बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से अपना पाला बदलने बाले हैं। इस बात की पुष्टि हालांकि शाह टाइम्स नहीं करता है पर जो हालात और अफवाहें निकल कर सामने आ रही हैं उनके अनुसार एक बात ही सामने आ रही है कि चाचा और भतीजा फिर साथ आने की तैयारी में हैं।
नई दिल्ली (Shah Times): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से अपना पाला बदलने बाले हैं। इस बात की पुष्टि हालांकि शाह टाइम्स नहीं करता है पर जो हालात और अफवाहें निकल कर सामने आ रही हैं उनके अनुसार एक बात ही सामने आ रही है कि चाचा और भतीजा फिर साथ आने की तैयारी में हैं।

इस्तीफे की चर्चा हुई तेज!
निकलते ही उनके इस्तीफे की चर्चा तेजी से उठ गई। इस चर्चा को आगे बढ़ाने में प्रशांत किशोर की भी भूमिका रही और राष्ट्रीय जनता दल के नेता भी इस तरह की बातों को हवा दे रहे हैं। लेकिन, ‘अमर उजाला’ को मुख्यमंत्री आवास के विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि वह दो अलग-अलग काम के लिए दिल्ली गए हैं। उन्होंने अपनी प्रगति यात्रा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद रोकी थी।
मनमोहन के परिजनों से मिलेंगे
अब वह उनके परिजनों से मिलकर ढांढ़स बंधाने के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ आगे की योजना तय करने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं।
एनडीये नेताओं से हो सकती है मुलाकात
दिल्ली में मुख्यमंत्री राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। वह भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात के बाद संभवत: साझा संवाददाता सम्मेलन या बयान भी जारी कर सकते हैं। खरमास खत्म होने के बाद बिहार में 15 जनवरी से एनडीए के नेताओं की अलग तैयारी है, जिसकी सूचना वह दिल्ली में दे सकते हैं।
भाजपा को बिहार में फिर पलटवार
इसकी उम्मीद इसलिए भी की जा रही है, क्योंकि पिछले दिनों मुख्यमंत्री के चेहरे के सवाल को लेकर गृह मंत्री और भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह ने असमंजस वाला बयान दे दिया था। उसी बयान के बाद बार-बार कभी यह बात उठती है कि मुख्यमंत्री का भाजपा से फिर मोहभंग हो रहा है तो कभी यह कि महाराष्ट्र की तरह भाजपा के बिहार में अपने सबसे मजबूत सहयोगी को धोखा दे सकती है।
आंकडों के अनुसार अगर देखा जाए तो एनडीए के कुल 293 सीटें हैं और बहुमत के लिये 275 सीटें चाहिये जिसमें से मुख्य रूप से जेडीयू के पास 12 और टीडीएस के पास 16 सीटें हैं। अगर जेडीयू की 12 सीटें कम होती हैं तो कुल 281 सीटें रह जाएंगी तो अगर देखा जाये तो जेडीयू के जाने से भी एनडीये की मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है।