जेल में कैदियों ने मधुर गीतों पर जमकर लगाये ठुमके
कैदियों ने पारंपरिक परिधानों में लोक संस्कृति पर आधारित
झोड़ा-चांचरी और कुमाऊंनी नृत्य भी पेश किए
दीपक भंडारी
हल्द्वानी। जिस तरह शायद अस्पताल में दो मरीजों का बिना जान-पहचान के भी एक-दूसरे के दर्द को देखकर मानवता का रिश्ता बन जाता है उसी तरह शायद जेल भी ऐसा स्थान है जहां पर कैदी आपस में एक-दूसरे के प्रति सद्व्यवहार रखते हैं और एक-दूसरे के धर्म को भी मान्यता देते हैं। यही वजह है कि विभिन्नत्योहारों पर हल्द्वानी उपकारागार में जो-जो कार्यक्रम होते हैं उनमेंसभी धर्मों को मानने वाले कैदी एक साथ शिरकत करते हैं। उत्तराखण्ड के लोकपर्व उत्तरायणी के त्योहार को मनाने में उपकारागार एक बार फिर सेसराहना बटोर गया। उपकारागार में कैदियों तथा जेल प्रशासन ने घुघुतिया त्योहार धूमधाम से मनाया।
जेल में घुघुते बनाने के साथ ही इन्हें खिलाने के लिए शुक्रवार सुबह कौवो को बुलाया गया और शाम को सांस्कृतिक संध्या का आयोेजन इतना शानदार रहा कि कैदियों ने मधुर गीतों पर जमकर ठुमके लगाए।कैदियों ने पारंपरिक परिधानों में लोक संस्कृति पर आधारित झोड़ा-चांचरी और कुमाऊंनी नृत्य भी प्रस्तुत किया। कोरोना काल की वजह से इस साल हल्द्वानीमें उत्तरायणी मेले का आयोजन नहीं हो पाया। इससे लोक संस्कृति से जुड़े लोगों को मायूसी रही वहीं दूसरी ओर जेल में कैदियों ने त्यौहार और पकवानों का आनंद लिया।
जेल में सजा काट रहे विदेशी कैदी के नृत्य परलोगों ने तालियां गड़गड़ाईं। लोगों की मांग पर नाईजीरियन कैदी ने दोबारा नृत्य पेश किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का रंग इस कदर चढ़ा कि जेल अधीक्षक मनोज कुमार भी कैदियों के साथ झूमते हुए नजर आए।
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