मणिपुर में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति शासन की मांग

मणिपुर में संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू करने की आवश्यकता है।”

शिलांग । राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप (RRAG) ने सोमवार को केंद्र सरकार से संघर्षग्रस्त मणिपुर (Manipur) में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का आग्रह किया। आरआरएजी ने कहा कि मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच जातीय दंगे ‘पूर्ण पैमाने पर गृहयुद्ध’ में बदल गए हैं।

आरआरएजी के निदेशक सुहास चकमा ने कहा,“छह मई, 2023 को संविधान के अनुच्छेद 355 को लागू करने के बाद, स्थिति को नियंत्रण में लाने में विफलता के लिए तटस्थ मानी जाने वाली सरकार प्रदान करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू करने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि घाटी में सुरक्षा स्थिति की निगरानी करने वाले मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और पहाड़ियों में स्थिति की निगरानी करने वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय की वर्तमान व्यवस्था केवल विभाजन को मजबूत करती है।

आरआरएजी ने चेतावनी दी,“दंगों में मेतेई और कुकी के विद्रोही समूहों की भागीदारी से पूरे उत्तर पूर्वी क्षेत्र में विद्रोह फैलने और क्षेत्र को अस्थिर करने की क्षमता है। चकमा ने कहा, “राष्ट्रपति शासन लगाने से मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में शांति प्रक्रिया को नई गति मिलेगी और विस्थापित व्यक्तियों को सुरक्षा के साथ वे अपने मूल निवास स्थानों पर वापसी भी कर सकते हैं।”

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आरआरएजी ने कहा कि इस हिंसा में अब तक कम से कम 120 लोग मारे गए हैं, जबकि लगभग 70 हजार लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें मणिपुर के राहत शिविरों में 50,698 लोग रह रहे हैं जबकि 12 हजार से अधिक लोग मिजोरम, तीन हजार लोग असम और एक हजार से अधिक लोग मेघालय भाग गए हैं।
चकमा ने कहा कि मणिपुर से दूसरे राज्यों में जाने वाले लोगों को मेघालय जैसे स्थानीय समूहों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसी दौरान, रविवार को 10 लोगों की हत्या हुई है, जिससे मणिपुर के बहुसंख्यक विस्थापित लोगों के अपने मूल घरों में लौटने की संभावना बहुत कम है।

उन्होंने कहा कि मणिपुर में दंगों से उत्तर पूर्व की क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को अस्थिर करना उत्तर पूर्व के इतिहास में अभूतपूर्व है, क्योंकि कथित तौर पर चार हजार से अधिक हथियारों और पांच लाख (5,00,000) की गोला बारूद के साथ तीन हजार से अधिक नागरिकों को हथियारबंद किया गया है।

चकमा ने कहा, “हथियारों की लूट और नागरिकों को हथियार देने, अगस्त 2008 से 23 भूमिगत संगठनों के साथ संचालन निलंबन समझौतों को लागू करने में विफलता पर किसी की जवाबदेही नहीं है और न ही छह मई 2023 को संविधान के अनुच्छेद 355 के लागू होने के बावजूद स्थिति को नियंत्रण में लाने में विफलता के लिए कोई जवाबदेही है।”

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