गुरबाणी फ्री प्रसारण करने वाले मुद्दे पर धामी ने साधा मान पर निशाना

अमृतसर। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) द्वारा सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 (Sikh Gurdwara Act 1995) में संशोधन की घोषणा करने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति सहित तमाम सिख संगठनों द्वारा कड़ी निंदा की जा रही है।

भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने रविवार को ट्वीट कर कहा था, “ वाहे गुरू के आशीर्वाद से हम कल एक ऐतिहासिक फैसला लेने जा रहे हैं, समहू संगतों की मांग अनुसार सिख गुरुद्वारा एक्ट 1925 में एक नयी धारा जोड़ रहे हैं। हरमंदिर साहिब से गुरबाणी का प्रसारण सभी के लिए मुफ्त होगा… किसी निविदा की आवश्यकता नहीं है। ”
सांसद राघव चड्डा ने भी टवीट कर कहा, “ हमारे गुरु साहिब की शिक्षाओं को सार्वभौमिक रूप से सुलभ बनाने के लिए, पंजाब में हमारी आप सरकार सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में संशोधन कर रही है। यह एक मीडिया हाउस के एकाधिकार को समाप्त करेगा और सचखंड हरमंदर साहिब से गुरबाणी का सीधा प्रसारण सभी प्रसार

कों को मुफ्त में उपलब्ध कराएगा। ”


शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी (Harjinder Singh Dhami) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिख मामलों में दखल देने के लिए पंजाब सरकार की आलोचना की। उन्होंने सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 में संशोधन करने के फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि अधिनियम में यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार (इस मामले में) हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। दिल्ली में बैठे राजनीतिक गुरु को खुश करने की कोशिश में एक धार्मिक मुद्दे को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। पंजाब सरकार इस अधिनियम को नहीं बना सकती क्योंकि इसे विभाजन से पहले एसजीपीसी द्वारा तैयार किया गया था। इसे राज्य सरकार संशोधित नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान को सिखों के धार्मिक मामलों को भ्रमित करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अपने राजनीतिक हितों के लिए देश को भ्रमित न करें। गुरबाणी का प्रसारण सामान्य प्रसारण नहीं है। इसकी पवित्रता और नैतिकता की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।

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हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि सीएम मान गुरबानी प्रसारण को राजनीति मुद्दा बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरबानी प्रसारण को विवाद बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक धार्मिक मुद्दा है, इसका राजनीतिकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गुरबानी का प्रसारण कर रहे चैनल की अवधि जुलाई 2023 में समाप्त हो रही है, इसलिए सरकार इसके प्रसारण के लिए सार्वजनिक निविदा करने नहीं देना चाहती जो सिखों के धार्मिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप है।
हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि मान को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का सूबेदार बनने की बजाय पंजाब के विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि साल 2004 में एक नोटिफिकेशन जारी कर सहजधारी सिखों को एसजीपीसी के चुनाव में मतदान से वंचित कर दिया गया था, लेकिन सहजधारी संगठन द्वारा न्यायालय में जाने के पश्चात फैसला उनके पक्ष में होने के कारण केन्द्र सरकार ने साल 2016 में इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया था, जिससे स्पष्ट होता है कि गुरुद्वारा सिख अधिनियम 1925 में किसी भी प्रकार का संशोधन करना केवल केन्द्र सरकार के अधिकार में है।

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