कैसे मोसाद ने नसरल्लाह के ठिकाने का पता लगाया, जानिये क्या था वो प्लॉन

कैसे मोसाद ने नसरल्लाह के ठिकाने का पता लगाया, जानिये क्या था वो प्लॉन
आईये आपको बताते है वो इनसाईड स्टोरी जिसने नसरल्लाह की मौत की खबर लिखी। पिछले साल सात अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमलों के तुरंत बाद, इजरायली खुफिया अधिकारियों ने अपने एक और दुश्मन हिजबुल्ला के खतरे को भांप लिया था।

नई दिल्ली (Shah Times) अगर हम इजरायल की बात करें तो दुनिया के नक्शे में जितना भारत की मणिपुर राज्य है उतना क्षेत्रफल लगभग इजरायल का भी है। अगर आबादी की बात की जाये तो इजरायल की जनसंख्या 94 लाख के लगभग है। लेकिन यह एक ऐसा देश है जो अपने दुश्मन को कहीं भी छोड़ता नहीं है। इजरायल की ताकत का राज है उसकी खुफिया एजेंसी मोसाद जिसने हिजबुल्ला के चीफ नसरल्ला के ठिकाने को ढ़ूंडा और फिर पूरी दूनिया ने देखा कि IDF ने कैसे अपने दुश्मन नसरल्लाह को ठिकाने लगाया है।

आईये आपको बताते है वो इनसाईड स्टोरी जिसने नसरल्लाह की मौत की खबर लिखी। पिछले साल सात अक्टूबर को इजरायल पर हमास के हमलों के तुरंत बाद, इजरायली खुफिया अधिकारियों ने अपने एक और दुश्मन हिजबुल्ला के खतरे को भांप लिया था।

इजरायल ने हिजबुल्ला के खतरे से निपटने और हिजबुल्ला के नेता हसन नसरल्लाह को मार गिराने की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन जब इजरायल ने व्हाइट हाउस को अपनी योजनाओं के बारे में सूचित किया तो अमेरिका ने कहा कि हिजबुल्ला पर हमला नहीं करे।

राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन कर उनसे कहा कि नसरल्लाह को मारने से क्षेत्रीय युद्ध शुरू हो जाएगा, लेकिन इजरायल ने प्रयास जारी रखा और शनिवार को घोषणा की कि उसने लेबनान में युद्धक विमानों द्वारा 80 से अधिक बम गिराए जाने के बाद नसरल्लाह को मार गिराया।

इजरायली सेना और खुफिया एजेंसियां हिज्बुल्ला के साथ 2006 में 34-दिवसीय संघर्ष में निर्णायक जीत हासिल करने में विफल रहीं, जो संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में संघर्ष विराम के साथ समाप्त हुआ था। इजरायली खुफिया एजेंसियों हिजबुल्ला के नेतृत्व और रणनीति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करने में अपनी कमियों से निराश थीं, लेकिन इजरायली खुफिया एजेंसियों ने प्रयास जारी रखा।

खुफिया एजेंसी यूनिट 8200 ने हिज्बुल्ला के सेलफोन और अन्य संचार को रोकने के लिए अत्याधुनिक साइबर उपकरण बनाए। महत्वपूर्ण जानकारी वायुसेना को तुरंत देने के लिए टीमें बनाईं। इजराइल ने हिज्बुल्ला के गढ़ों की लगातार तस्वीरें लेने और इमारतों में होने वाले छोटे से छोटे बदलावों का दस्तावेजीकरण करने के लिए लेबनान के ऊपर अधिक ड्रोन और अपने सबसे उन्नत उपग्रह को उड़ाना शुरू कर दिया। हिज्बुल्ला पर यूनिट 8200 की पैनी निगाह जनवरी 2020 में भी फायदेमंद रही।

7 अक्तूबर 2023 को इजरायल पर हमास ने बड़ा हमला बोला। इस हमले में 1200 इजरायली नागरिकों की जान गई और 251 को बंधक बना लिया गया। इसी के साथ इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग का एलान किया। इस बीच गाजा में इजरायली हमलों के विरोध में हिजबुल्लाह ने भी उत्तरी इजरायल को निशाना बनाना शुरू किया। नतीजा यह हुआ कि करीब 65 हजार इजरायली नागरिकों को अपने घर छोड़ने पड़े।

पिछले 11 महीने तक इजरायल ने बेहद सधे अंदाज में काम किया। उसने पूरा फोकस गाजा में हमास को खत्म करने पर लगाया। उत्तरी सीमा पर इजरायली सेना ने सिर्फ हिजबुल्लाह के हमलों का बचाव किया। उसे पता था कि अगर अभी हिजबुल्लाह के खिलाफ आक्रामकता दिखाई तो कई फ्रंट पर युद्ध लड़ना पड़ सकता है।

इस बीच इजरायल ने गाजा में हमास की कमर को तोड़ना जारी रखा। उसके सरगना इस्माइल हानिया को ईरान की राजधानी तेहरान में ढेर किया। इस्माइल की मौत ने हमास के मनोबल को तोड़कर रख दिया। हमास के खिलाफ पिछले 11 महीने की जंग के दौरान ही मोसाद ने हिजबुल्लाह की खुफिया निगरानी शुरू कर दी थी, क्योंकि उसे पता था कि हमास के बाद इसी संगठन से इजरायल को सबसे बड़ा खतरा है।

फरवरी में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को इजरायली जासूसी का शक हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने सभी लड़ाकों को मोबाइल फोन की जगह पेजर और वॉकी-टॉकी के इस्तेमाल का आदेश दिया। मगर मोसाद उनसे दो कदम आगे निकली। उसने हिजबुल्लाह के पांच हजार पेजरों पर फरवरी में ही विस्फोटक लगा दिए थे।

इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा कि पिछले एक साल से हसन नसरल्लाह की हर हरकत पर नजर थी। वह कहां ठहरता है और कहां जाता है? सटीक खुफिया जानकारी मिलने के बाद ही उसके ठिकाने पर हमला किया गया।

11 महीने के संघर्ष में हिजबुल्लाह के 500 से अधिक लड़ाकों की जान जा चुकी है। 7 अक्टूबर से 20 सितंबर तक इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच कुल 10,214 हमले हुए हैं। इजरायल ने लगभग 81 प्रतिशत यानी 8,313 हमलों को अंजाम दिया। इन हमलों में लेबनान में 752 लोग की जान गई। हिजबुल्लाह ने 1,901 हमलों की जिम्मेदार ली। नतीजतन 65 हजार इजरायली नागरिकों को घर छोड़ना पड़ा।

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