नई दिल्ली, ( शाह टाइम्स) । जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia ) की फैकल्टी ऑफ डेंटिस्ट्री, ने कर्रेक्टिंग फेशियल एसिमेट्री पर आईसीएमआर द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय व्यापक ऑर्थो-सर्जिकल हैंड्स-ऑन वर्कशॉप का आयोजन किया। फेशियल एसिमेट्री के जटिल मामलों का इलाज करने के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने के लिए सर्जन और ऑर्थोडॉन्टिस्ट को प्रशिक्षित करने के इरादे से कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस मामले में व्यापक प्रबंधन के लिए सर्जन और ऑर्थोडॉन्टिस्ट को सहयोग से काम करने की आवश्यकता है।
कार्यशाला के पहले दिन डॉ. धीरेंद्र श्रीवास्तव पूर्व डीन ईएसआईसी नई दिल्ली, डॉ. तूलिका त्रिपाठी, वरिष्ठ प्रोफेसर, मैड्स, कोच्चि से डॉ. शेरी पीटर, मैंगलोर से डॉ. दिनेश कदम, प्लास्टिक सर्जन और ईएसआईसी डेंटल कॉलेज दिल्ली से डॉ. हरप्रीत सिंह जैसे दिग्गजों के ज्ञानवर्द्धक व्याख्यान शामिल थे। मेलबर्न के रॉयल चिल्ड्रन हॉस्पिटल में क्लिनिकल प्रोफेसर और सीनियर ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. एंड्रयू हेगी ने जन्मजात विषमता पर एक ऑनलाइन व्याख्यान प्रस्तुत किया।
दूसरे दिन दो हैंड्स ऑन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। एक हैंड्स-ऑन वर्कशॉप, जो विशेष रूप से फैकल्टी के लिए थी, यह स्टीरियोलिथोग्राफिक मॉडल पर थी| एसिमेट्री मामले के प्रबंधन में ज़रूरी कदम उठाने के लिए ओरल मैक्सिलोफेशियल सर्जन और ऑर्थोडॉन्टिस्ट की एक टीम शामिल थी। इस कोर्स के लिए रिसोर्स पर्सन्स में मीनाक्षी अम्मल डेंटल कॉलेज के डॉ. अनंतनारायणन, डॉ. रत्ना पद्मनाभन और डॉ. बालाजी, चेन्नई के एसआरएम डेंटल कॉलेज के डॉ. एलावेनिल और जयपुर की डॉ. नेहा कट्टा शामिल थे। दूसरा कोर्स मटेरियलाइज़ प्रोप्लान सॉफ्टवेयर पर फेशियल एसिमेट्री के मामले की 3-डी वर्चुअल सर्जिकल प्लानिंग पर था जो चेहरे की विषमता के मामले की योजना बनाने के लिए एक समकालीन दृष्टिकोण है। यह हैंड्स-ऑन कोर्स भगवान महावीर जैन अस्पताल, बैंगलोर के डॉ. दीपेश राव और डॉ. अरविंद शिवकुमार द्वारा संचालित किया गया था।
वर्कशॉप का उद्घाटन जामिया की वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर (पद्म श्री) ने किया, जो इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। प्रो. अख्तर ने कहा कि जामिया शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों में हमेशा सबसे आगे रहा है और इस प्रकार NAAC से A++ मान्यता प्राप्त की है और वर्तमान में NIRF में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तीसरे स्थान पर है। डॉ. कीया सिरकर, डीन, दंत चिकित्सा संकाय ने विषय की प्रासंगिकता और इस तरह की अंतःविषयक प्रशिक्षण कार्यशालाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
उद्घाटन में डॉ. रितु दुग्गल चीफ सीडीईआर एम्स, डॉ. संजय लाभ, सचिव, इंडियन ऑर्थोडॉन्टिक सोसाइटी, और डॉ. आशीष गुप्ता अध्यक्ष एओएमएसआई दिल्ली-एनसीआर स्टेट चैप्टर भी मौजूद थे। मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज, एम्स, सफदरजंग अस्पताल, ईएसआईसी अस्पताल, पीजीआई रोहतक, जीडीसी मुंबई, जीडीसी जम्मू, जीडीसी कोट्टायम, एम्स जोधपुर, जीडीसी औरंगाबाद, एएमयू, बीएचयू जैसे भारत के प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों से संबंधित 35 संस्थानों के लगभग 150 डॉक्टर आदि ने इस कार्यशाला में भाग लिया।
डॉ. पांचाली बत्रा, प्रोफेसर ऑर्थोडॉन्टिक्स और कार्यशाला की आयोजन सचिव ने आईसीएमआर और उनके विश्वविद्यालय को सभी समर्थन के लिए धन्यवाद दिया, और इस तथ्य पर जोर दिया कि सहयोगी कार्य चुनौतीपूर्ण मामलों के समग्र उपचार की कुंजी है।
डॉ. देबोराह सिबिल, प्रोफेसर ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी और वर्कशॉप के संयोजक ने कहा कि भारत में इस तरह के हाई-एंड ट्रेनिंग वर्कशॉप बहुत दुर्लभ हैं और शिक्षण संस्थानों द्वारा इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
उद्घाटन के दौरान वाइस चांसलर प्रो. नजमा अख्तर और डीन, फैकल्टी ऑफ डेंटिस्ट्री डॉ. कीया सिरकर द्वारा भारत के 17 संस्थानों के योगदान से “कोम्प्रीहेन्सिव मैनेजमेंट ऑफ़ फेशियल एसिमेट्री” नामक एक सम्मेलन पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
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