बेंगलुरु । कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (poxo act) के तहत दूसरे मामले में मुरुघा मठ (Murugha Math) के पुजारी शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू (Shivamurthy Muruga refuge) के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट पर सोमवार को रोक लगा दी।
चित्रदुर्ग (chitradurga) जिले के द्वितीय अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बीके कोमला द्वारा वारंट जारी किए जाने के कुछ घंटों बाद रोक लगा दी गई। उच्च न्यायालय (High Court) ने 8 नवंबर को पहले मामले में संत को इस शर्त पर अंतरिम जमानत दी थी कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और मुकदमे के समापन तक जिले से दूर रहेंगे।
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न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज (Justice Suraj Govindraj) ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के साथ-साथ सरकारी वकील की कार्रवाई पहले मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत थी। बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार पहले मामले में, मुरुघा मठ के पुजारी पर मठ के छात्रावास में दो बच्चों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया है।
दूसरे मामले में उन पर मठ के एक पूर्व कर्मचारी की किशोर बेटी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।