डेंगू चिकनगुनिया: सावधानी और सतर्कता में ही है बचाव

बरसात का सीजन शुरू होते ही फैलने लगे हैं जल जनित रोग

पिछले 3 सालों से नियंत्रण में रहा है डेंगू

एस.आलम अंसारी
देहरादून। उत्तराखंड में डेंगू, चिकनगुनिया रोग के नियंत्रण एवं रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड़ पर है। सूबे में बरसाती सीजन शुरू हो गया है ऐसे में डेंगू संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
डेंगू संभावित देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, पौड़ी एवं नैनीताल के मैदानी क्षेत्रों में हर साल सबसे ज्यादा खतरा रहता है। पिछले 3 दिनों में देहरादून में डेंगू के 10 मरीज मिल चुके हैं। प्रदेश के निजी और सरकारी अस्पतालों में वेक्टर जनित रोग से प्रभावित मरीज लगातार अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। डेंगू, टाइफाइड मलेरिया और वायरल लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। जबकि चिकनगुनिया का खतरा भी लगातार बना हुआ है। आमतौर पर डेंगू का मच्छर दोपहर बाद व शाम के समय ज्यादा काटता है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार लोगों को वेक्टर जनित रोगों के प्रति जागरूक किया जा रहा है और उनसे बचाव के लिए सावधानी बरतने के लिए भी कहा जा रहा है। अच्छी बात यह है कि पिछले 3 वर्षों में डेंगू को प्रदेश में नियंत्रण में रखा गया है ,मगर हर साल बरसात शुरू होते ही डेंगू को लेकर खतरा बना रहता है। इस साल भी उम्मीद की जा सकती है कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू को नियंत्रण में रखने के लिए और बेहतर प्रयास किए जाएंगे। डेंगू से बचने और नियंत्रण में रखने के लिए सावधानी ही सबसे बेहतर उपाय हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की ओर से पहले ही जनजागरूकता एवं बचाव के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दे दिये गये हैं। इसके अलावा रेखीय विभागों शहरी विकास, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज विभाग, परिवहन विभाग, सिंचाई विभाग, जलापूर्ति विभाग, कृषि विभाग, पर्यटन विभाग, आपदा प्रबंधन, मौसम विभाग, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा व सूचना विभाग के साथ मिलकर प्रदेशभर में वृहद स्तर पर डेंगू नियंत्रण को जनजागरूकता अभियान संचालित करने व इसकी निंरतर मॉनिटिरिंग करने के निर्देश भी दिये जा चुके हैं। प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को डेंगू व चिकनगुनिया की रोकथाम और नियंत्रण को सचिव स्वास्थ्य डॉ आर. राजेश कुमार की ओर से भी पत्र लिखकर दिशा निर्देश दिए गए हैं।


क्या है डेंगू के लक्षण
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभारी अधिकारी डा. पंकज सिंह ने बताया कि बरसात के मौसम में डेंगू का संचरण एवं प्रसार तेजी से होता है। संक्रमित मच्छर के काटने पर स्वस्थ व्यक्ति में डेंगू बुखार के लक्षण प्रकट होते हैं जो 3 से 14 दिनों तक हो सकता है। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है जिसमें डेंगू बुखार (साधारण), डेंगू हेमरेजिक व डेंगू शॉक सिन्ड्रोम है। डेंगू बुखार में संक्रमित व्यक्ति को ठंड के साथ तेज बुखार आता है इसके अलावा सरदर्द, बदन दर्द व मांशपेसियों तथा जोड़ों में दर्द होता है। साथ ही रोगी को भूख कम लगती है व शरीर पर लाल चकते उभर आते हैं। जबकि डेंगू हेमरेजिक बुखार में इन लक्षणों के साथ-साथ नाक, कान, मसूडे, शौच या उल्टी में खून आता है और त्वचा पर गहरे नीले, काले रंग के चकते उभर आते हैं। वहीं डेंगू शॉक सिंड्रोम में इन सभी लक्षणों के अलावा रोगा का रक्तचाप कम होने लगता है साथ ही रोगी अत्यधिक बेचैनी महसूस करता है। डा. सिंह ने बताया डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में जाकर अपनी जांच आवश्य करायें। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार की रोकथाम ही इसका बेहतर उपचार है।


