चौतरफा घिरे बंशीधर भगत
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने जनता के बीच कराई संगठन और सरकार की किरकिरी
भगत के बयान से दुखी मुख्यमंत्री को मांगनी पड़ी डा. इंदिरा से माफी
शाह टाइम्स संवाददाता
हल्द्वानी। राजनीति में एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप साधाण बात है। लेकिन सार्वजनिक रूप से जिस तरीके की अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष
बंशीधर भगत ने नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के लिए किया है उसमें वे चौतरफ़ा निंदा से घिर गए हैं। भगत इस समय अपनी जुबान को लेकर हर किसी के निशाने पर हैं। एक महिला के अपमान का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है जिससे सियासी
भूचाल आने की पूरी संभावना बनी हुई है। इस मुश्किल से पार पाने में भाजपा संगठन और सरकार अपने आप को असहज़ महसूस कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को तो भगत के बयान पर व्यक्तिगत रूप से नेता
प्रतिपक्ष से माफी मांगनी पड़ गयी। यह मामला भाजपा आलाकमान तक भी पहुंच गया है। देवभूमि में राजनीति की संस्कृति राज्य गठन के बाद से ही पूरे देश से भिन्न रही है। याद करें कि जब 2012 के बाद का दौर शुरू हुआ तो
राजनीति ने जिस तरह से साम्प्रदायिकता का चोला ओढ़ा था उस समय भी देवभूमि
साम्प्रदायिक ताकतों से दूर रही। यहां पर भाजपा ने पूरे देश में जिस साम्प्रदायिक एजेंडे पर चुनाव लड़ा उसका कोई असर 2017 के चुनाव में भी नहीं दिखा। कहने का तात्पर्य यह कि यह पहाड़ी राज्य अपनी संस्कृति, तपोभूमि, ऋषि, मुनियों की बड़ी कद्र करता है और आपसी भाईचारा तथा सौहार्द की मिसाल रहा है। यही वजह है कि साम्प्रदायिकता का चुनावी कार्ड यहां की राजनीति में कभी मुद्दा नहीं बन पाता। और यही वो वजह है कि यहां पर नेताओं के उलटे सीधे बयान पर पब्लिक इस कदर खफा हो जाती है कि सियासी भूचाल तक उठ खड़ा होता है। जिससे राजनीतिक पार्टियों तथा उनके नेताओं में भी भय पैदा हो जाता है। मंगलवार को भीमताल में पार्टी के एक कार्यक्रम
में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए बंशीधर भगत ने जिस भाषा का प्रयोग डा. इंदिरा हृदयेश के लिए किया उसने उनकी किरकिरी कराने में चंद मिनट ही लिए।
यहां से देहरादून और दिल्ली तक मामला पहुंच गया। भाजपा को सियासी नफा-नुकसान की चिंता ने इस कदर भयभीत कर दिया कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को रात में एक बजे डा. इंदिरा हृदयेश से माफी मांगनी पड़ गयी।
वहीं इस मामले में भगत की भद्द खूब पिट रही है। तमाम सियासी पार्टियों के निशाने पर इस समय सिर्फ भगत ही हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जमकर निंदा की जा रही है। इतना ही नहीं उनकी पार्टी की विचारधारा तक के लोग उनके इस कृत्य को गलत ठहराकर निंदा कर रहे हैं। भगत के अपशब्दों का वीडियो भी
सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। उनकी भाषा को लेकर लोगों में खासा
आक्रोश देखने को मिल रहा है। ज्ञात हो कि भगत मज़े-मज़े में चुटकी लेने में माहिर समझे जाते हैं लेकिन उनकी इस बार की चुटकी उन्हें कहीं भारी न पड़ जाए। वैसे भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के बाद से भगत दो तीन बार ऐसे विवादित बयान दे चुके हैं जिनकी वजह से उनकी आलोचनी भी हुई है मगर फिर भी
भगत हैं कि अति उत्साह में अपनी जुबान पर काबू नहीं रख पाते हैं। बंशीधर भगत की तुलना लोग अब बड़बोले के रूप में भी कर रहे हैं।
.....और हां! शर्मनाक तो यह भी कम नहीं
बंशीधर भगत का बयान जितना शर्मनाक है उतना ही शर्मनाक यह भी है कि जिस
मंच से भगत नेता प्रतिपक्ष की उम्र को लेकर टिप्पणी कर रहे थे वहां पर कुर्सियों पर राज्यमंत्री से लेकर पालिका अध्यक्ष तक मौजूद थे जो भगत की बात पर ठ्ठठे मारते-मारते लोट-पोट हुए जा रहे थे। जो वीडियो वारयल हो रहा
है उसमें जिस तरीके का व्यवहार डा. इंदिरा हृदयेश पर टिप्पणी के बाद भाजपा नेताओं तथा दायित्वधारियों का देखने को मिल रहा है उससे लोगों में और भी ज्यादा आक्रोश बना हुआ है। भगत की टिप्पणी पर उन भाजपा नेताओं की
हंसी भद्रजनों को बेहद लज्जित कर देने वाली है। देवभूमि में सार्वजनिक रूप से महिलाओं के अपमान पर खीसें निपोरने वाली संस्कृति की मिसाल भाजपा नेताओं ने ही पेश की है।
Leave a Reply