नई दिल्ली । NEOM IAS एकेदमी का 2 जुलाई 2022 को उद्घाटन डॉ अफरोज-उल हक (कुलपति) हलीमा अजीज विश्वविद्यालय, मणिपुर-इंफाल द्वारा किया गया।
इस एकेडमी का उद्घाटन समारोह जसोला मेट्रो स्टेशन के पास मेट्रो होटल के सभागार में किया गया। कुलपति डॉ अफरोज-उल हक ने अपने विचार व्यक्त हुए कहा कि शिक्षा हमारी पीढ़ी के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है क्योंकि शिक्षा सफलता की ओर पहला कदम है। उन्होंने ताजुद्दीन साहब के बारे में भी बताया की उनको शिक्षा से इतना लगाव है। शिक्षा के लिए हुए सब कुछ लगाने के लिए तैयार रहते हैं। उनोहने विटामिन डी पर रिसर्च किया है।जिसकी तफसील गूगल पर मौजूद है । मुझे बताते हुए अच्छा लगता है। हायर एजुकेशन के लिए ये कदम बहुत ज़रूरी है हमने पुरी दुनिया मे काम करके अपना और अपने देश का न रोशन किया है जो हर कोई कर सकता है। ऊंची शिक्षा के लिए मैं इस एकेडमी को बधाई देता हूं।
उद्घाटन समारोह के अतिथि में डॉ ताजुद्दीन अंसारी (5 राज्यों के खाद्य प्रसंस्करण मंत्री के पूर्व अध्यक्ष) थे और उन्होंने कहा कि शिक्षा सभी के लिए है, और वंचित छात्रों को स्वयं श्री ताजुद्दीन ने सहयोग देने के लिए कहा है। उन्होंने एकेडमी को शुभकामना दी है। उन्होंने बताया कि मैंने कई स्कूल बनाए हैं लोग जानते हैं। मैं बहुत खुश हुआ कि हायर एजुकेशन के लिए आप लोग यह काम कर रहे हैं। आप लोगों को बहुत-बहुत मुबारकबाद। उच्च शिक्षा के लिए हमारे क्षेत्र के बच्चे दूर राजेंद्र नगर या दूसरे क्षेत्रों में नहीं जा सकते क्योंकि इसके लिए बहुत खर्चा है। इल्म का रास्ता मुश्किल जरूर है लेकिन बहुत मजेदार होता है।श्री बदरुद्दीन कुरैशी (पूर्व जामिया मिलिया छात्र संघ अध्यक्ष), महासचिव उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अकैडमी के फाउंडर डायरेक्टर की अहतेशाम अंसारी की दावत पर जलसे को खिताब करते हुए कहा की मेरी तरफ से भी एकेडमी के खुलने मुबारकबाद दी। देश के हालात पर रोशनी डालते कहा कि देश के सबसे बड़े कॉम्पटिशन में जामिया की छात्रा अव्वल नम्बर से पास करती लेकिन दुख होता है कि कुछ गोदी मीडिया के चैनलों को हमारे बच्चों की तरक्की से परहेज है। उन्होंने पिछले साल के जामिया के 42 बच्चों के आईएएस के लिए सिलेक्ट हुए जिसमें हिन्दू मुस्लिम सब थे खुशी का मुकाम था लेकिन एक टीवी चैनल ने इसको बहुत ही गलत भाषा में प्रस्तुत किया था। पवन हंस की लेकर भी उन्होंने बात की। हमारी परेशनिया किसी और कि वजह से नही हैं हम खुद उसके ज़िम्मेदार हैं हम अपने बच्चों को शेर की ज़िंदगी जीने की तरग़ीब देते है जब के शेर और चीते को कभी भी ग़ुलाम बनाया जासकता है हमें भेड़िए की जिंदगी जीना चाहिए जो अपनी पूरी ज़िंदगी मे कभी गुलामाने ज़िंदगी नही जीता जॉइंट फैमली सिस्टम में रहता है अपने माँ बाप की बूढांपे में खयाल रखता है उनके लिए शिकार करके लाता है तुर्की ज़बान में उसको इब्ने अलबार केहते है यानी नेक बेटा भेड़िये के गुण अपने अंदर होने चाहिए। अकैडमी की ज़िम्मेदार हज़रात से एक दरखास्त की जिस तरह से हम आईएएस कोचिंग खोल रहे है या डिग्री कॉलेज , यूनिवर्सिटी में बच्चे पढ़ने कहाँ से आएंगे अगर हमारे पास स्कूल सिस्टम नही होगा । छोटे कारोबारियों को भी जोड़ें उनके लिए वर्कशॉप करें दुनिया से आने फन को रूबरू कराने में भी मदद की ज़रूरत है।
एस एम आसिफ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज नेता कि नहीं आईएस और आईपीएस की जरूरत है। आज हमारे पिछड़ेपन की वजह शिक्षा ही है क्योंकि हमने पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया।
कासिम हफीज (आईएएस) आईआईटी रुड़की ने अपने विचार रहते हुए कहा कि आज इंफॉर्मेशन तो बहुत है लेकिन मिसगाइडेड है इसलिए सही दिशा होनी जरूरी है। ट्यूब और गूगल सब कुछ नहीं है। दो-तीन महीने मैं आईएएस आईपीएस नहीं बना जा सकता इसके लिए साल 2 साल की मेहनत चाहिए।
