करोड़ों का घोटाला खोला था तो माफियाओं ने दाग दी थी गोलियां
मुजफ्फरनगर । जिले में समाज कल्याण अधिकारी रहे रिंकू सिंह राही ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण कर 683 वी रैंक हासिल की है। जनपद में वर्ष 2009 में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए रिंकू सिंह राही ने करोड़ों का घोटाला खोला था। इसके चलते माफियाओं ने उन्हें 7 गोलियां दागकर मौत के घाट उतारने का प्रयास किया था लेकिन वह बच गए थे। चेहरे पर गोलियां लगने के कारण उनका मुंह खराब हो गया था और एक आंख की रोशनी चली गई थी।
मूल रूप से जनपद अलीगढ़ निवासी रिंकू सिंह राही ने भ्रष्टाचार के आगे हार नहीं मानी थी और उन्होंने 100 करोड़ के घोटाले के सबूत जमा करते हुए कई बैंकों में जिला समाज कल्याण अधिकारी के नाम से खोले गए फर्जी खातों का खुलासा करते हुए विभागीय गबन का पर्दाफाश किया था। इन खातों में सरकार से आने वाली छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति के चेक जमा कराए गए थे। खुलासा होने पर उन्होंने इसकी जानकारी तत्कालीन सीडीओ सिया राम चौधरी दी तो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया शासन स्तर से जांच हुई तो घोटाले की परतें खुलती चली गई और माफियाओं के नाम उजागर हुए।
रिंकू सिंह राही प्लानिंग ऑफिस के आवासीय दफ्तर में रह रहे थे 26 मार्च 2009 को सवेरे उन पर उस वक्त गोलियां बरसा दी गई थी जब वह अपने सहकर्मी के साथ आवास के बाहर बैडमिंटन खेल रहे थे। गोली लगने के कारण रिंकू सिंह राही का जबड़ा बाहर आ गया था और उन्हें मेरठ के हायर सेंटर पर भर्ती कराया गया था।
करीब एक माह उपचार के बाद वह सही होकर लौटे। लेकिन उनका जबड़ा डैमेज हो गया था और एक आंख से कम दिखाई देने लगा था। पुलिस ने इस मामले में जांच करते हुए एक नेता समेत 8 लोगों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। फरवरी 2021 को एमपी एमएलए कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए चार लोगों को 10 साल का आजीवन कारावास और चार लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।
लखनऊ अनशन के दौरान उन्हें भेजा गया था मेंटल हॉस्पिटल
रिंकू सिंह राही पर 2009 में जानलेवा हमला हुआ इसके बाद उन्होंने आरटीआई के तहत कुछ जानकारियां मांगी तो एक वर्ष बीतने के बाद भी उन्हें सूचना ही नहीं दी गई जिस पर रिंकू सिंह राही ने 26 मार्च 2012 को लखनऊ निदेशालय के बाहर आमरण अनशन शुरू कर दिया था पुलिस ने उन्हें वहां से उठाकर मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया था रिंकू सिंह राही के मुताबिक एक दिन वहां रखने के बाद उन्हें अलीगढ़ में शिफ्ट कर दिया गया था।
~ नदीम सिद्दीकी
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