते है और सरकार को उन आरोपों का जवाब देना होता है बहस खत्म होने के बाद वोटिंग(Voting) होती है.
6-संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद अगर सदन के अधिकतर सांसद अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) के पक्ष में अपना मतदान देते है तो अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है यानि की सरकार को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है. अगर ऐसा नहीं तो उसका मतलब होता है की सरकार ने अपनी जीत दर्ज की है.