50 साल से कम उम्र के होंगे आधे सदस्य
संगठन में बढ़ेगी एससी, एसटी, ओबीसी, महिला व अल्पसंख्यकों की भागीदारी
- शशि थरूर और दिग्विजय सिंह को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
- प्रियंका गांधी का भी बढ़ सकता है कल, चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद से लगे पड़े संगठन का पुनर्गठन का आज ऐलान हो सकता है। कांग्रेस मुख्यालय पर आज संगठन के प्रभारी मुकुल वासनिक मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इसमें कांग्रेस संगठन के पुनर्गठन का ऐलान किया जाएगा। हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हुई है।
सूत्रों के मुताबिक खरगे के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर को भी इन्हें संगठन में जगह मिल सकती है वहीं खरगे के समर्थन में अपना नाम वापस लेने वाले दिग्विजय सिंह को भी नई टीम में बड़ी जिम्मेदारी के साथ वापस बुलाया जा सकता। कांग्रेस में काफी दिनों से चर्चा है कि कुछ लोग प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश का प्रभाव छोड़ने की सलाह दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी छोड़ना चाहती हैं या अपने पास रखना चाहती है यह उन पर निर्भर करेगा। लेकिन खरगे नई टीम में प्रियंका गांधी की जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है। इसी साल के आखिर में होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के प्रभारी राजीव शुक्ला और कर्नाटक के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला भी नई टीम का हिस्सा होंगे। पार्टी आलाकमान इन दोनों ही नेताओं को इनके प्रभार वाले राज्यों में मिली जीत का इनाम देना चाहती है। दोनों ही नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नज़दीकी और भरोसेमंद माने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई पदाधिकारियों को हिमाचल और कर्नाटक में जिला व विधानसभा के लिहाज से जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उनके प्रभार वाले क्षेत्र में कांग्रेस को कैसे नतीजे हासिल हुए हैं और उनकी कार्यशैली कैसी रही है, इन सभी का मूल्यांकन किया जा रहा है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक विधानसभा चुनाव निपटने के बाद से ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे संगठन की ओवरहालिंग की कवायद में जुटे हुए थे। यह कामा पूरा हो चुका है और किसी भी वक्त संगठन के पुनर्गठन का ऐलान किया जा सकता है। इसका यही मतलब निकाला जा रहा है कि कांग्रेस मुख्यालय पर होने वाली विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया जाएगा। पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी के तहत हाल ही में कई राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की भी नियुक्ति की गई है। अलग है कि नई कार्यसमिति का गठन पिछले साल अक्टूबर में हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद से ही लंबित है। 24 फरवरी को रायपुर में हुए अधिवेशन में कार्यसमिति के चुनाव होने थे लेकिन पार्टी की संचालन समिति ने कार्यसमिति के गठन का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष को सौंप दिया था।
संगठन के पुनर्गठन की कवायद की भनक लगते ही कई बड़े नेता इसमें जगह बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे थे। खास बात यह है कि इस बार पिछले करीब 10 माह से पार्टी आंतरिक रूप से अपने पदाधिकारियों के कामकाज और उपलब्धियों की रिपोर्ट तैयार कर रही है। एआईसीसी की नई टीम में उन्हीं लोगों को जगह मिलेगी, जिनके नतीजे बेहतर रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां के प्रभारियों को फिलहाल नहीं बदला जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने महासचिव और स्वतंत्र प्रभारी की ज़िम्मेदारी देने के लिए एक पैमाना तय किया है। जो भी नेता इस पर खरा उतरेगा उसे नई टीम में जगह दी जाएगी। छत्तीसगढ़ की प्रभारी कु. सैलजा, राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, मध्य प्रदेश के प्रभारी जेपी अग्रवाल और तेलंगाना के प्रभारी माणिकराव ठाकरे अपने पद पर बने रहेंगे, क्योंकि चुनाव वाले राज्यों में पार्टी किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करना चाहती है। चर्चा यह भी है एआईसीसी के मीडिया विभाग में भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। साथ ही दिल्ली, यूपी, गुजरात व महाराष्ट्र समेत कुछ अन्य राज्यों में नए अध्यक्षों की नियुक्तियां की जाएंगी।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के सांगठनिक पुनर्गठन में पार्टी की नई नीति की वजह से देर हो रही है। गौरतलब है कि पार्टी ने ऊपर से नीचे तक के 50 फीसदी पद दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, महिलाओं व अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित कर दिए हैं। साथ ही भी तय कर दिया है 50 फीसदी पद 50 साल से कम उम्र के लोगों को दिए जाएंगे। सीडब्ल्यूसी के सदस्यों की संख्या 24 से बढ़ाकर 35 कर दी है। इसके लिए रायपुर महाधिवेशन में पार्टी संविधान में संशोधन भी किया गया था। अलग-अलग वर्गों से काबिल व तेज तर्रार चेहरों की तलाश की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक अब ये तलाश पूरी हो गई है। लिहाजा इस साल होने वाले कई राज्यों के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ही नई टीम सामने आएगी।