अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहनों की गति को बरकरार रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को विभिन्न क्षेत्रों, विशेष तौर पर निर्यात क्षेत्रों की उधारी की जरूरतों पर ध्यान देने के लिए कहा है। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बैंकों को अक्टूबर से देश के सभी जिलों में ऋण आवंटन के लिए विशेष अभियान चलाने को कहा है। बैंकों ने 2019 में भी इस तरह की कवायद की थी। अक्टूबर 2019 से मार्च 2021 के बीच करीब 4.94 लाख करोड़ रुपये मूल्य के ऋण का आवंटन किया गया था। यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब अर्थव्यवस्था में ऋण वृद्घि 6 फीसदी के करीब है। कंपनियां पूंजी की अपनी जरूरत पूरी करने के लिए पूंजी बाजार का रुख कर रहे हैं इसलिए ऋण उठाव को बढ़ावा देने के लिए बैंकों का ध्यान खुदरा श्रेणी पर है। सीतारमण ने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह निष्कर्ष निकालना सही होगा कि ऋण की मांग कम है। हालांकि किसी संकेत का इंतजार किए बगैर हमें उधारी तेज करने के लिए कदम उठाने चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा कि बैंकों को निर्यात संवद्र्घन एजेंसियों के साथ-साथ उद्योग एवं वाणिज्य निकायों से संपर्क करने को कहा गया है ताकि निर्यातकों की उधारी की जरूरतों का समय पर समाधान हो सके। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उभरते क्षेत्रों की मदद के लिए उनकी वित्तीय जरूरतों को समझने का भी निर्देश दिया गया है। बैंकों को पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी विशिष्टड्ढ योजनाएं तैयार करने को कहा गया है। इन राज्यों में जमाएं बढ़ी हैं और वित्त मंत्री ने कहा कि इन क्षेत्रों में कारोबारी इकाइयों के लिए ऋण सुविधाएं बढ़ानी चाहिए जिससे क्षेत्र में वृद्घि को बढ़ावा मिल सके। वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सराहना करते हुए कहा कि बैंकों ने सामूहिक तौर पर अच्छा प्रदर्शन किया है और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई से बाहर आए हैं। महामारी के दौरान डीबीटी लाभार्थियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने में भी बैंकों ने अच्छा काम किया है। सीतारमण ने कहा कि कहा कि बैंकों ने दिखाया है कि वे अपनी वृद्घि की जरूरतों के लिए बाजार से पूंजी जुटाने में सक्षम हैं। वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव देवाशिष पांडा ने कहा कि बैंकों ने पिछले साल बाजार से करीब 69,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। इनमें से 10,000 करोड़ रुपये इक्विटी पूंजी के थे। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीने में बैंकों ने 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा पूंजी जुटाई है। वित्त मंत्री ने यह भी दोहराया कि केंद्र सरकार रणनीतिक महत्त्व वाले क्षेत्रों में न्यूनतम मौजूदगी रखेगी। बैंक, वित्तीय संस्थान और बीमा को रणनीतिक क्षेत्र माना गया है, ऐसे में सरकार इन क्षेत्रों से पूरी तरह बाहर नहीं निकलेगी लेकिन अपनी उपस्थिति न्यूनतम करेगी।
टैक्स देने वालों को मिलेगी रियायत
नरेन्द्र मोदी की सरकार मानव हस्तक्षेप के बिना (फेसलेस) कर आकलन योजना में बदलाव की संभावना पर विचार कर रही है। इसकदम का मकसद 200 करोड़ रुपये से अधिक आय वाले प्रमुख करदाताओं को छूट देना है, जिसमें वे अपनी मर्जी से फेसलेस या क्षेत्राधिकार आकलन को अपना सकते हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय कराधान और पूंजी लाभ जैसे क्षेत्रों से संबंधित मामलों को कर विभाग के अंतर्गत विशेषज्ञ टीम द्वारा देखा जाएगा और जरूरत पडने पर जटिल मामलों को पहले की तरह क्षेत्राधिकार आकलन अधिकारी के पास भेजा जाएगा। इसके साथ ही फेसलेस आकलन के दौरान स्थानीय और क्षेत्रीय सीमाओं की अड़चनों को दूर करने पर भी चर्चा की गई। मामले की जानकारी रखने वाले एक सरकारी सूत्र ने बताया, वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग को उद्योग के हितधारकों से इस तरह के कई सुझाव प्राप्त हुए हैं। हम प्रत्येक प्रस्ताव के गुण-दोष का मूल्यांकन कर रहे हैं और देख रहे हैं कि इसमें किसी बदलाव की गुंजाइश है या नहीं। उन्होंने कहा, फेसलेस योजना अभी आकार ले रही है, ऐसे में इसे करदाताओं के लिए व्यावहारिक बनाने पर लगातार काम करने की जरूरत है।
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