जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हल्द्वानी हिंसा मामले के आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान की
नई दिल्ली,(Shah Times) । सत्ता के खेल में हमेशा पिसता आम इंसान ही है इसको सब जानते है लेकिन फिर भी सियासी दलों के बुने जाल में फंस जाते है ऐसे ही बुने जाल में फंसे छह महिलाओं सहित 50 बेगुनाह इंसानों को उत्तराखण्ड हाईकोर्ट से जमानत के रूप न्याय मिला है,सियासी दलों का मकसद सिर्फ और सिर्फ सियासी फायदा उठाना होता है और कुछ नहीं और इसकी सज़ा भुगतनी पड़ती है इंसान को यह बात जनता की समझ में जितनी जल्दी आ जाए उतना ही बेहतर है।
हिन्दू मुसलमान की सियासत हमें कहाँ लेकर आ गई है यह सब देख और समझ रहे है।खैर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी दंगा मामले में पुलिस की बर्बरता का शिकार हुई छह महिलाओं समेत 50 पचास आरोपियों की जमानत अर्जी पर फैसला सुनाते हुए आरोपियों की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए निचली अदालत को आरोपियों को एक निजी मुचलके और एक ज़मानत, सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
आरोपियों को फरवरी के दूसरे सप्ताह में गिरफ्तार किया गया था उत्तराखंड हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के जस्टिस पंकज पुरोहित और जस्टिस मनोज कुमार तिवारी ने यह फैसला पिछले शनिवार को कोर्ट ने पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। पचास आरोपियों की ओर से हाईकोर्ट में कुल छह याचिकाएं दायर की गईं, थी जिन पर कुल सात सुनवाई हुई। कोर्ट ने आज अपने मौखिक फैसले में आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया कोर्ट का लिखित फैसला जल्द ही पक्षकारों को मुहैया कराया जाएगा।
पीड़ितों की कानूनी मदद करने वाले संगठन जमीयत उलेमा हिंद की ओर से बहस करते हुए वरिष्ट अधिवक्ता नित्या रामा कृष्णा ने कहा की एजेंसी ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनके खिलाफ यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) लगाया था, ताकि आरोपियों को जमानत से वंचित किया जा सके और जांच एजेंसी को जांच के लिए अधिक समय दिया जा सके।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी को वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने आगे बताया कि सत्र न्यायालय ने आरोपी की डिफॉल्ट जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि लोकसभा चुनाव के कारण आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जा सका। समय रहते आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया जाए, इस लिए पुलिस को अधिक समय देना गैरकानूनी नहीं है। नित्या रामकृष्णन ने कोर्ट को आगे बताया कि सेशन कोर्ट का यह औचित्य असंवैधानिक और अनावश्यक है। कानून के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ समय पर आरोप पत्र दाखिल करना जरूरी है, अन्यथा आरोपी डिफॉल्ट जमानत का हकदार होगा आरोपी पर लगे आरोप का कोई महत्व नहीं है. सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट ने अपने फैसलों में इस बात पर जोर दिया है कि डिफॉल्ट जमानत आरोपी का संवैधानिक अधिकार है जिसे उससे छीना नहीं जा सकता, इसके बावजूद डिफॉल्ट जमानत का अधिकार आरोपी को मिलता रहेगा क्योंकि डिफॉल्ट दाखिल करने के बाद भी डिफॉल्ट जमानत का अधिकार आरोपी को मिलता रहेगा इस मामले में हाईकोर्ट से जमानत के बाद पुलिस ने सेशन कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है वरिष्ठ वकील नित्या रामकृष्णन ने आगे कहा कि जांच एजेंसी ने नब्बे दिन की अवधि पूरी होने के बाद अदालत में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया और अदालत से अट्ठाईस दिन और मांगे जो कानूनन गलत है इस लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 167 और यूएपी एक्ट की धारा 43डी(2) के तहत जमानत न मिलने पर आरोपी को जेल से रिहा किया जाना चाहिए, सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से यह भी कहा कि पुलिस ज्यादती खत्म हो गई है, 65 साल- वृद्ध मुस्लिम महिला समेत अन्य 6/महिलाओं को भी जेल के अंदर बंद कर दिया गया है और उनके खिलाफ यूएपीए अधिनियम लागू किया गया है।
इसके अलावा,पीठ ने उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील जेएस वर्क से पूछा कि क्या उन्हें महिलाओं को जेल में डालना चाहिए रखने की जरूरत है, जिस पर एडवोकेट कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके और कहा कि सीसीटी फुटेज में महिलाएं दिख रही हैं, वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने गुलजार, रईस अहमद, मुहम्मद शाद, मुहम्मद फरीद, जावेद, शरीफ पाचा, मुहम्मद इफ्तिखार, मुजम्मिल, जीशान, माजिद, रेहान, अहमद हसन, शाहरुख, अरबाज, साहिल अंसारी, हकम रजा, आदिल खान, मुहम्मद को आरोपी बनाया आसिफ, शहाबुद्दीन, अजीम, मुहम्मद समीर, सुलेमान, जीशान जेबो, नबी हसन, सरम मकरानी, शहजाद छोटा, शिराज हुसैन, मुहम्मद वसीम, अरबाज खान, सलीम, मुहम्मद फरकान, मुहम्मद फिरोज, मुहम्मद अजीर, गुलजार अहमद मौजूद रहे जमीयत उलेमा हिंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बेगम, शाहनाज, सोनी, शमशेर, सलमा, रेशमा, मुहम्मद रिजवान, दानिश खान, मुहम्मद शाकिर, मुहम्मद इमरान, हैदर, जावेद फेस्डो और आरिश की जमानत याचिका अधिवक्ता शाहिद नदीम, अधिवक्ता सीके शर्मा, अधिवक्ता आरिफ अली, अधिवक्ता मुजाहिद अहमद, अधिवक्ता सतुति राय, अधिवक्ता नितिन तिवारी, अधिवक्ता विजय पांडे, अधिवक्ता वासिफ खान, अधिवक्ता मनीष पांडे, अधिवक्ता आसिफ अली, अधिवक्ता दानिश अली, अधिवक्ता जमीर अहमद ने सहयोग किया।
उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान आरोपियों के परिजनों के साथ मौलाना मुकीम कासमी (जमीयत उलेमा जिला,नैनीताल के अध्यक्ष), मौलाना मुहम्मद कासिम (नाजिम जमीयत उलेमा जिला,नैनीताल), मौलाना। मुहम्मद आसिम (शहर अध्यक्ष जमीअत उलमा हल्द्वानी), मौलाना मुहम्मद सलमान (शहर नाजिम जमीअत उलमा हल्द्वानी), डा अदनान, अब्दुल हसीब व अन्य मौजूद रहे।