डेंगू/ चिकनगुनिया के बचाव के लिए सावधानियां

अपने घर में कूलर, फ्रिज के पीछे की ट्रे, गमलों आदि का पानी हप्ते में दो बार अवश्य साफ रखें।

  • सभी पानी की टंकी व जल भण्डारण वस्तुओं को ढक कर रखें।
  • घर में लगे गमलों के नीचे ट्रे ना लगाए तथा गमलों मे पानी भरा हुआ न रहने दें।
  • सभी गुलदस्तों मनी प्लॉन्ट पानी के बर्तनों तथा कूलर आदि का पानी सप्ताह में दो बार पूरी तरह खाली कर दें।
  • टूटे पुराने बर्तन, बोतल, डिब्बे पुराने बेकार टायर आदि इधर-उधर न फेंके क्योंकि इनमें एकमित्र पानी में डेंगू / चिकनगुनिया रोग फैलाने वाला मच्छर (एडीज मच्छर पनपता है।
  • मच्छर के काटने से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें तथा दिन / रात में सोते समय मच्छरों को मारने वाली मशीनों का प्रयोग करें।
  • चिडियों एवं जानवरों के पानी पीने के वर्तनों को प्रतिदिन साफ करें


गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को ज्यादा केयर की जरूरत
डेंगू के नियंत्रण के लिए जन सहभागिता बेहद जरूरी है जिसके लिए सभी लोगों को जागरूक और सावधान रहने की जरूरत है
डेंगू आमतौर पर साधारण बुखार की तरह होता है लेकिन कुछ लोगों में यह गंभीर रूप भी ले सकता है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
डेंगू एक अपने आप ही ठीक होने वाला रोग है। डेंगू का उपचार लक्षणों के आधार पर होता है, इसके लिए कोई विशेष औषधि तथा वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। डेंगू के लक्षण होने पर चिकित्सक की सलाह लें वह किसी प्रकार की अनावश्यक दवाई ना लें।
रोग अवधि के दौरान प्रचुर मात्रा में तरल पेय पदार्थों का सेवन करें व आराम करें। बरसात के सीजन के दौरान स्वच्छ और ताजा पानी पिएं ।हो सके तो उबला हुआ पानी का सेवन करें। भोजन का विशेष ध्यान रखना भी
जरूरी है।

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डेंगू से निपटने को स्वास्थ्य विभाग की तैयारी
स्वास्थ्य विभाग डेंगू से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार है, यदि किसी व्यक्ति में डेंगू के लक्षण दिखाई देते हैं तो प्रदेश के राजकीय चिकित्सालयों में डेंगू की निःशुल्क जांच की सुविधा उपलब्ध है। साथ ही डेंगू रोगियों के समुचित उपचार के लिये प्रदेशभर की चिकित्सा ईकायों में 1466 डेंगू आईसोलेशन बेड आरक्षित किये गये हैं, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर बढ़ाया भी जा सकता है। इसके अलावा डेंगू के गंभीर रोगियों के लिये ब्लड बैंकों में प्लेटलेट की उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है।
जनपद स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन कर डेंगू नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
डेंगू रोगियों की स्वास्थ्य स्थिति की सभी चिकित्सालयों के साथ सघन मॉनिटरिंग की जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमें नगर निगम, नगर पालिका व अन्य विभागों के साथ घर-घर जाकर डेंगू नियंत्रण गतिविधियां कर रही हैं व साथ ही लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है।
डा. पंकज सिंह, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम प्रभारी अधिकारी

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