हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होता है। यह बिना ब्रेक लिए लगातार धड़कता रहता है यानी खून की पंपिंग करता रहता है और शरीर के सभी हिस्सों तक खून की सप्लाई करने का काम करता है।
New Delhi,(Shah Times) । दुनिया में हर साल करीब एक करोड़ 80 लाख लोग हृदय रोग के कारण अपनी जान गंवा देते हैं। अगर हम दिल की बीमारियों को लेकर लापरवाही करते है तो कई बीमारियां हमें मुश्किल में डाल सकती हैं। यही बाद में हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बनती हैं।
दरअसल हार्ट अटैक होने पर या बायपास सर्जरी के बाद हार्ट की मसल्स जिन्हें कार्डियोमायोसाइट्स भी कहते हैं, डैमेज हो जाती हैं। वर्तमान समय में ट्रांसप्लांट के अलावा इसके लिए कोई दूसरा इलाज नहीं है।
हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होता है। यह बिना ब्रेक लिए लगातार धड़कता रहता है यानी खून की पंपिंग करता रहता है और शरीर के सभी हिस्सों तक खून की सप्लाई करने का काम करता है। यह खून अपने साथ ऑक्सीजन लेकर जाता है और सभी बॉडी ऑर्गन्स को उनकी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन बांटता है। अगर दिल धड़कना बंद कर दे तो बॉडी ऑर्गन्स को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाएगी। ऐसी स्थित में सभी ऑर्गन्स दम तोड़ देंगे और मौत हो जाएगी।
हाल ही में यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश ऑस्ट्रियन रिसर्चर्स की एक स्टडी में दावा किया गया है कि जेंटल शॉकवेव की मदद से हार्ट मसल्स को रीजेनरेट किया जा सकता है। लेकिन अभी तक डैमेज हो चुकी हार्ट मसल्स को ट्रांसप्लांट करने के अलावा और कोई उपाय नहीं है। अगर इन्हें ठीक न किया जाए हार्ट रप्चर की स्थिति बन सकती है। अब यह देखने लायक होगा की क्या नई रिसर्च से कुछ बदल सकता हैं।
पूरे विश्व में हृदय रोग के कारण होती हैं सबसे ज्यादा मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ki रिपोर्ट के अनुसार हर साल पूरे विश्व में करीब 6 करोड़ लोगों की मौत होती है। इनमें करीब 32% मौतों की वजह हार्ट डिजीज है। इस बीमारी से पूरी दुनिया में सबसे अधिक मौतों होती है। हर साल लगभग पौने 2 करोड़ लोग किसी-न-किसी हार्ट डिजीज के चलते अपनी जान गंवा देते हैं।
ऑस्ट्रियन स्टडी से हो सकता है कुछ बदलाव
डॉ. अवधेश शर्मा ने बताया कि अगर ऑस्ट्रियन स्टडी सफल होती है तो यह मेडिसिन जगत में नई क्रांति की तरह होगी। इससे हार्ट अटैक के कारण होने वाली कई मौतों को रोका जा सकता है। आपको बता दे की हार्ट अटैक के बाद करीब 30% मामलों में हार्ट रप्चर की कंडीशन बनती है। अगर हार्ट मसल्स रीजेनेरेट हो पाए तो हर साल करीब 50 लाख लोगों को मरने से बचाया जा सकता है।
सबसे अच्छी बात ये है कि इसके लिए जिस जेंटल शॉकवेव टेक्निक की बात की जा रही है। इसका पहले से ही कई तरह के इलाज में प्रयोग कर चुके है। यह बाइपास सर्जरी की तरह महंगी भी नहीं है। डॉक्टर्स के अनुसार इंजर्ड लिगामेंट के इलाज में इसका इस्तेमाल होता है। अगर इस शॉकवेव की पॉवर बढ़ा दी जाए तो इसी टेक्निक से किडनी स्टोन्स को तोड़कर बाहर निकाला जाता है। ऑस्ट्रियन रिसर्चर्स ने इस डिवाइस को ‘स्पेस हेयर ड्रायर’ नाम दिया है।