यूपीएससी का कोई शॉर्टकट नहीं है। दीमाग में नेगेटिव चीजें नहीं आनी चाहिए। बात उन्हीं की होती है मैं कोई बात होती है। बच्चों में पोटेंशियल बहुत है, इनको डायरेक्शन की जरूरत है। टीचर गूगल मैप की तरह होता है आपको मंजिल तक पहुंचा देता है। गाइडेंस तो आपको लेना ही होगा
डॉ वसीम राशिद साहिबा जो कि एक उर्दू कवियत्री, पत्रकार है, गूगल के साथ काम कर रही हैं उन्होंने इस सेंटर के खुलने पर खुशी जाहिर की और इस एकेडमी के डायरेक्टर और को डायरेक्टर को मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा की टीचर हमेशा यीशु रहता है वह हमेशा पढ़ाना चाहता है। इस पौधे की बहुत सख्त जरूरत थी जो आज आईएएस एकेडमी के नाम पर शुरू हुआ है। यह भी एक तरह का सदका ए जारिया है। यह काम अल्लाह ताला हर एक से नहीं लेता, लोगों को चुनता है। जिंदगी जिंदगी गुजरती है उजालों की तरह है, याद रखते हैं लोग उन्हें मिसालों की तरह। इल्म वालों को कभी मौत नहीं आती है।
प्रोफेसर डॉक्टर अब्दुल कय्यूम अंसारी मुबारकबाद देते हुए कहा कि मेरी दुआ और मेरी सेवा हमेशा इस एकेडमी के साथ रहेगी। इतना लंबा तजुर्बा शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि आईएएस बहुत टॉप क्लास के स्टूडेंट नहीं बनते, बहुत अमीर घरानों की बच्चे भी आईएएस नहीं बनते। न वे टॉपर होते हैं ना वे अच्छे ईदारों से पढ़े हुए होते हैं। यह मैं अपने लंबे तजुर्बे के के बाद बता रहा हूं। यह मुमकिन नहीं है कि हम शाम को टी टेलीविजन के सामने बैठे रहे और बच्चों से कहें पढ़ाई करो। इसलिए बच्चों के साथ बैठना पड़ेगा। हमारे यहां बिहार में निहार में पढ़ने का फैशन होता था यानि 04 बजे सुबह। जो बच्चा बिन सेहरा नहीं पढता था उसको कहते थे कि यह बच्चा पढ़ने वाला नहीं है। यह पढ़ाकू नहीं है। उन्होंने बुशरा बानो का उदाहरण दिया और कहा की हालात कभी रुकावट नहीं बन सकते क्योंकि यह उन्होंने करके दिखाया है। वह दो बच्चों की मां होते हुए आईएएस बनी है।
उन्होंने रामानुजन का उदाहरण भी दिया और कहा कि रामानुजन ने मैथमेटिक्स को मंदिर की फर्श पर बैठकर की। उनकी मिसाल झूठलाई नहीं जा सकती। बच्चों से ज्यादा मां-बाप को मेहनत करनी है। मेहनत के नाम पर जज्बात की कुर्बानी देनी है। एकेडमी में पढ़ने से बच्चे एक दूसरे की मदद करते हैं। बच्चों को ताने और मिसाले देने की जरूरत नहीं है, उनके हौसलों को बढ़ाने की जरूरत है।
डॉ. शकील-उल-ज़मा अंसारी ने मुबारकबाद देते हुए कहा कि ताजुद्दीन साहब का गरीब बच्चों की मदद के लिए बहुत शुक्रिया अदा किया। उन्होंने आगे कहा कि हमें इल्म को अपना मकसद बनाना पड़ेगा, तब ही हम सरवाइव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज 95% मुस्लिम लोग नमाज अदा नहीं करते हैं। कार्यक्रम पहले जो रखते थे बाद नमाज मगरिब, बाद नमाज जोहर, बाद नमाज असर, इस तरह से रखते थे लेकिन आजकल इसका ख्याल नहीं रखा जाता। यह हमें सबसे पहले अपने खालिक को राजी करने वाला काम करना है। जब तक हम सही अमल नहीं करेंगे तब तक हम सही इंसान नहीं हो सकते हैं।
मुफ्ती अब्दुल राजिक साहब, जनरल सेक्रेटरी, जमात ए उलेमा ए हिंद ने एहतेशाम साहब को इस मुबारक एकेडमी और मिशन के लिए मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि जो दर्द डॉक्टर वसीम राशिद साहिबा ने बयान किया है वह यकीनन हमारे मुस्लिम इलाकों की बहुत बड़ी बीमारी है उसका इलाज जरूरी है। वह कौम जिसने दुनिया को जीने का तरीका सिखाया, तमाम चीजों का सलीका सिखाया। कैसी तिजारत करनी है, कैसे आगे बढ़ना है। बच्चों पर नजर भी रखें, कि हमारा बच्चा क्या कर रहा है, मोबाइल पर क्या देख रहे हैं। जिस कौम ने रोशनी दी है, वह कॉम आज रोशनी के लिए दर-दर भटक रही है। हम लोग शादी ब्याह में दो बहुत खर्चा करते हैं लेकिन एजुकेशन पर बिल्कुल खर्चा नहीं करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में एकेडमी के डायरेक्टर और को डायरेक्टर ने भी उपस्थित मेहमानों को संबोधित किया और इस एकेडमी की बारे में बताया।
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