Wed. Feb 19th, 2025

वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार के लिए 31 सदस्यीय जेपीसी का गठन 

Shah Times
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 विपक्ष के भारी विरोध के बाद इसे विस्तृत समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया था।

New Delhi, (Shah Times) । वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर विचार के लिए संसद के दोनों सदनों की एक 31 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी)  के गठन की आज घोषणा की गयी।

संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने इस समिति के गठन की घोषणा की। इस संयुक्त संसदीय समिति में 21 सदस्य लोकसभा के और दस सदस्य राज्यसभा के होंगेे।

संयुक्त संसदीय समिति में शामिल लोकसभा के सदस्य – जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजेस्वी सूर्या,  अपराजिता सारंगी, डॉ. संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डी.के. अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मोहिबुल्लाह, कल्याण बनर्जी, ए. राजा, डी. लावू श्रीकृष्णा, दिलेश्वर कामत, अरविंद सावंत, महात्रे बाल्या मामा सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपत म्हास्के, अरुण भारती और असदुद्दीन ओवैसी हैं।

समिति में राज्य सभा के सदस्य – बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधामोहन दास अग्रवाल, सैयद नासिर हुसैन, मोहम्मद नदीमुलहक़, मोहम्मद अब्दुल्ला, वी विजयसाई रेड्डी, संजय सिंह और धर्माधिकारी वीरेन्द्र हेगड़े हैं।

समिति को संसद के अगले सत्र के प्रथम सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।

विपक्ष के विरोध के बीच अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मुसलमान वक्फ  विधेयक 2024 को गुरुवार को सदन में पेश किया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने इस दौरान मत विभाजन की माँग की लेकिन अध्यक्ष ओम बिरला ने इसकी अनुमति नहीं दी और विधेयक को ध्वनिमत से पेश कर दिया गया।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि सरकार वक्फ संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है। पूरे देश में वक़्फ़ की 9.4 लाख एकड़ भूमि है जिस पर सरकार हस्तक्षेप करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिम सदस्य नहीं होना चाहिए क्योंकि यह संपत्ति मुस्लमानों की है और उसके निर्णय में उन्हीं को होना चाहिए। यह संवेदनशील मामला है इसमें जल्दबाजी की जरूरत नहीं है।

 रिजिजू ने कहा कि इस कानून को निरस्त करना आवश्यक है। वर्ष 1923 का अधिनियम तो अस्तित्व में ही नहीं है, इसलिए इसे हटाना चाहते हैं।

इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आजादी के बाद वक्फ बोर्ड के कानून में संशोधन होने के बाद ‘मुसलमान वक्फ कानून-1923’ का अस्तित्व अपने आप ही समाप्त हो गया था, लेकिन, इसे कागजों से नहीं हटाया गया। उन्होंने कहा कि यह उस कानून को सिर्फ कागजों से हटाने के लिए लाया गया है, जो अस्तित्व में ही नहीं है।

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 विपक्ष के भारी विरोध के बाद इसे विस्तृत समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया था।

 ,

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!