नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश में 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर चढ़ाई की और इसे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला लिया था।
ईटानगर (Shah Times) अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत और चीन के मध्य सीमा विवाद होता ही रहता है। यह विवाद सन 1964 से चला आ रहा है। चीन कई बार इस क्षेत्र को अपना बता चुका है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन ने एक बार फिर अपने नापाक मंसूबे जाहिर किए हैं। भारतीय पर्वतारोहियों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक पर्वत का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखने पर चीन तिलमिला गया है।
यह है पूरा मामला
दरअसल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स की एक टीम ने अरुणाचल प्रदेश में 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर चढ़ाई की और इसे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला लिया था। त्सांगयांग ग्यात्सो 1682 में तवांग क्षेत्र में जन्मे थे। बता दें कि जिस चोटी पर पर्वतारोहियों ने चढ़ाई की है वहां अभी तक कोई नहीं चढ़ा था।
भारत ने किया है यह दावा
NIMAS, जो अरुणाचल प्रदेश के दीरंग में स्थित है, रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। रक्षा मंत्रालय के एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘छठे दलाई लामा के नाम पर पहाड़ी का नाम रखना उनकी अमर बुद्धिमत्ता और मोनपा समुदाय के प्रति उनके गहरे योगदान को सम्मानित करने के लिए है।’
चीन के विदेश मंत्रालय का बयान
अरुणाचल प्रदेश में चोटी का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखे जाने के बाद, पड़ोसी देश चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, आप किस बारे में बात कर रहे मुझे इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, मुझे कहना चाहिए कि ज़ंगनान का क्षेत्र चीनी क्षेत्र है और भारत के लिए चीनी क्षेत्र में ‘अरुणाचल प्रदेश’ स्थापित करना अवैध और अमान्य है। बता दें कि चीन ने 2017 से अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलना शुरू कर दिया है ताकि अपने दावों को मजबूत किया जा सके।