‘इंपार’ ने जताई गंभीर चिंता
नई दिल्ली। मुस्लिम बुद्धिजीवियों का थिंक टैंक इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (IMPAR) उत्तरकाशी, उत्तराखंड में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव (Communal Tension) से चिंतित है। भड़काऊ नारों के साथ मुसलमानों के घरों पर हमले, और सदियों पुरानी दरगाहों के लक्षित विध्वंस सहित हाल की घटनाओं ने उत्तराखंड में गंभीर स्तिथि पैदा कर दी है। इंपार ने इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत जताई।
इंपार (IMPAR) की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि उत्तराखंड में पिछले कुछ हफ्तों में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया है, और यह परेशान करने वाला है कि अधिकारी समस्या का समाधान करने के लिए कुछ नहीं दिख रहे हैं। सभी समुदायों के बीच एकता विकसित करने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए, IMPAR का मानना है कि इन चिंताओं को तुरंत दूर करना अनिवार्य है।
अवैध अतिक्रमण के नाम पर मुस्लिम दरगाहों को ढहाना व परिवारों को बेदखल करने के राज्य सरकार के अभियान के असंगत प्रभाव ने बढ़ते तनाव की नींव रखी थी।
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आगे कहा गया है कि हाल ही में पुरोला जिले में एक नाबालिग लड़की का अपहरण, जिसके लिए जितेंद्र सैनी नाम के एक हिंदू व्यक्ति और एक मुस्लिम व्यक्ति उबेद खान की गिरफ्तारी हुई, ने “लव जिहाद” के बहाने झूठा आरोप लगाते हुए स्थिति को सांप्रदायिक रंग दे दिया है। यह घटना एक परेशान करने वाला सवाल उठाती है कि 23 वर्षीय सैनी की मुख्य भूमिका के साथ अलग-अलग धर्मों के दो युवकों के अपराध को “लव जिहाद” शब्द के साथ जोड़कर एक सांप्रदायिक मोड़ दिया जा सकता है। इसके परिणाम स्वरुप मुस्लिम समुदाय निशाने पर है सिर्फ इसलिए कि कृत्य में शामिल नामों में से एक अल्पसंख्यक समुदाय का है।
इसके अतिरिक्त, चिल्यानीसौर ब्लॉक (Purola district) में नफरत भरे भाषणों की कथित घटनाओं के बावजूद, पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे सरकार की निस्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। चिंताजनक घटनाओं में अल्पसंख्यकों (Minorities) के स्वामित्व वाले व्यवसायों को बंद करना, सदियों पुरानी दरगाहों का लक्षित विध्वंस और बढ़ती अशांति के परिणामस्वरूप क्षेत्र से मुसलमानों का पलायन शामिल है। यह भी चिंताजनक है कि “छोड़ो या परिणामों के लिए तैयार रहो” कहने वाले पोस्टरों के संबंध में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। इनमें अल्पसंख्यक समुदाय (Minority community) के लोगों अपनी दुकानों और घरों को खाली करने की धमकी दी गई है। हालांकि पुलिस ने पोस्टर्स को हटा कर अच्छा काम कियाI ये घटनाएं निष्पक्ष जांच की तत्काल आवश्यकता की मांग करती हैं।
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IMPAR का विश्वास है कि कुछ राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों के लिए राज्य के संकट को भड़का रहे हैं। इन घटनाओं की आवृत्ति राज्य के भीतर विभाजन और भय के बीज बोने के लगातार प्रयास को दर्शाती है। विभाजनकारी विचारधाराओं के प्रसार को रोकने और सभी समुदायों की सुरक्षा, सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों, सामुदायिक नेतृत्व व जनप्रतिनिधियों को एक साथ काम करना अनिवार्य है। भविष्य में इसी तरह की त्रासदियों से बचने के लिए, हम अभद्र भाषा और भीड़ हिंसा के खिलाफ उपायों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को लागू करने की जोरदार मांग करते हैं। नफरत से भरी मौजूदा गतिविधियां हमारे देश को नुकसान ही पहुंचाएंगी। शांति और सद्भाव के माहौल को बढ़ावा देना समय की मांग है।
IMPAR एकता, आपसी सद्भाव को बढ़ावा देने और सभी के लिए न्याय और समानता की वकालत करने के लिए प्रतिबद्ध है। अपने प्रयास में, हमने कुछ क्षेत्रों का दौरा करने और राज्य के माननीय मुख्यमंत्री के साथ एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक की योजना के अलावा इस संबंध में मुख्यमंत्री सहित उत्तराखंड के विभिन्न अधिकारियों और अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष को भी लिखा है। हम उत्तराखंड में प्रभावित समुदायों के साथ खड़े हैं और क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द बहाल करने के लिए त्वरित कार्रवाई का आह्वान करते हैं।