HomePoliticsBJPसियासी फिजाओं में छाए घने बादलों से दिल्ली क्यों है परेशान ?

सियासी फिजाओं में छाए घने बादलों से दिल्ली क्यों है परेशान ?

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कांग्रेस ने 1984 में इंदिरा गाँधी जी की हत्या के बाद हुए आम चुनाव में देश व्यापी सहानुभूति की लहर थी और कांग्रेस 400 पार गई थी कांग्रेस,(आई ) अकेली 419 जीतने में कामयाब रही थी


सियासी फिजाओ में जब घने बादल छाने लगते हैं तब यह स्पष्ट होने लगता हैं कि कुछ तो गड़बड़ है साम्प्रदायिकता की आड़ में सत्ता सुख भोग रही भाजपा को क्या यह अहसास हो चला है कि अब धार्मिक धुर्वीकरण से काम चलने वाला नहीं है या अभी भी यह लगता हैं कि इस बार भी चुनावी नय्या हिन्दू मुसलमान करके पार हो जाएगी जो वह करने की भरसक कोशिश करती देखी गई है परन्तु इस बार का चुनावी माहौल देशभर में भाजपा के अनुकूल नहीं रहा है मात्र दो दिनों के बाद पहले दौर का मतदान हो जाएगा ।

लेकिन अभी तक वह अपने ऐजेंडे पर चुनाव को ले जाने पर कामयाब नहीं हो पा रही है यही कारण है कि वह हाफती नज़र आ रही है उसे यह भी भय सता रहा है कि सत्ता जाने के बाद क्या सत्ता में रहते हुए जो मनमर्जी की है उसका हिसाब किताब देना होगा और जो आज दूसरों के लिए कर रहे है वही हमारे साथ भी होगा यही भय उसकी हार का कारण बनने जा रहा है या ये उसकी ताकत बनने का कारण बनने जा रहा है आओ चले कुछ हालात पर रोशनी डालते हैं कि क्या हो रहा है और होने का क्या जा रहा है भाजपा और विपक्ष के बीच क्या अंतर है।

लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का नारा है 400 पार राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है लेकिन हमें यह सोचना और समझना है कि यह संभव है या नहीं या सिर्फ नारा दिया गया है जनता को और विपक्ष को भ्रमित करने के लिए या हकीकत में यह हो भी सकता है ऐसा हुआ भी है इससे इंकार नहीं किया जा सकता हैं लेकिन वह परिस्थितियां अलग थी आज ऐसा नहीं है।

कांग्रेस ने 1984 में इंदिरा गाँधी जी की हत्या के बाद हुए आम चुनाव में देश व्यापी सहानुभूति की लहर थी और कांग्रेस 400 पार गई थी कांग्रेस,(आई ) अकेली 419 जीतने में कामयाब रही थी ‘ये चुनाव अपरोक्ष रूप से इंदिरा गांधी जी की स्मृतियों ने लड़ा था राजीव गांधी जी तो नये ही थे राजनीति में कांग्रेस ने एकतरफा ऐतिहासिक ‌जीत हासिल की थी हालांकि तब पंजाब और असम सहित कुछेक सीटों पर चुनाव‌ नही हुए‌ थे 543 में 516 पर ही चुनाव हुए थे।

अब ये 400 के पार पंहुचने का गणित क्या है कैसे संभव‌ है जब उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड एक था तब यहां 85 सीटें थीं उसमे कांग्रेस ने 83 जीती थी‌ बाकी 2 सीट लोकदल को मिली‌ थी अब ये इतिहास कैसे दोहराया जा सकता हैं ये देखने वाली बात है उत्तर प्रदेश में बहुत अच्छा करने के लिए जाटों के नेता रहे चौधरी चरण सिंह के पोते को अपने साथ मिलाया गया उसके लिए उनके पोते का दिल जीतने के लिए उनके दादा पूर्व प्रधानमंत्री स्वं चौधरी चरण सिंह जी को भारत का सर्वोच्च भारत रत्न जैसा महत्वपूर्ण एवार्ड भी दिया गया वह उसके हक़दार नहीं थे ऐसा नहीं है वह उस एवार्ड के हक़दार थे लेकिन जिस वजह से दिया गया वह गलत माना गया खैर हम इस बहस में नहीं पड़ते हैं उनके पोते को साथ लेने के बाद भी यूपी जैसे बड़े राज्य में क्या भाजपा और उसका गठबंधन सारी सीटें जीतने में सक्षम है ऐसा संभव नहीं लग रहा है।

