अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन ने संकेत दिए हैं कि वे देश की खराब हो चुकी छवि को सुधारने के लिए तेजी से काम करेंगे। अमेरिका के डिप्लोमैट, इंटेलीजेंस और मिलिट्री सर्विस से जुड़े लोगों को सम्मान दिलाना उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है।
दूसरे देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों के लिए खासतौर से ज्यादा सधा हुआ और सहानुभूति भरा रवैया अपनाया जाए। अमेरिका में बदलाव का यह संदेश दुनिया की कई राजधानियों में सुनाई दे सकता है। यही संदेश बाइडेन ने वोटर्स को दिया था, जिसने उन्हें डोनाल्ड ट्रम्प पर निर्णायक जीत दिलाई थी। यह दुनिया में अमेरिका की असरदार वापसी का संकेत है।
दो मुद्दों पर ट्रम्प से बिल्कुल अलग राय रखते हैं बाइडेन
- ऐसा बहुत कुछ है जो बाइडेन अपने शासन के पहले 100 दिनों में कर सकते हैं। वे जलवायु परिवर्तन पर किए गए पेरिस समझौते में दोबारा शामिल होने का इरादा पहले ही जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने साफ कर दिया है क्लाइमेट चेंज का मुद्दा उनके एडमिनिस्ट्रेशन के लिए सबसे अहम होगा।
- उन्होंने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन से अमेरिका के रिश्ते दोबारा बहाल करने के अपने इरादे का भी ऐलान कर दिया है। यह दिखाता है कि अमेरिका भी कोरोना वायरस से हो रहे विनाश को रोकने के लिए दुनिया के बाकी देशों के साथ शामिल हो जाएगा।
बाइडेन से उम्मीदें
बाइडेन से यह उम्मीद भी की जाती है कि वे लोकतांत्रिक देशों का एक शिखर सम्मेलन बुलाएं। इसमें चीन, रूस, सऊदी अरब या तुर्की, जहां भी मानवाधिकारों के हनन के मामले सामने आ रहे हैं, उन्हें उजागर करने के लिए अमेरिका को फिर से तैयार करें।
इसी के साथ वह ईरान के साथ परमाणु समझौते को दोबारा अमल में लाने के रास्ते तलाशें। परमाणु हथियारों को सीमित करने के लिए न्यू स्टार्ट संधि (स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी) के लिए रूस को तैयार करें। उम्मीद है कि बाइडेन यमन के गृहयुद्ध में सऊदी अरब के दखल को अमेरिकी समर्थन खत्म कर देंगे।
सीनेट में रिपब्लिकंस के बहुमत से मुश्किल होगी
टीम बाइडेन की बातों से ऐसा लग रहा है जैसे वे देश की विदेश नीति के अनुभवी और पेशेवर लोगों को जिम्मेदारी सौंपेंगे। अगर ट्रम्प की रिपब्लिक पार्टी सीनेट में बहुमत बनाए रखती है, तो बाइडेन की ओर से की गई नियुक्तियों को उनकी मंजूरी की जरूरत होगी। इसमें रिपब्लिकंस अड़ंगा लगा सकते हैं।
इन मुद्दों पर ट्रम्प जैसे होंगे बाइडेन
डेमोक्रेट के बहुमत वाली सीनेट भी अमेरिकी नीतियों में बड़े नाटकीय बदलाव नहीं करेगी। बाइडेन चीन के साथ ट्रेड वॉर कम कर सकते हैं, लेकिन 5G नेटवर्क या दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों जैसे विवादास्पद मुद्दों पर मतभेद फिलहाल बने रहेंगे।
ट्रम्प सरकार की ओर से रूस पर लगाई गई पाबंदियां बाइडेन के राज में भी हटने की उम्मीद नहीं है। ट्रम्प के कार्यकाल में उत्तर कोरिया को लेकर अमेरिका के रुख में काफी बदलाव आया था। इजरायल-फिलिस्तीनी विवाद के प्रति भी ट्रम्प का नजरिया एकतरफा था। हालांकि, इन मुद्दों पर अमेरिका को इससे फर्क नहीं पड़ता कि व्हाइट हाउस में कौन है।
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