मियाजाकी आम कि कीमत इतनी ज्यादा क्यों होती हैं ? जहां आपको हर तरह के आम बाजारों में आसानी से मिल जाएंगे। लेकिन ये आम आपको आसानी से नहीं मिल पाता है
New Delhi , (Shah Times) । गर्मियों के मौसम में आम सभी की पसंद होता है। आम फलों का राजा कहलाता हैं और सीजन में आम सभी लोग मजे से खाते हैं। इस फल की सबसे अच्छी बात यह है कि यह कई वैरायटी का आता है। सफेदा, देसी, चौसा, लंगडा सभी का स्वाद एक-दूसरे से अलग और स्वादिष्ट होता है।
इस कड़ी में हम आज आपको ऐसे आम के बारे में बताने वाले हैं जो लोगों की पसंदीदा लिस्ट में सबसे पहले आता है वो जापान का मियाजाकी आम। जहां आपको हर तरह के आम बाजारों में आसानी से मिल जाएंगे। लेकिन ये आम आपको आसानी से नहीं मिल पाता है और उसकी वजह है इसकी कीमत। जिसकी वजह से ये आम आदमी की पहुंच से दूर है क्योंकि इसकी कीमत ढाई लाख रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा है। अब इस आम को भारत में भी उगाया जाने लगा है।
आपको बता दें कि उडुपी के एक किसान ने अपने घर की छत पर मियाजाकी आम उगाया है। जी हां उडूपी के शंकरपुरा में रहने वाले इस किसान का नाम जोसेफ लोबो है।उन्होंने मियाजाकी आम को घर के छत पर लगाकर एक्सपेरीमेंट किया था जिसमें वो सफल हुए।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जोसेफ लोबो ने बताया है कि मियाजाकी आम जब कच्चा होता है तो इसका रंग बैंगनी होता है। उन्होंने यह पौधा तीन साल पहले लगाया था। लेकिन बीते सालों में उनके पेड़ों पर मंजर तो आए लेकिन आम सही से नहीं निकले।लेकिन इस साल उनके पेड़ पर सात फल उगे हैं और वो मियाजाकी आम की खेती करने में सफल हो गए हैं।
मियाजाकी आम कि कीमत इतनी ज्यादा क्यों होती हैं?
बताया जाता हैं की इन आम की खासियत यह है कि ये बाकी आमों की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा शुगर कॉन्टेंट होता है। इसके अलावा इसमें, एंटीऑक्सीडेंट, बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड पाया जाता है। इस वजह से ये आम उन लोगों के लिए फायदेमंद का माना जाता है जिनकी आंख की रोशनी कम होती है।
आपको बता दें कि इस आम की फसल करना बहुत मुश्किल है।
इसको सही से उगाने और अच्छी तरह से पकाने तक में काफी मशक्कत करना पड़ती है। इस आम को एक छोटे से जाल में लपेटते हैं। ताकि इनपर सूरज की रोशनी समान रूप से पड़े और पूरे आम का रंग गहरा लाल हो सके। इसके अलावा इस आम को तोड़ा नहीं जाता है बल्कि पेड़ के नीचे जाल लगाया जाता है जिसमें ये आम खुद गिरता है। इस आम के साइज और कलर की वजह से इसे ‘एग्स ऑफ़ सन’ यानी ‘सूरज के अंडे’ कहा जाता है।