अमेठी, रायबरेली, मैनपुरी, संभल, मुरादाबाद, आजमगढ़, मुज़फ़्फ़रनगर, कैराना, बंदायू, गाजीपुर व इलाहाबाद क्या ये सीटें फंसी हुई नहीं है, बिहार और झारखंड में कुल मिलाकर 54 सीटों में 48 कांग्रेस के पास थी अब यही समीकरण भाजपा को दोहराना होगा जबकि जमीनी हकीकत यहाँ कुछ ओर बयान कर रही है इन दोनों प्रदेशों में 2019 भी दोहराना मुश्किल हो रहा है अब सवाल है कि बिहार और झारखंड में कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल कुल मिलाकर बहुत मजबूत चुनाव लड़ते दिख रहे है यहां ये उल्लेख करना भी जरूरी है कि भाजपा ने अपने सभी दावपेच किए नैतिक या अनैतिक कुछ नहीं छोड़ा चाहे नीतीश कुमार को यह कहने के बाद भी कि अब कभी नीतीश कुमार को भाजपा अपने साथ नहीं लेगी लेकिन नाक रगड़कर लिया ये हम सबने देखा और गोदी मीडिया के द्वारा यह प्रचार कराया गया कि पलटी राम नीतीश कुमार ने पलटी मार ली जबकि नीतीश कुमार भाजपा की मजबूरी थी ना के नीतीश कुमार की खैर झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन ने भाजपा की वाशिंग मशीन में भाजपा द्वारा लगाएं गए दाग़ से धुल कर साफ़ होने से जब हेमंत सोरेन ने मना कर दिया कि जो दाग़ मेरे में है ही नहीं भाजपा के द्वारा फर्जी दाग़ लगाकर अपने साथ लेने के तरीके को फेल कर दिया गया तो उन्हें जेल भेज दिया गया और वह लालू प्रसाद यादव की तरह जेल चले गए लेकिन भाजपा की मशीन को स्वीकार नहीं किया इस लिए यहां भाजपा को बहुत ज्यादा नुक्सान पहुँच रहा है गुजरात में भाजपा तब एक सीट जीती थी मेहसाणा से पटेल साहब जीते थे हो सकता है यहां कांग्रेस एक भी सीट न पायें यहां मामला कुछ ठीक है मगर मध्य प्रदेश, राजस्थान महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ इन राज्यों में भाजपा को एकतरफा जीतना होगा जैसे कांग्रेस तब जीती थी अब यहां कांग्रेस इतना भी कमजोर नहीं जितना तब भाजपा थी, इन चारों प्रदेशों में भी कांग्रेस भाजपा को उम्मीद से कहीं ज्यादा डेंट लगाती नज़र आ रही है महाराष्ट्र और राजस्थान में भी कांग्रेस या इंडिया गठबंधन बढिया प्रदर्शन करती नज़र आ रही है यहाँ हो रहे भाजपा को नुक्सान की कही अन्य प्रदेश में भरपाई होती नहीं दिख रही है।उत्तर भारत भाजपा का धुर्वीकरण के चलते गढ़ रहा है लेकिन यहाँ भी भाजपा को टक्कर मिल रही है और रही बात दक्षिण भारत की वहां भाजपा ना पहले बेहतर थी और ना आज बेहतर है तो वहां भी उम्मीद नहीं की जा सकती हैं।

दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश को छोड़ दें ज़हां N T रामाराव का वजूद था बाकी राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत ज्यादा शानदार रहा था यहां ये जानना भी आवश्यक है तब केंद्र में कांग्रेस के बड़े बहुमत के सामने N T रामाराव की तेलगुदेशम के 30 सांसद ही मुख्य विपक्षी दल था अब भाजपा दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़कर क्या और राज्यों में बेहतर कर पाएगी जैसे कांग्रेस ने किया था,ऐसा नहीं है और कांग्रेस के हालात कर्नाटक में बहुत बेहतर है वहां भाजपा के लिए नुक्सान के अलावा कुछ नहीं है, पश्चिम बंगाल पहले कम्युनिस्टों का गढ़ था अब तृणमूल का है तो वहां भाजपा और कांग्रेस का मामला बराबर है बाकी छोटे राज्यों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा कुछेक राज्यों में छिटपुट क्षेत्रीय दल‌ रहे बाकी सब कांग्रेस ही‌ जीती थी बाकी पूरे देश में कांग्रेस ही जीती थी तब कांग्रेस 400 सौ पार पहुंची थी क्या भाजपा के ऐसे हालात नज़र आ रहे हैं बिलकुल नही ऐसा प्रतीत हो रहा है कि और इसकी पुष्टि खुद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की हड़बड़ाहट कर रही है उसको इसका अहसास हो चला है कि सरकार बैक नही हो रही है असल में इस चुनाव की सबसे खास बात यह है कि इस चुनाव में धुर्वीकरण नहीं हो पा रहा है जिसकी वजह से भाजपा भाजपा बनी है यही कारण है आज बेरोजगारी और महंगाई का सवाल मुंह बाय खड़ा है जिसका कोई स्पष्ट जवाब भाजपा के पास नहीं है कांग्रेस के द्वारा जो संकल्प पत्र जारी किया गया है उसकी काट भाजपा के पास नहीं है तीस लाख सरकारी नौकरियां हर गरीब महिला को सालाना एक लाख देने का वादा इस दौर में जब बेरोजगार नौजवान सड़कों पर मारा मारा घूम रहा है पुलिस की लाठियां खा रहा है और महंगाई से परेशान महिलाओं को सालाना एक लाख देने का वादा भाजपा के घोषणा पत्र में बेरोजगारी महंगाई का सकारात्मक तरीके से उल्लेख ना करना बल्कि अगर यह कहा जाए कि यह घोषणा पत्र नहीं मोदी नामा ज्यादा लग रहा है तो गलत नहीं होगा।खैर यह सब होने के बाद ये हालात है पूरा देश का रंग भगवा रंग में रंग जाय तब 400 पार संभव है जो हकीकत से कोसों दूर नज़र आ रहा है।इस लिए स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता हैं कि भाजपा के चार सौ पार के दावे में कोई दम नही है यह मात्र एक जुमला है जो विपक्ष और जनता को भ्रमित करने के लिए दिया गया है जिसकी पहले चरण के होने वाले मतदान के पहले ही हवा निकल रही है।

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